शिक्षकों को अमर बनाना
शिक्षकों को अमर बनाना
Making Teachers Immortal का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
अनुभवी शिक्षकों द्वारा संग्रह की हुई विशेषज्ञता, ज्ञान का भंडार, कक्षा बुद्धिमत्ता और शिक्षण तकनीकों का, खजाना है जो छात्रों और शिक्षा प्रणाली दोनों को समृद्ध करती है।
अक्सर दशकों के अनुभव वाले इन अनुभवी शिक्षकों के पास पाठ्यपुस्तकों और पाठ्यक्रम की सीमाओं से परे अंतर्दृष्टि का खजाना होता है। उनके योगदान कक्षा से आगे बढ़कर शिक्षा के भविष्य को आकार देते है।
हालाँकि, शिक्षकों को शाब्दिक अर्थ में "अमर" बनाने की आकांक्षा, उनके ज्ञान के शाश्वत अस्तित्व को दर्शाते हुए, एक महान और प्राप्य लक्ष्य है।
सवाल भावी पीढ़ियों को लाभान्वित करने के लिए अनुभवी शिक्षकों के ज्ञान, विशेषज्ञता और योगदान को सुरक्षित रखने पर ध्यान केंद्रित करने का है। इस सवाल पर सोच विचार करने के लिए कई रणनीतियाँ और दृष्टिकोण हैं:
उनकी बुद्धिमत्ता और संचित विशेषज्ञता को रिकॉर्ड करें
अनुभवी शिक्षकों को अपनी अंतर्दृष्टि, शिक्षण विधियों और अनुभवों का दस्तावेज़ीकरण करने के लिए प्रोत्साहित करना उनके ज्ञान को सुरक्षित करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसे लेखन, वीडियो या ऑडियो रिकॉर्डिंग, व्यक्तिगत डायरी और लेखों सहित विभिन्न माध्यमों से प्राप्त किया जा सकता है।
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और एक समर्पित शिक्षक द्वारा समाज पर छोड़ी जा सकने वाली अमिट छाप के प्रतीक बने हुए हैं
ये सामग्रियां वर्तमान और भविष्य के शिक्षकों के लिए एक मूल्यवान स्रोत के रूप में सहायता करती हैं। शिक्षक अपने ज्ञान को संकलित करके एक स्थायी विरासत बना सकते हैं जो उनकी कक्षाओं से परे आगे बढ़ सके।
19वीं सदी के शिक्षकों की व्यक्तिगत पत्रिकाएँ और डायरियाँ
19वीं सदी की व्यक्तिगत पत्रिकाएँ और डायरियाँ (दिनपत्रिका) शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण परिवर्तन और नई प्रक्रिया के समय के दौरान शिक्षकों के जीवन, शैक्षिक प्रथाओं और व्यक्तिगत अनुभवों की एक आकर्षक झलक पेश करती हैं।
कई उल्लेखनीय उदाहरण इस अवधि के दौरान शिक्षकों की चुनौतियों और सफलता पर प्रकाश डालते हैं।
अलमीरा हार्ट लिंकन फेल्प्स (1793-1884)
अलमीरा हार्ट लिंकन फेल्प्स (Almira Hart Lincoln Phelps) 19वीं सदी की एक प्रसिद्ध, अमेरिकी शिक्षक और लेखिका थीं।
उनकी डायरी, "द ऑटोबायोग्राफी ऑफ अलमीरा हार्ट लिंकन फेल्प्स" (The Autobiography of Almira Hart Lincoln Phelps) , एक शिक्षक के रूप में उनके अपने जीवन और शिक्षा में उनके प्रभावशाली योगदान का विस्तृत विवरण प्रदान करती है।
फेल्प्स, महिला शिक्षा के लिए वकालत करने में अग्रणी व्यक्ति थीं और उनकी डायरी में उनके युग की भावना की पकड़ है।
लुइसा मे अल्कॉट (1832-1888)
लुईसा मे अल्कॉट (Louisa May Alcott) , जो अपने क्लासिक उपन्यास " लिटिल वुमेन " (Little Women ) के लिए प्रसिद्ध हैं, ने एक शिक्षक के रूप में भी काम किया।
