क्या आधुनिक ओलंपिक निष्पक्ष है?
क्या आधुनिक ओलंपिक निष्पक्ष है?
Is Modern Olympics Fair? का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
ओलंपिक खेल अत्यधिक उत्साह के साथ आयोजित होते हैं। यह व्यक्तिगत एथलीटों द्वारा ढेर सारी प्रेरणादायक, भावनाओं और कड़ी मेहनत की कहानियां बनाते हैं, जो गंभीर प्रश्न यहां पर उठते है वह है गरीब देशों के प्रति इसकी निष्पक्षता ।
इतिहास ने यह स्पष्ट किया है कि 28 में से जितनी बार यह खेल आयोजित किए गए, केवल 19 देशों ने इनकी मेज़बानी की और इनमें से कुछ ने तो कई बार । 22 शहरों ने खेलों की मेजबानी की । यहाँ पर उन देशों की सूची है।
अवलोकन यह है कि केवल धनी देशों ने ही ओलम्पिक खेलों की मेजबानी की है। साथ ही, वे देश ही अधिकांश एथलीटों को इन खेलों में भेजते हैं। कुछ देशों में एकल अंकों में एथलीट हैं।
टोक्यो 2020 ओलंपिक में, 13 देशों में सिर्फ दो एथलीट थे, जबकि सबसे बड़ी टीम 613 सदस्यों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका की थी।
क्या ओलम्पिक कोई अमीर देशों का क्लब है जिसमें अन्य राष्ट्र भाग लेते हैं, केवल अतिथियों के रूप में? दुर्भाग्य से, ओलंपिक शुरू होने के बाद से, केवल कुछ देशों ने ही लगातार सर्वाधिक पदक जीते हैं।
* मेजबान देशों को इंगित करता है
इन वर्षों में, ओलंपिक मेजबानी की लागत बहुत विशाल हो गई है - अधिकतर पर्यटकों, कर्मचारियों की व्यवस्था, सुरक्षा और प्रशिक्षण सुविधाओं में सुधार के लिए ।
ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए, अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति को मेजबान देश में 40,000 होटल के कमरे और 15,000 एथलीटों, अधिकारियों और कर्मचारियों को समायोजित करने के लिए एक खेल गांव (Games village) की आवश्यकता होती है।
एक विपरित( रिवर्स) गणना में, केवल अमीर शहर जो, एक बड़ी आबादी के साथ और भविष्य में उन कई कमरों की सेवाई (सर्विसिंग) कर सकेंगे वही मेजबानी के लिए उपयुक्त होंगे। बुनियादी ढांचे के लिए ये गणना कुल व्यय की हुई लागत से अधिक है।
उदाहरण के लिए, हाल ही के दिनों में, 2012 के लंदन ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की लागत 1400 करोड़ डॉलर और 2020 टोक्यो की कीमत लगभग 2800 करोड़ डॉलर थी।
टोक्यो खेलों के दौरान महामारी से निपटने के लिए अतिरिक्त लागत को ध्यान में रखते हुए, देश द्वारा ओलंपिक की मेजबानी के लिए खर्च किए गए धन की सीमा लगभग 2000 करोड़ थी।
कितने देश इतना खर्चा कर पाने में सक्षम हैं और भविष्य में आधारभूत संरचना का उपयोग कर सकते हैं?
