भारत को अब पाकिस्तान में निवेश क्यों करना चाहिए ?
भारत को अब पाकिस्तान में निवेश क्यों करना चाहिए ?
Why India Must Invest in Pakistan Now? का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
दक्षिण एशिया के विशाल चित्रपट में, जहाँ प्राचीन संस्कृतियाँ आपस में जुड़ी हुई हैं, और ऐतिहासिक शत्रुताएँ भी दीर्घ काल से हैं, संभावनाओं की एक रोशनी सुप्त अवस्था में पड़ी है।
भारत और पाकिस्तान के बीच सदियों पुरानी प्रतिद्वंद्विता ने उपमहाद्वीप पर ग्रहण लगा दिया है, जिसने भय, शत्रुता और टकराव का एक चक्र बनाए रखा हुआ है।
हालाँकि, इस कड़वाहट भरी लंबी दुश्मनी की सतह के नीचे प्रगति की ओर जाने के लिए एक अज्ञात मार्ग छिपा है - एक ऐसा मार्ग जो क्षेत्र की नियति को फिर से परिभाषित कर सकता है और लाखों लोगों को आशा की किरण प्रदान कर सकता है।
अच्छे पड़ोसी सुरक्षित आस- पड़ोस बनाते हैं और सुरक्षित बाड़ें सुरक्षित पड़ोस बनाती हैं। सह-अस्तित्व के ये प्राचीन सिद्धांत भारतीय उपमहाद्वीप पर अच्छी तरह से लागू होते हैं।
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... एक साझा बाजार की स्थापना खाद्य सुरक्षा को फिर से परिभाषित कर सकती है और अर्थव्यवस्थाओं को ऊपर उठा सकती है
भारत और पाकिस्तान के उतार- चढ़ाव भरे रिश्ते की जड़ें बहुत गहरी हैं, जो नफरत और हिंसा से भरे ख़राब इतिहास में उलझी हुई है ।
विभाजन की प्रचंड अग्निकुंड से जन्मे इन पड़ोसियों ने शायद ही कभी सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का आनंद लिया हो। जिंदगियाँ खो गईं, परिवार अलग हो गए और निरंतर भय की स्थिति ने इन दोनों देशों के बीच के परिदृश्य को परिभाषित किया हुआ है।
रूस-यूक्रेन युद्ध से सीख
समय बीतने के बावजूद, घाव बरकरार हैं, और सुलह की संभावना अक्सर हाथ ना आने वाली चीज़ लगती है।
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अच्छे पड़ोसी सुरक्षित आस - पड़ोस बनाते हैं...
बर्बर द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति ने दिखाया कि, पूर्व में शत्रु रहे देश अभिन्न मित्र राष्ट्रों में परिवर्तित हो गए। वे देश जो कभी घातक युद्ध में लगे हुए थे, अब मित्रों और संपन्न व्यापारिक साझेदारों के रूप में एकजुट हैं।
यूरोपीय संघ, जो सहयोग की शक्ति का प्रमाण है, युद्ध की राख से उभरकर अमेरिका और चीन जैसे प्रतिद्वंद्वियों को टक्कर देते हुए एक दुर्जेय आर्थिक शक्ति बन गया।
यह रूपांतरण राष्ट्रों के विकसित होने, शत्रुता को छोड़ देने और साझा भविष्य को अपनाने की उनकी क्षमता के प्रमाण के रूप में खड़ा है।
वास्तविकताओं की परस्पर तुलना:
इसके बिल्कुल विपरीत, भारत-पाकिस्तान संबंध शत्रुता के चक्रव्यूह में उलझे हुए हैं। वर्तमान में जब, दुनिया अभूतपूर्व वैश्विक एकीकरण और सीमा पार सहयोग (CBC) की गवाह बन रही है, तब ये दोनों देश अब भी नफरत के जाल में फंसे हुए हैं।
तीन युद्धों और अनगिनत झड़पों की प्रतिध्वनि इतिहास के माध्यम से गूंजती है, जो एक नया रास्ता खोजने की अत्यावश्यकता को उजागर करती है।
रचनात्मक संवाद के लिए मंचों का अभाव ही परिवर्तन की आवश्यकता पर ज़ोर डालने को रेखांकित करता है।
