स्पोर्ट्स वाशिंग
क्या खेलों के पीछे राष्ट्र अपने अपराध छिपा रहे हैं ?
स्पोर्ट्स वाशिंग
क्या खेलों के पीछे राष्ट्र अपने अपराध छिपा रहे हैं ?
Sportswashing - Are Nations Hiding Their Crimes Behind Games? का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
स्पोर्ट्सवॉशिंग (खेलों की धुलाई), एक पारिभाषिक शब्द जिसने हाल के वर्षों में प्रमुखता प्राप्त की है।
यह शब्द व्यक्तियों, समूहों, निगमों या यहां तक कि संपूर्ण सरकारों द्वारा गलत कार्यों से धूमिल हुई उनकी प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करने के लिए खेलों के उपयोग करने की प्रथा का वर्णन करता है।
यह प्रचार का एक रूप है जो अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों की मेजबानी से लेकर खेल टीमों को प्रायोजित करने या फिर, यहां तक कि खेलों में प्रत्यक्ष भागीदारी तक विभिन्न रूप ले सकता है।
इस पारिभाषिक शब्द को अक्सर मानवाधिकार उल्लंघनों और भ्रष्टाचार घोटालों से ध्यान हटाने के प्रयासों से जोड़ा गया है।
मूल रूप से, स्पोर्ट्सवॉशिंग धूमिल हुई प्रतिष्ठा के लिए प्रयोग की जाने वाली एक तकनीक के रूप में है।
वैश्विक मंच पर, स्पोर्ट्सवॉशिंग को देश की सौम्य शक्ति (सॉफ्ट पावर) से जोड़ा गया है। इस प्रथा को "स्पोर्टवॉशिंग" के रूप में लेबल किए जाने के शुरुआती उदाहरणों में से एक 2015 के यूरोपीय खेलों की अजरबैजान द्वारा बाकू (Baku) में मेजबानी के संदर्भ में था।
लेकिन यह किसी एक देश या क्षेत्र तक सीमित नहीं है बल्कि यह तथ्य सीमाओं और विचारधाराओं से परे है।
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मूल रूप से, स्पोर्ट्सवॉशिंग धूमिल हुई प्रतिष्ठा के लिए प्रयोग की जाने वाली एक तकनीक के रूप में है
स्पोर्ट्सवॉशिंग की पहुंच और महँगाई का एक पूर्ण रूप से उदाहरण सऊदी अरब है। मार्च 2021 में, मानवाधिकार संगठन ग्रांट लिबर्टी (Human rights organization Grant Liberty) ने बताया कि सऊदी अरब ने कथित तौर पर स्पोर्ट्सवॉशिंग गतिविधियों पर आश्चर्यजनक रूप से 150 करोड़ डॉलर खर्च किए थे।
इस तेल-समृद्ध साम्राज्य पर आरोप लगाया गया है कि इसने उच्चस्तरीय खेल आयोजनों का उपयोग, वैश्विक मंच पर अपनी प्रतिष्ठा को स्थापित करने के लिए किया है।
उदाहरण के लिए, सऊदी अरब के संप्रभु धन कोष (सार्वजनिक निवेश कोष ) ( पीआईएफ ) के नेतृत्व वाले एक समूह द्वारा प्रीमियर लीग क्लब न्यूकैसल, यूनाइटेड किंगडम (Premier League club Newcastle, United Kingdom) के अधिग्रहण ने काफी चिंताएँ पैदा कीं।
सऊदी अरब का सार्वजनिक निवेश कोष (पीआईएफ) (Saudi Public Investment Fund), जिसने इस सौदे के वित्तपोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उन्हें "कानूनी रूप से बाध्यकारी आश्वासन" (legally binding assurances") प्रदान किया कि यह राज्य से स्वतंत्र रूप से संचालित होता है।
हालाँकि, इन चिंताओं के पीछे के कारण मामूली नहीं हैं।
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स्पोर्ट्सवॉशिंग की पहुंच और महँगाई का एक पूर्ण रूप से उदाहरण सऊदी अरब है
एक अहम मुद्दा है मृत्युदंड का प्रयोग । मार्च 2021 में, एक ही दिन में 81 लोगों को फाँसी के फंदे पर चढ़ाने के साथ सऊदी अरब इतिहास में सबसे बड़ी संख्या में फाँसी की सज़ा देने वाला राष्ट्र बन गया। इसी कारण वह दुनिया का अपनी ओर ध्यान आकर्षित कर चुका है।
ये सजा-ए - मौत कई " घृणित अपराधों " के लिए दी गईं थी, जिसमें आतंकवाद, अपहरण और दुष्कर्म जैसे अपराध शामिल थें। इस तरह की प्रथाओं की दुनियाभर में व्यापक निंदा हुई है।
2018 में सरकार के आलोचक प्रमुख सऊदी पत्रकार जमाल ख़ाशोगी (Jamal Khashoggi) की हत्या ने सऊदी अरब की अंतरराष्ट्रीय साख को और अधिक नुकसान पहुँचाया।
संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा नियुक्त मानवाधिकार विशेषज्ञ ने निष्कर्ष निकाला कि सऊदी एजेंटों ने इस्तांबुल में सऊदी वाणिज्य दूतावास में ख़ाशोगी को मारने के लिए राज्य के साधनों का इस्तेमाल किया था।
युवराज ' मोहम्मद बिन सलमान ' (Mohammed bin Salman) सहित वरिष्ठ सऊदी अधिकारियों को इसमें फंसाया गया, जिससे युवराज की प्रतिष्ठा गंभीर रूप से धूमिल हुई।
इसके अतिरिक्त, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं को कारावास, बुद्धिजीवियों, मौलवियों और सुधारवादियों पर कड़ी कार्रवाई और यमन में चल रहे मानवीय संकट ने सऊदी अरब की छवि पर बुरा प्रभाव डाला है।
यह हमें एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर लाकर खड़ा करता है कि: क्या स्पोर्ट्सवॉशिंग प्रभावी है?
