तालिबान की वैधता: एक बार फिर गतिरोध
तालिबान की वैधता: एक बार फिर गतिरोध
Legitimacy of Taliban: Stalemate Again का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
अफ़ग़ानिस्तान की सरकार के रूप में तालिबान की वैधता का सवाल एक बहुआयामी मुद्दा है जो ऐतिहासिक संदर्भ, उभरती राजनीतिक वास्तविकताओं और विविध दृष्टिकोणों से भरा हुआ है।
1990 के दशक में तालिबान के सामने आने से पहले, अफ़ग़ानिस्तान का राजनीतिक परिदृश्य अस्थिरता और संघर्ष से चिह्नित था।
सोवियत-अफगान युद्ध (Soviet-Afghan War) (1979-1989) और उसके बाद के गृह युद्ध ने देश को खंडित कर दिया और अफ़ग़ानिस्तान सुव्यवस्था के लिए तड़प गया।
इन परिस्थितियों में, तालिबान ने इस्लामी कानून की सख्त व्याख्या के माध्यम से शांति और सुरक्षा की बहाली का वादा किया, जिससे उसने लोकप्रियता को अपनी ओर आकर्षित किया।
शुरुआती दिनों में व्यापक अराजकता को रोकने में उनकी तेजी से सैन्य जीत और महसूस होती प्रभावशीलता ने उन्हें युद्ध से थके हुए अफ़ग़ानों के बीच कुछ हद तक स्वीकृति दिलवाई।
1990 के दशक में तालिबान के पहले शासन के दौरान, उन्हें पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से औपचारिक मान्यता प्राप्त हुई। हालाँकि, 2001 में अमेरिका के नेतृत्व वाले हस्तक्षेप के बाद यह मान्यता रद्द कर दी गई थी।
वैधता
दिसंबर 2023 तक, अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार को किसी भी राष्ट्र-राज्य (Nation-state) से कोई औपचारिक मान्यता नहीं मिली है।
अंतर्राष्ट्रीय मान्यता का प्रश्न तालिबान की वैधता के दावे को और अधिक जटिल बना देता है।
अगस्त 2021 में उनके क़ब्जे के बाद से ही, किसी भी देश ने औपचारिक रूप से तालिबान को अफ़ग़ानिस्तान की वैध सरकार के रूप में मान्यता नहीं दी है।
मान्यता की कमी, तालिबान के मानवाधिकार रिकॉर्ड, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता (Freedom of expression) के बारे में चिंताओं से उत्पन्न होती है ।
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अवैध अफ़ीम अर्थव्यवस्था का अनुमान 660 करोड़ अमेरिकी डॉलर है
इसके अलावा, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने तालिबान की समावेशिता के प्रति प्रतिबद्धता और अफ़ग़ानिस्तान को आतंकवादी समूहों की शरण लेने की जगह बनने से रोकने की उसकी क्षमता पर अविश्वास जताया है।
जबकि औपचारिक मान्यता हाथ ना आने वाली चीज़ बनी हुई है, चीन और रूस सहित कुछ देश कूटनीतिक रूप से तालिबान सरकार के साथ जुड़े हुए हैं।
यह जुड़ाव क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग को प्राथमिकता देता है, किन्तु समर्थन या मान्यता का गठन नहीं करता है।
यह सवाल कि, क्या तालिबान को संयुक्त राष्ट्र (UN) महासभा में अफ़ग़ानिस्तान का प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी जानी चाहिए, एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। दोनों पक्षों के पास मजबूत तर्क मौजूद हैं, और किसी भी निर्णय के संभावित परिणाम होते हैं।
प्रतिनिधित्व देने के लिए तर्क
· संप्रभुता और प्रतिनिधित्व: प्रत्येक * संप्रभु राष्ट्र (Sovereign nation) को संयुक्त राष्ट्र (UN) में प्रतिनिधित्व का अधिकार है, और तालिबान को इस अधिकार से वंचित करना संगठन को आधार देने वाले सार्वभौमिकता सिद्धांत को कमजोर कर सकता है।