परमाणु टकराव के संहारक साये को स्वीकार किए बिना कोई भी भारत-पाकिस्तान की गतिशीलता पर चर्चा नहीं कर सकता।
अधिकांश विवेकपूर्ण दिमागों के लिए अकल्पनीय परमाणु टकराव के खतरे को कभी-कभी सार्वजनिक मंच पर महत्वहीन बना दिया जाता है।
ऐसे परिदृश्य की गंभीरता काफी हद तक कम हो गई है, क्योंकि, यह महज एक क्रिकेट प्रतिद्वंद्विता की पृष्ठभूमि बनकर रह गई है।
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जिंदगियाँ खो गईं, परिवार अलग हो गए और निरंतर भय की स्थिति ने इन दोनों देशों के बीच के परिदृश्य को परिभाषित किया हुआ है
यह खतरनाक वृतांत इस क्षेत्र को खतरनाक स्थिति से हटाकर स्थिरता की ओर ले जाने की अति- आवश्यकता को रेखांकित करता है।
आमूल-चूल बदलाव का समय आ गया है - व्यावहारिक समाधानों और समृद्धि के साझा दृष्टिकोण से प्रेरित बदलाव। जैसे कि, उपमहाद्वीप गरीबी, अस्थिरता और आर्थिक असमानताओं से जूझ रहा है, सहयोग के संभावित लाभ और भी अधिक सुस्पष्ट हो गए हैं।
इस समय पर यह बहुत जरूरी है कि, शांति वार्ता और कूटनीतिक प्रयासों को ठोस कार्रवाइयों द्वारा परिपूर्ण किया जाना चाहिए, जो यथापूर्व स्थिति को बदल दें।
निवेश की शक्ति:
अनिश्चितता के इस परिदृश्य में, भारत के शस्त्रागार में एक हथियार संभावित रूप से परिवर्तनकारी प्रभाव डाल सकता है - निवेश की शक्ति। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कुप्रबंधन और गतिहीनता के साये में डूबी हुई है।
हालाँकि आंतरिक चुनौतियों ने निश्चित रूप से इस पड़ोसी की इस विकट परिस्थिति में योगदान दिया है किंतु, इसको ऊपर उठाने की जिम्मेदारी न केवल इसके अपने कंधों पर है, बल्कि, उससे अधिक इसके समृद्ध समकक्षों के कंधों पर भी है।
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यूरोपीय संघ, सहयोग की शक्ति का प्रमाण ...
पाकिस्तान में निवेश करना केवल भलाई का कार्य नहीं है; यह एक रणनीतिक कदम है जिसमें पर्याप्त लाभांश प्राप्त करने की क्षमता है।
जैसे ही भारत पाकिस्तान की मदद के लिए हाथ बढ़ाएगा, उसे एक विस्तारित बाज़ार तक अभूतपूर्व पहुंच का इनाम मिल सकता है। आर्थिक परिदृश्य बदल सकता है, जिससे आर्थिक महाशक्तियों के लिए एक साझा बाज़ार तैयार हो सकता है।
इसके अलावा, कम श्रम लागत का तुलनात्मक लाभ उन व्यवसायों को प्रोत्साहित कर सकता है जो अपनी पहुंच का विस्तार करना चाहते हैं।
पाकिस्तान में निवेश का आकर्षण आर्थिक गणनाओं से परे है। अप्रयुक्त संसाधनों के विशाल भंडार - उपजाऊ कृषि भूमि से लेकर समृद्ध खनिज भंडार तक - संभावनाओं का एक कैनवास प्रस्तुत करते हैं जो प्रगति के साथ रंगने की प्रतीक्षा कर रहा है।
भारत और पाकिस्तान के बीच सहयोगात्मक प्रयास इन खजानों को खोल सकते हैं, आर्थिक विकास में वृद्धि कर सकते हैं और साझा उद्देश्य की भावना को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
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यूरोप के ऐतिहासिक संघर्षों और सबसे महत्वपूर्ण एकता के सबक भारत और पाकिस्तान के लिए आशा की किरण हैं
सद्भावना का एक प्रतीक (प्रकाशस्तंभ ):