उनकी डायरी, " लुईसा में अलकोट : द जर्नल्स ऑफ लुईसा मे अल्कोट" (The Journals of Louisa May Alcott ) , उनके जीवन का एक बहुआयामी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है, जिसमें एक शिक्षक के रूप में उनके अनुभवों के साथ-साथ उनके व्यापक अनुभव और मत भी शामिल हैं।
हेलेन केलर (1880-1968)
हेलेन केलर ( Helen keller) का लेखन, जिसमें उनकी आत्मकथा "द स्टोरी ऑफ माई लाइफ" (The Story of My Life) और कई निबंध और लेख शामिल हैं, मूल्यवान शैक्षिक स्रोतों के रूप में सहायता करते हैं।
उनके कार्यों ने किसी भी ऐसे व्यक्ति को दुनिया के बारे में एक समझ प्रदान की, जो कि शारीरिक रूप से निर्बल हो। उन्होंने उनकी शारीरिक चुनौतियों की परवाह किए बिना सभी के लिए शिक्षा के महत्व पर जोर दिया।
कैथरीन बीचर (1800-1878)
19वीं सदी की प्रमुख अमेरिकी शिक्षिका और लेखिका कैथरीन बीचर (Catherine Beecher) ने शिक्षा में उनके योगदान और महिला शिक्षा की वकालत करने के उनके सतत प्रयासों पर प्रकाश डालने वाली डायरी प्रविष्टियों और पत्रों की एक समृद्ध निधि छोड़ी है।
उनका लेखन उनकी चुनौतियों और महिलाओं के लिए शैक्षिक अवसरों के विस्तार के प्रति उनकी अटल प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
हैरियट बीचर स्टोव (1811-1896)
अपने प्रभावशाली उपन्यास “चाचा टॉम का केबिन ’’ (Uncle Tom's Cabin) के लिए प्रसिद्ध, हैरियट बीचर स्टोव (Harriet Beecher Stowe) ने एक शिक्षक के रूप में भी काम किया था।
उनकी डायरी और पत्र, कक्षा में उनके अनुभवों के साथ-साथ, शिक्षा और व्यापक सामाजिक सुधार प्रयासों पर उनके विचारों की बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
कैरोलीन काउल्स रिचर्ड्स (1842-1913)
19वीं सदी में एक ग्रामीण स्कूली शिक्षिका कैरोलिन काउल्स रिचर्ड्स (Caroline Cowles Richards) ने " यूर्स फॉर द यूनियन: द सिविल वॉर लेटर्स ऑफ ए यूनियन सोल्जर " (Yours for the Union: The Civil War Letters of a Union Soldier) शीर्षक से अपनी एक डायरी सामने रखी।
उन्होंने अपने शिक्षण अनुभवों को इसके पन्नों में दर्ज किया और गृह युद्ध के दौरान अपने अनूठे नजरिए से अवलोकन प्रदान किए।
20वीं सदी में व्यक्तिगत पत्रिकाओं और डायरियों का प्रसार भी देखा गया, जिनमें से कुछ शिक्षकों द्वारा लिखी गई थीं।
ये रचनाएँ तेजी से बदलते शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षकों के अनुभवों, चुनौतियों और उपलब्धियों के बारे में एक स्पष्ट समझ प्रदान करतीं हैं।
ऐनी फ़्रैंक (1929-1945)
हालाँकि, ऐनी फ्रैंक (Anne Frank) को उनकी डायरी, "द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल" (The Diary of a Young Girl) के लिए बहुत अधिक पहचाना जाता है, जिसमें द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजियों से छिपकर एक यहूदी लड़की के रूप में उनके जीवन का वृतांत है।
उनके पिता, ओटो फ्रैंक, एक शिक्षक थे।
यह डायरी ऐनी और उसके परिवार द्वारा सामना किए गए मुसीबतों और संकटों का एक मार्मिक प्रत्यक्ष विवरण प्रस्तुत करती है, जो विपरीत परिस्थितियों के दौरान शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालती है।