तालिबान को मान्यता देने से संचार और जुड़ाव में आसानी होगी, संभावित रूप से उनके व्यवहार पर असर पड़ेगा और अफ़ग़ानिस्तान के भीतर सकारात्मक बदलाव को बढ़ावा मिलेगा।
· स्थिरता: प्रतिनिधित्व देने से तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मानदंडों और मानकों का पालन करने के लिए प्रोत्साहन मिल सकता है, जिससे संभावित रूप से वे अधिक जवाबदेह होने और सुधार के लिए तैयार हो जाएंगे।
यह अफ़ग़ानिस्तान के भीतर अधिक स्थिरता और सुरक्षा में योगदान दे सकता है, आंतरिक संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता के जोखिम को कम कर सकता है।
· मानवीय सहायता: तालिबान के साथ जुड़ना महत्वपूर्ण हो सकता है, यह सुनिश्चित करने के लिए अफ़ग़ान लोगों तक मानवीय सहायता और मदद पहुँचाई जा सके , जिनमें से कई लोग गंभीर मानवीय चुनौतियों का सामना करते हैं।
तालिबान को आधिकारिक प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने से मानवीय प्रयासों पर सहयोग और सामंजस्य के रास्ते खुल सकते हैं।
तालिबान की अपने शासन को मजबूत करने और वैधता हासिल करने की क्षमता, उनकी विभिन्न महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने की योग्यता पर टिकी हुई है।
आर्थिक कठिनाई, एक मानवीय संकट और निरंतर विद्रोह यह सभी स्थितियां उनकी स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण खतरें पैदा करते हैं।
इसके अलावा, व्यापक मान्यता प्राप्त करने और विकास सहयोग जिसकी जरूरत इस वक़्त उसे बहुत अधिक है , उसके ताले को खोलने के लिए , पड़ोसी देशों के साथ जटिल संबंधों को सुलझाने के लिए मार्ग ढूँढना और अंतरराष्ट्रीय सद्भावना को बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
प्रतिनिधित्व देने के विरुद्ध तर्क
मानवाधिकार संबंधी चिंताएँ
मानवाधिकारों पर तालिबान का अतीत और चल रहा रिकॉर्ड, विशेष रूप से महिलाओं के अधिकारों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संबंध में, गंभीर चिंताएं पैदा करता है क्योंकि, उनका प्रतिनिधित्व ऐसी प्रथाओं को वैध और प्रोत्साहित कर सकता है।
उन्हें संयुक्त राष्ट्र (UN) में एक मंच प्रदान करना उनके कार्यों को नज़रअंदाज़ करने और संगठन के बुनियादी मूल्यों को कमजोर करने के रूप में देखा जा सकता है।
लड़कियों को बड़े पैमाने पर माध्यमिक विद्यालय और उससे ऊपर के स्कूल में जाने से रोक दिया जाता है, जिससे उनके शैक्षिक अवसरों में बाधा आती है और उनकी संभावनाएँ भी सीमित हो जाती हैं।
10 लाख से अधिक लड़कियाँ माध्यमिक शिक्षा से वंचित हैं , यह उस देश के लिए एक भयानक हानि (बाधा) है जहाँ पर महिला साक्षरता दर, पूर्व में बढ़कर लगभग 30% हो गई थी।
यही शिक्षा का खंडन उनके व्यक्तिगत विकास को कमजोर करता है और अफगानिस्तान को भविष्य के डॉक्टरों, इंजीनियरों, शिक्षकों और नेताओं के संभावित योगदान से वंचित करता है।
महिलाओं को यात्रा प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, जिसके लिए अक्सर उन्हें अपने साथ सुरक्षा के लिए, पुरुष अनुरक्षक की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी स्वतंत्रता में उल्लेखनीय रूप से कटौती होती है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वास्थ्य सेवाओं की मांग करने वाली महिलाओं में 50% की कमी की रिपोर्ट दी है