इस तरह के प्रयास का लाभ वित्तीय लाभ से कहीं अधिक है। आर्थिक और राजनीतिक उथल-पुथल के इस समय में पाकिस्तान के प्रति एक सहायक इशारा, इसकी आबादी के बीच भारत के लिए सद्भावना की लहर पैदा कर सकता है।
इस तरह सद्भावना की तरंग प्रभाव क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने की सीमा तक फैल सकती है।
विदेशी निवेश राजनेताओं और नेताओं को जवाबदेह बनाए रख सकता है, जबकि साझा बुनियादी ढांचा विफल होने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगा। जवाबदेही, निवेश और विकास का एक साथ मिलना निरंतर समृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
शांति की ओर यात्रा अक्सर कठिनाइयों भरी होती है, किन्तु, इसका फल बहुत बड़ा होता है। पाकिस्तान में निवेश करके, भारत के पास सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की नींव रखने का एक अनूठा अवसर है।
जैसा कि, यूरोप ने प्रदर्शित किया है, साझा हित और आर्थिक परस्पर निर्भरता एकता के लिए शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकते हैं । शांति का मार्ग अज्ञात हो सकता है, लेकिन इसकी मंजिल के लिए की गई यात्रा सार्थक होती है।
तालमेल का वादा:
दोनों पक्ष इस रिश्ते में मौजूद तालमेल की संभावना को स्वीकार करते हैं।
कृषि के क्षेत्र में, एक साझा बाजार की स्थापना खाद्य सुरक्षा को फिर से परिभाषित कर सकती है और अर्थव्यवस्थाओं को ऊपर उठा सकती है - खनन और खनिजों के अज्ञात क्षेत्र इस ओर इशारा करते है और आपसी समृद्धि का मौका प्रदान करते हैं।
भारत के लिए यह समझने का समय आ गया है कि, एक अछूता पड़ोस सुरक्षा की कुंजी नहीं है; इसके बजाय, क्षेत्रीय स्थिरता और सहयोग को बढ़ावा देने से स्थायी शांति का मार्ग प्रशस्त होगा।
यूरोपीय रूपरेखा को अपनाना:
यूरोप के ऐतिहासिक संघर्षों और सबसे महत्वपूर्ण एकता के सबक, भारत और पाकिस्तान के लिए आशा की किरण हैं । शांति का मार्ग पहले भी अपनाया जा चुका है, और सीखने के इच्छुक लोगों के लिए सद्भाव का सूत्र मौजूद है।
चूंकि सदियों की शत्रुता ने एकजुट यूरोपीय संघ का मार्ग प्रशस्त किया, इसलिए भारत और पाकिस्तान इस मॉडल से प्रेरणा ले सकते हैं।
यह सहयोग, आर्थिक एकीकरण और साझा भविष्य को आगे बढ़ाने पर बनाया गया एक मॉडल है।
भू-राजनीति के महायुद्ध में भारत और पाकिस्तान एक चौराहे पर खड़े हैं। उनके पास या तो शत्रुता के चक्र को कायम रखने या साझेदारी और प्रगति की एक नई कहानी के लिए मार्ग प्रशस्त करने की शक्ति है।
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जैसा कि, यूरोप ने प्रदर्शित किया है, साझा हित और आर्थिक परस्पर निर्भरता एकता के लिए शक्तिशाली उत्प्रेरक हो सकते हैं
पाकिस्तान में निवेश करके, भारत ऐतिहासिक शिकायतों को दूर कर सकता है और एक उज्जवल भविष्य के बीज बो सकता है।
जैसे-जैसे मानसिकता की बाधाएं टुकड़े- टुकड़े होंगी और मानसिक सीमाएं समाप्त होती हैं, दो अरब, आत्माओं की सामूहिक क्षमता अंततः उजागर हो सकती है - मतभेद में नहीं, बल्कि सद्भाव में।
यह विश्वास की एक साहसिक छलांग है, किन्तु, वह छलांग जो इतिहास की दिशा को बदल सकती है और शांति और समृद्धि की एक नई सुबह की चाह रखने वाले क्षेत्र को एकजुट कर सकती है।
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