जॉन होल्ट (1923-1985)
जॉन होल्ट (John Holt) , एक अमेरिकी शिक्षक और वैकल्पिक शिक्षा और * होमस्कूलिंग के वकील थे जो, अपने पीछे ऐसी पत्रिकाएँ और लेख छोड़ गए जो उनके शैक्षिक दर्शन और शिक्षण अनुभवों में एक स्पष्ट समझ प्रदान करतीं हैं।
होम स्कूलिंग उसे कहते हैं जब बच्चे बिना स्कूल गए घर बैठकर पढ़ाई करते हैं और स्कूल जैसी ही बातें घर पर सीखते हैं। बच्चों को शिक्षा देने का कार्य आमतौर पर अभिभावक व ट्यूटर करते हैं।
विश्व में होम स्कूलिंग की शुरुआत आज से करीब पचास दशक पहले 1970 में तब शुरू हुई थी। जब कुछ लोकप्रिय लेखकों और शोधकर्ताओं ने शैक्षिक सुधार के बारे में लिखना शुरू किया था। उन्होंने वैकल्पिक शैक्षिक विकल्प के रूप में होम स्कूलिंग का सुझाव दिया था।
होल्ट के नवीन विचार आज भी शैक्षिक प्रथाओं को प्रभावित कर रहे हैं।
मे सार्टन (1912-1995)
मे सार्टन (May Sarton) , एक लेखिका और कवयित्री, ने अपनी पत्रिका, "जर्नल ऑफ ए सॉलिट्यूड" (Journal of a Solitude) और अन्य लेखों में एक शिक्षक के रूप में अपने अनुभवों पर गहन शोध किया।
एक शिक्षक के रूप में उनका काम उनके जीवन पर उन्हीं का व्यक्तिगत प्रतिबिंब सामने रखता है, शिक्षण और रचनात्मकता के बीच जटिल संबंधों की खोज करता है।
जोनाथन कोज़ोल (1936-वर्तमान)
एक अमेरिकी शिक्षक, लेखक और समान शिक्षा के लिए अथक रूप से काम करने वाले प्रगतिशील कार्यकर्ता, जोनाथन कोज़ोल (Jonathan Kozol) ने एक शिक्षक के रूप में अपने अनुभवों और अमेरिका में शैक्षिक असमानताओं को दूर करने के लिए अपने समर्पित प्रयासों का दस्तावेज़ीकरण किया है।
उनकी पत्र, पत्रिकाएँ और किताबें एक प्रतिबद्ध शिक्षक की चुनौतियों और आकांक्षाओं को समझने के लिए एक व्यापक दृष्टि प्रदान करतीं हैं।
प्राचीन भारतीय शिक्षकों की बुद्धिमत्ता का संरक्षण
प्राचीन भारत अपनी शिक्षा और गुरु-शिष्य परंपरा की एक समृद्ध परंपरा पर गर्व करता है। इसमें शिक्षक से शिष्य तक ज्ञान और बुद्धिमत्ता के हस्तांतरण पर बल दिया गया।
हालाँकि समकालीन जानकारी के अनुसार, व्यक्तिगत पत्रिकाएँ और डायरियाँ प्राचीन भारत में आम नहीं थीं, कई प्राचीन ग्रंथ और शिलालेख इस युग के दौरान शिक्षकों के जीवन और शैक्षिक प्रथाओं की झलक पेश करते हैं।
गुरुकुल व्यवस्था
प्राचीन भारतीय गुरुकुल प्रणाली एक प्रगाढ़ शिक्षक-शिष्य संबंध का उदाहरण देती है, जहां छात्र वेदों, दर्शनशास्त्र और विज्ञान सहित विभिन्न विषयों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए अपने गुरुओं (शिक्षकों) के साथ रहते थे।
यद्यपि उस वक़्त पारंपरिक डायरियाँ अनुपस्थित रहीं हों, किन्तु, गुरुओं और शिष्यों (छात्रों) के बीच की शिक्षाओं और चर्चाओं ने वेदों और उपनिषदों जैसे ग्रंथों में अपना स्थान बना लिया है।
इन पवित्र ग्रंथों में अक्सर दार्शनिक और शैक्षिक प्रवचन होते हैं, जिन्होंने भारतीय विचारों को गहराई से प्रभावित किया है और देश की शैक्षिक परंपराओं को आकार देना जारी रखा हुआ है।