महिलाओं की यात्रा पर प्रतिबंध ने उनके स्वास्थ्य और कल्याण पर नकारात्मक प्रभाव डाला है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वास्थ्य सेवाओं की मांग करने वाली महिलाओं में 50% की कमी की रिपोर्ट दी है, जो अनुपचारित (इलाज नहीं किया हुआ ) बीमारियों और स्वास्थ्य हस्तक्षेपों (Health interventions) में देरी करने की चिंताजनक प्रवृत्ति का संकेत देती है।
अनिवार्य रूप से सिर ढंकना और ढीले कपड़े पहनना महिलाओं की अभिव्यक्ति और पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करता है। सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए अवसर गंभीर रूप से सीमित हैं, जो उन्हें कई व्यवसायों से बाहर धकेल रहे है।
सार्वजनिक क्षेत्र में महिलाओं के रोजगार में 80% से अधिक की गिरावट आई है, जो हाल के वर्षों में हुई प्रगति से बिल्कुल उलट है।
सरकार, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा में, नौकरियों का यह नुकसान एक महत्वपूर्ण प्रतिभा पलायन और अफ़ग़ानी महिलाओं के कौशल और प्रतिभा का उपयोग करने के लिए, एक छुटे अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।
घरेलू हिंसा और जबरन शादियों की रिपोर्टें बढ़ी हैं, जो महिलाओं और लड़कियों की अतिसवेंदनशीलता को उजागर करती हैं।
यह प्रथा न केवल लड़कियों और महिलाओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है, बल्कि नियंत्रण और दमन के एक हथियार के रूप में भी काम करती है, जिससे लैंगिक असमानता आगे बढ़कर और मजबूत स्थिति बनाती है।
घरेलू हिंसा में 28% की वृद्धि हुई है, जो घरों के भीतर बढ़ती हिंसा की एक गंभीर तस्वीर पेश करती है।
इस वृद्धि के संभावित कारक बढ़ता तनाव, आर्थिक कठिनाई और दुर्व्यवहार का सामना करने वाली महिलाओं का * सहायता प्रणालियों से कटाव है।
समावेशिता का अभाव
जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के सीमित प्रतिनिधित्व के साथ, तालिबान की सरकार को वर्तमान में समावेशी के रूप में नहीं देखा जाता है।
यह चिंता पैदा करता है कि उनका प्रतिनिधित्व सभी अफ़ग़ानों की आवाज़ और हितों को प्रतिबिंबित नहीं करेगा, जिससे देश के भीतर मौजूदा विभाजन और संघर्ष, संभावित रूप से और अधिक बिगड़ेंगे।
अफ़ग़ानिस्तान के भीतर ही, तालिबान की वैधता सभी के द्वारा स्वीकृत होने से बहुत दूर है।
यद्यपि आबादी का कुछ हिस्सा, उनके सुरक्षा और पारंपरिक मूल्यों पर ध्यान केंद्रित करने की सराहना कर सकता हैं, ख़ास तौर से ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाला, बाकी अन्य, विशेष रूप से, शहरी अफ़ग़ान और अल्पसंख्यक समूह, उनसे गहरी आपत्ति रखते हैं।
लक्षित हत्याओं और उत्पीड़न की रिपोर्टों के साथ, हज़ारा, शिया और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भेदभाव और धमकियों का सामना करना पड़ता है।
जातीय अल्पसंख्यक लोग जैसे नूरिस्तानी, उज़बेक, ताजिक, हिंदू, सिख और अन्य, सत्ता संरचनाओं की तरफ से उपेक्षा और बहिष्कार का अनुभव कर सकते हैं।