एथेंस ओलंपिक खेलों ने देश को कर्ज में डाल दिया था जिस कारण वह अब 24 साल बाद भी इनकी मेजबानी नही कर सकता । इसके अलावा, यूनानियों के लिए ये जो आर्थिक कठिनाईयां लाया वह कई अन्य सामाजिक-आर्थिक समस्याओं द्वारा व्यक्त हुई।
इस लागत का शुद्ध प्रभाव यह है कि इच्छुक एथलीटों के लिए भी वे खेल महंगे हो गए हैं। सबसे सस्ता ट्रैक और फील्ड है, सबसे महँगे है घुड़सवारी, गोल्फ, नौकायन और इनडोर साइकिलिंग कार्यक्रम।
विभिन्न आयोजनों में परिवहन की लागत के अलावा घोड़े के मालिक होने में लगभग दस लाख डॉलर लगते हैं। एक सवार के लिए, उनके पास कई घोड़े होने चाहिए। निश्चित रूप से, यह सामान्य आर्थिक साधनों के खिलाड़ी के लिए नहीं है।
वही नौकायन (Sailing) और गोल्फ के लिए यह अच्छा है।
मेजबान देश के लिए यह एक व्यावसायिक, आर्थिक, सामाजिक और खेल संबंधी लाभ है। आवास, स्टेडियम और परिवहन के निर्माण के कारण बुनियादी ढांचे में सुधार होता है।
पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, जो ओलंपिक आयोजन की तुलना में बहुत बाद तक चलता है। दुनिया को देश के बारे में और अधिक जानने को मिलता है।
आर्थिक रूप से, देश को प्रायोजन, टेलीविजन और प्रसारण अधिकार, स्थानीय व्यापार और रोजगार सृजन से लाभ होता है। सवाल यह है कि ओलिंपिक खेलों की मेजबानी दुनिया के अमीर देशों के बीच एक कुर्सी दौड़ क्यों है।
यह भी संभव है कि विकासशील राष्ट्र निवेश और वितरित लाभप्रदता (distributed profitability) के माध्यम से सार्वभौमिक वित्त पोषण की सहायता से मेजबानी कर सकें।
हालांकि, अगर मिस्र, फिलीपींस, बोत्सवाना या जॉर्डन जैसे देश ओलंपिक आयोजित करना चाहते हैं, तो वे मौजूदा मॉडल में कभी भी लाभ नहीं प्राप्त कर पाएंगे।
उन 28 खेलों के दौरान, सबसे अधिक पदक जीतने वाले शीर्ष 10 देश वे हैं जो G7 और विकसित अर्थव्यवस्थाएं हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका - (2980 पदक)
यूनाइटेड किंगडम - (948 पदक)
जर्मनी - (892 पदक)
फ्रांस - (874 पदक)
इटली - (742 पदक)
चीन - (696 पदक)
स्वीडन - (661 पदक)
ऑस्ट्रेलिया - (562 पदक)
जापान - (555 पदक)
रूस - (547 पदक)
फिर कुछ देशों ने हाल ही में अपना पहला ओलंपिक स्वर्ण पदक प्राप्त किया , जैसे 2016 में सिंगापुर, 2012 में बहरीन, कुवैत 2016, जॉर्डन 2016, वियतनाम 2016 और 2021 में फिलीपींस।
इसलिए यहां पर खेलों में एक असंतुलन है जो एक सदी से अधिक समय तक चला ।
बहुत से लोग ओलंपिक में देश के प्रदर्शन का मूल्यांकन नहीं करना चाहेंगे बजाय जीते गए पदकों की संख्या के । इनके पीछे सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्वतंत्रता की एक महत्वपूर्ण परस्पर क्रिया है।
यदि किसी देश के पास एक खेल का समर्थन करने वाले पर्याप्त संस्थान नहीं , तो पदक हासिल करने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
भारत की तरह, 130 करोड़ की आबादी के साथ, हर साल 2 करोड़ साइकलों का उत्पादन करते हुए जो कि विश्व स्तर पर सबसे अधिक है उसके पास अब तक इस खेल में जीता एक भी पदक नहीं ।
दूसरी ओर, अफ्रीका में छोटी आबादी वाले देश किसी भी अन्य विकसित या विकासशील देश की तुलना में लंबी दूरी की दौड़ में अधिक पदक जीत रहे हैं। इसलिए देशों के प्रदर्शन के दो महत्वपूर्ण संकेतक (सूचक) प्रकाशित किये जाने चाहिए।
यह किसी भी देश के खेल प्रदर्शन की वास्तविक तस्वीर पेश करेगा।
· प्रति व्यक्ति जनसांख्यिकीय श्रेणीक्रम — देश की प्रति मिलियन जनसंख्या पर पदकों की संख्या।
· प्रति-जीडीपी जनसांख्यिकीय श्रेणीक्रम — देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के प्रति मिलियन डॉलर में पदकों की संख्या।
खेल प्रतिस्पर्धी बन गए हैं, और उनमें से अधिकांश के लिए दशकों के अभ्यास की आवश्यकता होती है। नतीजतन, खेल संबंधी पेशे की जीवनावधि (Shelf life) छोटी होती है और कभी-कभी एक से अधिक ओलंपिक नहीं ।
असमान धन वितरण और आर्थिक स्वतंत्रता प्रतिबंधित देशों में, खिलाड़ी गरीबी या कम आय वाली स्थिति में पहुँच जाता है ।