अर्थशास्त्र
प्राचीन भारतीय विद्वान चाणक्य (Chanakya), जिन्हें कौटिल्य के नाम से भी जाना जाता है, से संबंधित "अर्थशास्त्र" शासन कला, आर्थिक नीति और सैन्य रणनीति पर एक अमूल्य ग्रंथ है।
यद्यपि यह एक व्यक्तिगत डायरी का अंश नहीं है, किन्तु, इस प्राचीन कार्य में शासन प्रणाली पर शिक्षाएँ और मार्गदर्शन शामिल हैं, जो शिक्षकों ने अपने छात्रों को प्रदान किए होंगे।
यह ग्रन्थ किसी राज्य और समाज के प्रशासन में शिक्षा की आवश्यक भूमिका पर ज़ोर देता है।
अशोक के शिलालेख
सम्राट अशोक (Ashoka), जिनका शासनकाल तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक फैला था, ने शिलालेखों की एक श्रृंखला छोड़ी जिन्हें "अशोक के शिलालेख" (Ashoka's Edicts) के नाम से जाना जाता है।
ये शिलालेख धम्म (धार्मिकता) को बढ़ावा देने और समाज को आकार देने में शिक्षकों और आध्यात्मिक गुरुओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर देते हैं।
नैतिकता, नैतिक मूल्यों और शिक्षा के प्रति अशोक की प्रतिबद्धता उनके शिलालेखों में स्पष्ट है, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति में शिक्षकों के अभिन्न स्थान को रेखांकित करते है।
प्राचीन बौद्ध और जैन ग्रंथ
प्राचीन भारतीय बौद्ध और जैन धर्म व्यापक धर्मग्रन्थों का दावा करते हैं, जिनमें बौद्ध धर्म में "धम्मपद" (Dhammapada) और जैन धर्म में "जैन आगम" (Jain Agamas) शामिल हैं।
इन ग्रंथों में वह शिक्षाएं शामिल है जिनका श्रेय उनकी संबंधित परंपराओं के आध्यात्मिक नेताओं और शिक्षकों को हैं।
इन प्राचीन शिक्षाओं में नैतिक और दार्शनिक पाठ शामिल हैं जिन्होंने भारतीय समाज के नैतिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाला है।
मंदिरों और स्मारकों पर शिलालेख
प्राचीन भारतीय शिलालेख, जो अक्सर मंदिरों और स्मारकों पर पाए जाते हैं, बारंबार शिक्षकों और विद्वानों के योगदान का उल्लेख करते हैं।
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शिक्षकों की अमरता की अवधारणा व्यक्तिगत शिक्षकों द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करने के बारे में नहीं है
ये शिलालेख शिक्षकों को दिए जाने वाले अत्यधिक सम्मान और शिक्षा, संस्कृति और समाज को आकार देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के ऐतिहासिक रिकॉर्ड के रूप में काम करते हैं।
हालाँकि ये प्राचीन भारतीय ग्रंथ और शिलालेख समकालीन व्यक्तिगत डायरियों को प्रतिबिंबित नहीं कर सकते हैं, किन्तु, वे प्राचीन भारतीय समाज में शिक्षकों और विद्वानों की भूमिका और उस समय की शैक्षिक प्रथाओं के बारे में अमूल्य जानकारी प्रदान करते हैं।
ये ऐतिहासिक अभिलेख शिक्षकों के प्रति स्थायी श्रद्धा और ज्ञान प्रसार और नैतिक विकास पर उनके गहरे प्रभाव को रेखांकित करते हैं।
डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
एक प्रतिष्ठित दार्शनिक और राजनीतिज्ञ के रूप में, अपने एक शिक्षाविशारद् और शिक्षक के रूप में उल्लेखनीय योगदानों के लिए ये प्रसिद्ध हैं।