असहमति जताने पर तालिबान की लोगों पर कठोर कार्रवाई, महिलाओं की शिक्षा और रोजगार पर प्रतिबंध और धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन ने आंतरिक विरोध और अस्थिरता को बढ़ावा दिया है।
आतंकवाद का समर्थन
आतंकवादी समूहों के साथ तालिबान के ऐतिहासिक संबंध और भविष्य में उनके द्वारा ऐसे समूहों को शरण देने की संभावना एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है।
उन्हें मान्यता देने से आतंकवाद के प्रति सहनशीलता का संदेश जा सकता है और इससे निपटने के अंतरराष्ट्रीय प्रयास कमजोर हो सकते हैं।
यह ध्यान में रखते हुए कि तालिबान, जो एक समय में, एक नामित आतंकवादी समूह था, अब एक सरकार है, अफ़ग़ानिस्तान से सक्रिय, नामित आतंकवादी समूहों की एक निश्चित सूची इसे प्रदान करना ऐसे पदनामों से जुड़ी जटिलताओं और स्थिति की गतिशील प्रकृति के कारण चुनौतीपूर्ण है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UN Security Council), अमेरिका और अन्य देश, इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएस-केपी) (Islamic State Khorasan Province) को आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करते हैं।
अल-कायदा (Al-Qaeda) 9/11 के हमलों और अन्य अत्याचारों के पीछे अंतर्राष्ट्रीय आतंकवादी संगठन है।
भले ही उनका मुख्य नेतृत्व सीधे तौर पर अफ़ग़ानिस्तान से संचालन नहीं कर रहा हो सकता, लेकिन वे आईएस-केपी (IS-KP) जैसे क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संबंध बनाए रखते हैं।
हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network), जिसे अमेरिका और अन्य देशों द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है, तालिबान से संबंध रखने वाला एक शक्तिशाली विद्रोही समूह है, जो आत्मघाती हमलावरों और अपहरणों का उपयोग करके हमलों के लिए जाना जाता है।
तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) (Tehrik-e-Taliban Pakistan), जिसे पाकिस्तान एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित करता है, मुख्य रूप से पाकिस्तान में संचालित होता है लेकिन उसने अफ़ग़ानिस्तान में हमलों को अंजाम दिया हैं।
संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) (Lashkar-e-Taiba), एक पाकिस्तान-आधारित आतंकवादी समूह है जिसका अफ़ग़ानिस्तान में संचालन का इतिहास है।
अफ़ग़ानिस्तान और तालिबान एक ऐसी कहानी है जो ऐतिहासिक कहानियों, इस्लामी कानून की विवादास्पद व्याख्याओं, उभरती राजनीतिक वास्तविकताओं और एक विविध आबादी की आकांक्षाओं से जटिल रूप से बुनी गई है।
हालाँकि तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान के अधिकांश हिस्से पर वास्तविक नियंत्रण स्थापित कर लिया है, लेकिन वैधता का उनका दावा, नाजुक बना हुआ है, आंतरिक विरोध, अंतर्राष्ट्रीय संदेह और प्रभावी ढंग से और समावेशी रूप से शासन करने की उनकी क्षमता का लगातार परीक्षण किया जा रहा है।
तालिबान की विफलता के परिणाम
अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान सरकार की विफलता के संभावित परिणाम जटिल और अनिश्चित हैं, जो उनकी असफलताओं के पैमाने और प्रकृति पर निर्भर करता है। यहां पर कुछ संभावनाएं तलाशी गई हैं:
आंतरिक अस्थिरता