क्या यह वास्तव में किसी राष्ट्र की प्रतिष्ठा पर लगे दागों को मिटा सकता है जबकि वह संदिग्ध प्रथाओं में संलग्न रहता है?
क्या सऊदी अरब जैसे पर्याप्त संसाधनों वाले देशों को खेलों के बजाय मानवीय पीड़ाओं को कम करने वाले वित्तपोषण स्रोतों को प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए?
यह एक नैतिक दुविधा है जिसका सामना खेल जगत कर रहा है। यद्यपि खेलों की स्थिरता के लिए वित्तपोषण आवश्यक है, किन्तु, इसे वित्तपोषण स्रोतों की सच्चाई को परखने की चुनौती का भी सामना करना पड़ता है।
संदिग्ध स्रोतों से नाता तोड़ लेने से संभावित रूप से खेलों को ही नुकसान हो सकता है।
हालाँकि, सऊदी अरब के मामले में, जो कि एक अपार धन-संपदा वाला देश है वहाँ पर संसाधनों का उपयोग कैसे किया जाता है, इस पर विचार करना एक नैतिक अनिवार्यता है।
दुनिया यह सब देख रही है, और यही सवाल लंबे समय से बना हुआ है कि: क्या स्पोर्ट्सवॉशिंग वास्तव में किसी देश की प्रतिष्ठा को स्थापित कर सकता है, या यह केवल उसके दुष्ट कृत्यों पर एक तीव्र रोशनी डालता है?
इसका उत्तर, खेलों में तथा नैतिकता, जवाबदेही और वैश्विक विवेक के व्यापक क्षेत्र में निहित है।
' स्पोर्ट्सवॉशिंग ' के आरोपी राष्ट्रों के कुछ अन्य उदाहरण:
कतर को 2022 फीफा विश्व कप (FIFA World Cup) की मेजबानी करते वक़्त मुख्य रूप से श्रम अधिकारों और प्रवासी श्रमिकों के लिए काम करने की स्थिति से संबंधित संगठनों द्वारा स्पोर्ट्सवॉशिंग के आरोपों और उनकी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था।
चीन अपनी वैश्विक छवि को सुधारने के लिए बीजिंग ओलंपिक (Beijing Olympics) जैसे खेल आयोजनों का उपयोग करने का आरोपी रहा है, जबकि वह मानवाधिकारों के हनन और सेंसरशिप जैसे मुद्दों पर जांच का सामना कर रहा है।
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यह हमें एक महत्वपूर्ण प्रश्न पर लाकर खड़ा करता है कि: क्या स्पोर्ट्सवॉशिंग प्रभावी है ?
2014 सोची शीतकालीन ओलंपिक (Sochi Winter Olympics) की रूस द्वारा मेजबानी और विभिन्न खेल आयोजनों में इसकी भागीदारी नकारात्मक प्रचार को निष्प्रभावी करने के प्रयासों से जुड़ी हुई है, खासकर डोपिंग घोटालों के संबंध में।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की श्रम अधिकारों और राजनीतिक स्वतंत्रता से संबंधित चिंताओं का सामना करते हुए अपनी वैश्विक छवि को बेहतर बनाने के लिए खेल आयोजनों और खेल क्लबों में निवेश का उपयोग करने के लिए आलोचना की गई है।
बहरीन पर अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड और राजनीतिक अशांति से ध्यान हटाने के लिए खेलों, विशेष रूप से फॉर्मूला वन (Formula One) जैसे मोटरस्पोर्ट्स का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है।
तुर्की को फुटबॉल सहित अन्य खेलों को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक उपकरण के रूप में उपयोग करने के आरोपों का सामना करना पड़ा है, और अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड के लिए भी इसको आलोचना का सामना करना पड़ा है।
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