उनकी शिक्षा शास्त्र संबंधी कौशल और दर्शनशास्त्र में गहरी अंतर्दृष्टि ने जल्द ही उन्हें एक असाधारण शिक्षक के रूप में ख्याति दिला दी।
एक दार्शनिक के रूप में, राधाकृष्णन ने "भारतीय दर्शन" (Indian Philosophy) और “प्रिंसिपल उपनिषद ’’ (The Principal Upanishads) सहित कई प्रभावशाली रचनाएँ लिखीं, जिन्होंने पश्चिमी दुनिया को भारतीय दर्शन का परिचय कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
जटिल दार्शनिक अवधारणाओं को सरल बनाने और छात्रों के लिए उन्हें सुगम बनाने की लाक्षणिक विशेषता उनकी शिक्षण शैली की पहचान थी।
राधाकृष्णन की स्थायी शैक्षिक विरासतों में से एक समग्र अध्ययन और चरित्र विकास पर उनका जोर था।
उनका मानना था कि शिक्षा को ज्ञान अर्जन से आगे बढ़कर नैतिकता और नैतिक मूल्यों को शामिल करना चाहिए।
उनका दृष्टिकोण भारतीय परंपरा में गहराई से निहित था, जो विविध संस्कृतियों और विश्वास प्रणालियों की सराहना करने की वकालत करता था।
एक शिक्षक के रूप में उनके अमूल्य योगदान और अध्ययन और विद्वता पर उनके स्थायी प्रभाव का सम्मान करते हुए, उनका जन्मदिन, 5 सितंबर, भारत में ‘शिक्षक दिवस’ (Teacher's Day) के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति और एक समर्पित शिक्षक द्वारा समाज पर छोड़ी जा सकने वाली अमिट छाप के प्रतीक बने हुए हैं।
परामर्श की शक्ति
शिक्षक के ज्ञान को संरक्षित करने का एक और शक्तिशाली तरीका परामर्श कार्यक्रमों के माध्यम से हो सकता है। अनुभवी शिक्षक नए शिक्षकों को सलाह देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस परामर्श में व्यावहारिक मार्गदर्शन और वर्षों के शिक्षण के माध्यम से प्राप्त जीवन के सबकों और अंतर्दृष्टि को साझा करना शामिल हो सकता है।
एक ऐसे कार्यक्रम की कल्पना करें जिसमें सेवानिवृत्त शिक्षकों को , शिक्षा के पेशे में प्रवेश करने वाले नए शिक्षकों के साथ मिलाया जाता है।
परामर्श कार्यकम तकनीकी कौशल प्रदान करने से कहीं आगे चला जाता है; इसमें कहानियाँ, चुनौतियाँ और व्यक्तिगत विकास के क्षण साझा करना शामिल है।
यह एक मशाल को पारित करने जैसा है, जो एक परंपरा के शैक्षिक मूल्यों और सिद्धांतों की निरंतरता सुनिश्चित करती है।
ऐसे कार्यक्रम में, सेवानिवृत्त शिक्षक, कक्षा प्रबंधन की जटिलताओं के माध्यम से एक नए शिक्षक का मार्गदर्शन कर सकता है, जटिल अवधारणाओं को समझने योग्य बनाने के लिए रणनीतियों को साझा कर सकते हैं, और जिन्हें टाला ना जा सके, उन कठिन दिनों के दौरान प्रोत्साहन प्रदान कर सकते हैं।
परामर्श का यह रूप यह सुनिश्चित करता है कि अनुभवी शिक्षकों की बुद्धिमत्ता संरक्षित है और सक्रिय रूप से अगली पीढ़ी तक पहुँच रही है।
शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका
स्कूलों से लेकर विश्वविद्यालयों तक, शैक्षणिक संस्थानों को शिक्षकों के ज्ञान को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए।
वे अनुभवी शिक्षकों के लिए, व्याख्यानों (लेक्चर), कार्यशालाओं या सेमिनारों (संगोष्ठी) जैसे अवसरों का निर्माण कर सकते हैं, ताकि वे शिक्षकों और छात्रों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि और अनुभव साझा कर सके।