यदि तालिबान सुरक्षा, आर्थिक सुधार, या अधिक स्वतंत्रता के वादों को पूरा करने में विफल रहता है, तो व्यापक असंतोष विरोध प्रदर्शन और यहां तक कि सशस्त्र विद्रोह में भी प्रकट हो सकता है, खासकर हाशिए पर रहने वाले समूहों के बीच।
तालिबान के प्रदर्शन के प्रति असंतोष से, समूह के भीतर मौजूदा विभाजन की स्थिति, और अधिक गंभीर हो सकती है, जिससे संभावित रूप से आंतरिक सत्ता संघर्ष और यहां तक कि सशस्त्र संघर्ष भी हो सकता है।
तालिबान से मोहभंग, पिछली सरकार के अवशेषों या विद्रोही गुटों सहित, अन्य सशस्त्र समूहों के लिए, पकड़ हासिल करने और उनके नियंत्रण को चुनौती देने के अवसरों का निर्माण कर सकता है।
क्षेत्रीय प्रभाव
अफ़ग़ानिस्तान में अस्थिरता, हिंसा और कठिनाई से देश छोड़कर भागने वाले शरणार्थियों की एक नई लहर को शुरू कर सकती है, जिससे पड़ोसी देशों पर दबाव पड़ेगा और संभावित रूप से क्षेत्र अस्थिर हो सकता है।
* यूएनएचसीआर ग्लोबल फोकस (UNHCR Global Focus) के अनुसार - अफगानिस्तान स्थिति , 2023 तक यह है, 32 लाख से अधिक लोग देश के भीतर आंतरिक रूप से विस्थापित हैं, मुख्य रूप से संघर्ष, असुरक्षा और प्राकृतिक आपदाओं के कारण।
आंतरिक रूप से विस्थापित आबादी में 58% बच्चे शामिल हैं, जो उनके जीवन की अतिसंवेदनशीलता और दीर्घकालिक प्रभावों को उजागर करता है।
दूसरी ओर, वर्तमान में अनुमानित 82 लाख अफ़ग़ान लोग, पड़ोसी देशों, मुख्य रूप से ईरान और पाकिस्तान से शरण मांग रहे हैं । यह अफ़ग़ानिस्तान को दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा शरणार्थी संकट बनाता है, जो केवल यूक्रेन और सीरिया से पीछे है।
2021 में तालिबान के अधिग्रहण के बाद से, अफ़ग़ान शरणार्थियों की संख्या में 28% की वृद्धि हुई है, जो देश के भीतर बिगड़ती मानवीय स्थिति को दर्शाता है।
आतंकवादी समूहों को नियंत्रित करने या अंतर्निहित शिकायतों के निवारण में बढ़ती विफलता उनके पुनरुत्थान में ऐसी स्थिति प्रदान कर सकता है, जिससे अफ़ग़ानिस्तान और संभावित रूप से उसके पार भी सुरक्षा खतरे पैदा हो सकते हैं।
एक अराजकतापूर्ण या तालिबान-नियंत्रित अफ़ग़ानिस्तान आपराधिक गतिविधि और नशीले पदार्थों की तस्करी का स्वर्ग बन सकता है, जो संभावित रूप से क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता (Regional security dynamics) को प्रभावित कर सकता है।
ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (United Nations Office on Drugs and Crime (UNODC) के अनुसार, दुनिया में अफ़ीम उत्पादन के अग्रणी उत्पादक के रूप में, अफ़ग़ानिस्तान दुनिया के अवैध अफ़ीम उत्पादन का 80% से अधिक हिस्सा है ।
यूएनओडीसी वर्ल्ड ड्रग रिपोर्ट 2022 के अनुसार, 2021 में, अफीम की खेती 20 वर्षों में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, और 7,000 टन के पार हो गई।
अवैध अफ़ीम अर्थव्यवस्था का अनुमान 660 करोड़ अमेरिकी डॉलर है, जो अफ़ग़ानिस्तान के सकल घरेलू उत्पाद (GST) का लगभग आधा हिस्सा है, जो देश के आर्थिक परिदृश्य पर इसके विकृत प्रभाव को उजागर करता है । (विश्व बैंक, 2021) (World Bank)
इसके परिणामस्वरूप, हेरोइन (ड्रग्स) का उत्पादन और निर्यात रिकॉर्ड स्तर पर है।
यूएनओडीसी (UNODC) के अनुसार, उगाई गई 80% से अधिक अफ़ीम को हेरोइन के रूप में संसाधित किया जाता है, जिससे एक विशाल अवैध बाज़ार बनता है।