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ओलंपिक समिति को वैश्विक लोकप्रियता वाले खेलों से बचना चाहिए, अलग से विश्व स्पर्धाएँ (Championships) आयोजित और मेगा फंडिंग करनी चाहिए
कुछ खेलों में एक विशेष बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है, जो कि एक जरुरी शर्त होती है खेल को सीखना शुरू करने के लिए । जैसे इनडोर साइकिलिंग, जिसमें डाइविंग के लिए एक महंगे वेलोड्रोम या 30 फीट गहरे पूल की आवश्यकता होती है।
हालांकि, ट्रैक और क्रीड़ाक्षेत्र (फील्ड) स्पर्धाओं से भिन्न, धावकों (Runners) को किसी भी उपयुक्त स्थान पर अभ्यास करने की अधिक स्वतंत्रता होती है।
ओलंपिक समिति को वैश्विक लोकप्रियता वाले खेलों से बचना चाहिए, अलग से विश्व स्पर्धाएँ (Championships) आयोजित और मेगा फंडिंग करनी चाहिए।
उदाहरण के लिए, गोल्फ, फ़ुटबॉल, टेनिस, घुड़सवारी जैसे खेलों में पहले से ही कई अरबों प्रायोजन (sponsorships) हैं। इसलिए, ओलंपिक में उनका स्थान पहले से ही खेलों की पुनरावृत्ति (Duplication) और प्रतिस्पर्धा में असंतुलन को बढ़ावा देने जैसा है।
इसी तरह, यहां अगले ओलंपिक में जोड़े गए खेलों की सूची है। इनमें रग्बी, ब्रेकडांसिंग, बीएमएक्स साइकिलिंग, स्केटबोर्डिंग और सर्फिंग जैसे खेल अधिकांश देशों में नहीं खेले जाते हैं।
कई देशों में सर्फिंग का खेल नही खेला जा सकता क्योंकि ना ही उनके पास समुद्र तट या उनकी संस्कृति में यह है।
क्या इन खेलों को नहीं खेलने वाले अधिकांश देशों के लिए भाग लिए बिना हारना उचित है? वे अपने देश में कभी ना खेले गए खेल को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे पर खर्च कर सकते हैं।
ऐसा लगता है कि ओलंपिक में खेलों की संख्या संतृप्त (Saturated)हो गई है। उन्हें अनुकूलित (Optimized) करने की आवश्यकता है।
यदि कोई विशेष खेल कम से कम 50% भाग लेने वाले देशों में लोकप्रिय है, तो यह ओलंपिक में उसके समावेश (Inclusion) के लिए एक अच्छा कारण बन सकता है।
2024 के ओलंपिक में खेले जाने वाले खेल निम्नलिखित हैं। पाठकों के लिए नीचे दी गई सूची से यह निर्णय करना आसान होगा कि उनके देश में से इनमें से कितने खेल प्रचलित हैं।
निष्कर्ष
यदि ओलम्पिक को 21वीं सदी का असली मानवीय सहनशक्ति उत्सव बनना है तो एक आमूल परिवर्तन (Paradigm shift )आवश्यक है। सभी खिलाड़ियों के उत्थान के लिए यह सभी देशों का संयुक्त प्रयास होना चाहिए।
ओलंपिक का उद्देश्य पहले से ही विकसित देशों में खेले जाने वाले समृद्ध खेलों या खेलों को बढ़ावा देना नहीं है बल्कि गरीब देशों के एथलीटों को अवसर प्रदान करना है; 'अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ' को खिलाड़ी के आर्थिक भविष्य को सुरक्षित करने के लिए काम करना चाहिए।
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यदि राष्ट्रीय ओलंपिक समितियाँ सार्वभौमिक धन उपलब्ध करवाती हैं, तो इस तरह वे ओलंपिक के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद एथलीटों का समर्थन करेंगी
वे या तो देश-विशिष्ट पुरस्कार राशि देकर ऐसा कर सकते हैं। यह गरीब देशों से अधिक से अधिक प्रतिभाओं को आकर्षित करेगा। आज, कई खेल प्रतिभाओं की उपयोगिता कम हो गई है ।
उन्हें त्याग दिया गया है क्योंकि खिलाड़ी अपने परिवार के भरण पोषण की विवशता के कारण एक पेशे में चले गए हैं।
एक समाधान के रूप में, यदि राष्ट्रीय ओलंपिक समितियाँ सार्वभौमिक धन उपलब्ध करवाती हैं, तो इस तरह वे ओलंपिक के दौरान और सेवानिवृत्ति के बाद एथलीटों का समर्थन करेंगी।
दुर्भाग्य से, कुछ देशों में अभी भी एक ओलंपिक समिति नहीं है, और चीजों की मरम्मती की आवश्यकता यही पर से है।
अलग-अलग राष्ट्रों को धन आबंटन करने के लिए छोड़ने से खेलों के विकास में बाधा आती है। हालांकि यह देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना हो सकता है, उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान किए हुए प्रतिभागी एथेलीट देकर ।
अतः अंतरराष्ट्रीय खेल समुदाय से अभी भी एक समाधान प्राप्त करने की आवश्यकता है।
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