इसके अलावा, स्कूलों और विश्वविद्यालयों को अपने शिक्षण कर्मचारियों द्वारा बनाई गई शैक्षिक सामग्रियों और संसाधनों को संरक्षित करने के लिए उनको समर्पित अभिलेखागार स्थापित करने चाहिए।
इन अभिलेखागारों में पाठ योजनाएँ, शिक्षण सामग्री, शोध पत्र और शिक्षण अनुभवों पर गहन चिंतन शामिल किए जा सकते हैं।
इस तरह के पुस्तकालय वर्तमान और भविष्य के शिक्षकों के लिए एक समृद्ध संसाधन के रूप में काम करेंगे, जिनका वे उपयोग कर सकते हैं।
नीति निर्माताओं की भूमिका
शिक्षा के क्षेत्र में नीति निर्माताओं की शिक्षक की बुद्धिमत्ता के महत्व को पहचानने और बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका है।
वे उन नीतियों की वकालत कर सकते हैं जो परामर्श कार्यक्रमों, डिजिटल भण्डार के निर्माण और शिक्षक अनुभवों के दस्तावेज़ीकरण का समर्थन करतीं हैं।
नीति निर्माता शिक्षकों के लिए चलते आ रहे व्यावसायिक विकास को भी प्रोत्साहित कर सकते हैं, जहां अनुभवी शिक्षकों को कार्यशालाओं और प्रशिक्षण सत्रों का नेतृत्व करने का अवसर मिलता है।
इन शिक्षकों की विशेषज्ञता को स्वीकार करते हुए और उन्हें अपना ज्ञान साझा करने में सक्षम बनाकर, नीति निर्माता शिक्षकों की बुद्धिमत्ता के संरक्षण और प्रसार में योगदान दे सकते हैं।
लाखों शिक्षकों की सामूहिक विरासत
शिक्षक की अमरता की अवधारणा व्यक्तिगत शिक्षकों द्वारा अनन्त जीवन प्राप्त करने के बारे में नहीं है।
यह छात्रों, शिक्षकों और शिक्षा प्रणाली के दिलों और दिमागों में जीवित रहने वाली शिक्षकों की सामूहिक विरासत के बारे में है।
प्रत्येक शिक्षक की बुद्धिमत्ता शिक्षा के विशाल महासागर में एक बूंद के समान है, और साथ में, वे एक विरासत भी बनाते हैं जो शिक्षा के भविष्य को आकार दे सकता है।
हम ऐसे शिक्षकों की कहानियों से घिरे हुए हैं जिन्होंने गहरा प्रभाव बनाया हुआ है। यद्यपि भारत जैसे देश में ऐसे अनगिनत शिक्षक हैं, जिन्होंने लोगों के जीवन को छुआ है, उनमें जुनून जगाया और ज्ञान की खोज के लिए प्रेरित किया है।
यदि उनकी बुद्धिमत्ता को दस्तावेज़ किया जाए, साझा किया जाए और सक्रिय रूप से प्रसारित किया जाए, तो यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए मार्ग प्रशस्त करना जारी रख सकते है।
निष्कर्ष के तौर पर, शिक्षकों की अमरता उनके भौतिक अस्तित्व में नहीं बल्कि उनके ज्ञान के स्थायी प्रभाव में निहित है।
अंतर्दृष्टि, परामर्श और शैक्षिक पहल के दस्तावेज़ीकरण के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि अनुभवी शिक्षकों की संचित विशेषज्ञता छात्रों और शिक्षा प्रणाली के हित के लिए एक मूल्यवान संसाधन बनी रहे।
लाखों शिक्षकों की विरासत, दुनिया को प्रेरित करना , उनको मार्ग दिखाना और समृद्ध करना जारी रख सकती है, जो अनुसरण करने वाले सभी लोगों के दिमागों और दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ सकती है।
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