अफ़ग़ान हेरोइन कई महाद्वीपों तक पहुंचती है, जिससे पूरे यूरोप, एशिया और अफ्रीका में नशे की लत और अपराध को बढ़ावा मिलता है।
यूएनओडीसी का अनुमान है कि पूरे यूरोप में जब्त की गई लगभग 90% हेरोइन अफगानिस्तान से आती है।
वैश्विक हेरोइन व्यापार, सालाना अरबों डॉलर उत्पन्न करता है, आपराधिक नेटवर्क को बढ़ाता है और अफ़ग़ानिस्तान और उसके बाहर अस्थिरता को बढ़ावा देता है।
लत की महामारी के अनुमान से पता चलता है कि 15 लाख से अधिक अफ़ग़ान नशीली दवाओं की लत से जूझ रहे हैं, जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट और सामाजिक विघटन पैदा हो रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय मजबूरी
गंभीर मानवीय संकट की स्थिति में, तालिबान के शासन की परवाह किए बिना, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अफ़ग़ानिस्तान को मानवीय सहायता बढ़ाने के लिए विवश हो सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय तालिबान को मानवाधिकार, समावेशिता और आतंकवाद विरोधी प्रगति से जोड़कर, किसी भी प्रकार की सहायता के लिए, सशर्त समर्थन की पेशकश कर सकता है।
निरंतर मानवाधिकार उल्लंघन, समावेशिता की कमी, या आतंकवादी समूहों को पनाह देने से तालिबान सरकार, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा और अधिक अलग- थलग कर दिए जाने की स्थिति में पहुँच सकती है।
चुनौतियों के बावजूद, तालिबान को जवाबदेह रहने और उसपर मानवाधिकार की स्थिति में सुधार लाने के लिए ज़ोर देने में अंतरराष्ट्रीय जांच और वकालत महत्वपूर्ण बनी हुई है।
सभी अफ़ग़ानों, विशेष रूप से कमजोर समूहों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए इन उल्लंघनों पर निरंतर ध्यान देना आवश्यक है।
तालिबान के तहत अफ़ग़ानिस्तान का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है, और अप्रत्याशित घटनाएं, घटनाओं के क्रम को नाटकीय रूप से बदल सकती हैं।
फ़िलहाल, तालिबान को वैधता प्रदान करना आपत्तिजनक बना हुआ है, और अफ़ग़ानों का भविष्य बहुत बुरा है।
* किसी राष्ट्र को संप्रभु तब माना जाता है जब उसके पास एक एकल, केंद्रीकृत सरकार होती है जिसके पास किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र पर शासन करने का अधिकार होता है।
* सहायता प्रणाली की परिभाषा यह है कि आपके पास ऐसे लोगों का एक नेटवर्क है जो आपको व्यावहारिक या भावनात्मक सहायता प्रदान कर सकता है।
ये सहायता प्रणालियाँ आपके समग्र स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करेंगी और तनाव और चिंता को कम करने में मददगार साबित होंगी।
एक सहायता प्रणाली होने का मतलब है कि आपके पास ऐसे लोग हैं जिन पर आप उस समय भरोसा कर सकते हैं जब आपको उनकी सबसे अधिक आवश्यकता है।
इसका मतलब यह है कि जब भी आप किसी कठिन परिस्थिति में हों तो ऐसे लोग हैं जिन पर आप भरोसा कर सकते हैं।
* शरणार्थीयो हेतु संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त का कार्याकाल। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्थापित, यूएनएचसीआर 70 वर्षों से अधिक समय से संघर्ष और उत्पीड़न से भागने को मजबूर लोगों की रक्षा कर रहा है।
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