हलाल प्रमाणीकरण - धार्मिक खाद्य बहस
हलाल प्रमाणीकरण - धार्मिक खाद्य बहस
Halal Certification - Religious Food Debate का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
अस्वीकरण : धार्मिक संवेदनशीलता
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हलाल प्रमाणीकरण यह सुनिश्चित करता है कि भोजन, पेय पदार्थ और अन्य उत्पाद, इस्लामी कानून में निर्धारित आहार संबंधी गुणवत्ता के स्तर और नैतिक मानकों को पूरा करते हैं।
मुसलमानों के लिए कुरान में रेखांकित विशिष्ट आहार संबंधी दिशानिर्देशों का पालन करना आवश्यक है। हलाल मानक कुरान और हदीस से लिए गए हैं ।
हलाल प्रमाणीकरण भोजन तक ही सीमित नहीं है; यह सौंदर्य प्रसाधन, दवाओं और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर भी लागू हो सकता है।
यह उपभोक्ताओं के लिए उनकी धार्मिक मान्यताओं के आधार पर सटीक जानकारी,ज्ञान और अनुभवों के आधार पर विकल्पों में से चुनने का एक तरीका है और यह बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्रों के साथ व्यापार की सुविधा भी प्रदान करता है।
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हलाल मानक कुरान और हदीस से लिए गए हैं
कुछ मामलों में गलत सूचनाओं से प्रेरित इस्लामोफ़ोबिया ने हलाल प्रमाणीकरण को लेकर विवाद और अधिक बढ़ा दिया है। झूठे दावे और साजिश के सिद्धांत प्रचारित हो रहे हैं, जिससे यह मामला और भी जटिल हो गया है।
भोजन के संदर्भ में, अरबी में "हलाल" का अर्थ 'अनुमेय' ( जायज़ ) है। हलाल भोजन को इस्लामी आहार कानूनों का पालन करना चाहिए, जिसमें शामिल हैं:
सूअर या सूअर के मांस से बने उत्पादों का सेवन न करें।
उन जानवरों का उपभोग नहीं किया जाएगा जो स्वयं मर गए या इस्लामी अनुष्ठान दिशानिर्देशों (हलाल प्रक्रिया) के अनुसार वध नहीं किए गए।
गैर-हलाल पदार्थों के संपर्क में आने से अशुद्ध होने से बचने के लिए भोजन का उचित रख-रखाव और प्रसंस्करण।
एक बार जब कोई उत्पाद, हलाल वस्तु के रूप में प्रमाणित हो जाता है, तो उस पर हलाल का लोगो (Logo) या लेबल (Label) लग सकता है, जो उपभोक्ताओं, विशेषकर मुसलमानों को आश्वस्त करता है कि उत्पाद, इस्लामी आहार कानूनों का पालन करता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि खाद्य उत्पाद हलाल मानकों को पूरा करते हैं, उत्पाद निर्माता, मान्यता प्राप्त इस्लामी प्राधिकारी वर्ग या संगठनों से हलाल प्रमाणीकरण करवाना चाहते हैं।
ये अधिकारी उत्पादन प्रक्रियाओं, सामग्रियों और संचालन विधियों का निरीक्षण करते हैं, यह पुष्टि करने के लिए कि वे हलाल नियमों की आवश्यकताओं के अनुसार कार्य करते हैं।
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कुछ मामलों में गलत सूचनाओं से प्रेरित इस्लामोफ़ोबिया ने हलाल प्रमाणीकरण को लेकर विवाद और अधिक बढ़ा दिया है
भारत में, हलाल प्रमाणीकरण विभिन्न इस्लामी संगठनों और 'जमीयत उलेमा-ए-हिंद हलाल इंडिया' ( Jamiat Ulema-e-Hind Halal India) जैसे निजी प्रमाणन निकायों द्वारा जारी किया जाता है, क्योंकि, भारत में केंद्रीकृत राष्ट्रीय हलाल प्रमाणन प्राधिकरण नहीं है।
ब्रिटेन में, हलाल प्रमाणीकरण मुख्य रूप से इस्लामी संगठनों और हलाल खाद्य प्राधिकरण ( Halal Food Authority ) (HFA) , हलाल निगरानी समिति (Halal Monitoring Committee) (HMC), हलाल प्रमाणीकरण यूरोप (Halal Certification Europe ) (HCE) जैसे निजी प्रमाणन निकायों द्वारा संचालित किया जाता है।
भारत की तरह ही, ब्रिटेन में भी हलाल प्रमाणीकरण के लिए एक भी राष्ट्रीय प्राधिकरण नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न प्रमाणन निकाय हैं।
अमेरिका, इस्लामिक फूड एंड न्यूट्रिशन काउंसिल ऑफ अमेरिका (Islamic Food and Nutrition Council of America) (IFANCA), इस्लामिक सर्विसेज ऑफ अमेरिका (Islamic Services of America) (ISA), और अमेरिकन हलाल फाउंडेशन (American Halal Foundation) (AHF) जैसे विभिन्न संगठनों और एजेंसियों का उपयोग करके प्रमाणन प्रदान करता है।
भारत की तरह अमेरिका में भी हलाल प्रमाणीकरण के लिए कोई केंद्रीकृत सरकारी एजेंसी उत्तरदायी नहीं है।
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भारत में, हलाल प्रमाणीकरण विभिन्न इस्लामी संगठनों और निजी प्रमाणन निकायों द्वारा जारी किया जाता है...
अन्य देश जहां हलाल प्रमाणीकरण मौजूद है, वे हैं जर्मनी, अमेरिका, मलेशिया, इंडोनेशिया, तुर्की, सऊदी अरब, दुबई, पाकिस्तान, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और थाईलैंड।
मुख्य रूप से, हलाल प्रमाणीकरण को लेकर विवाद कई प्रमुख मुद्दों के इर्द-गिर्द घूमता है:
अनुमानित लाभ उद्देश्य: इसको लेकर कई चिंताएं हैं जैसे कि कुछ लोग हलाल प्रमाणीकरण को प्रमाणित निकायों द्वारा लाभ के उद्देश्य से प्रेरित राजस्व उत्पन्न करने के एक तरीके के रूप में देखते हैं।
जबकि ये संगठन अपनी प्रमाणन सेवाओं के लिए शुल्क लेते हैं, हलाल प्रमाणन शुल्क से होने वाला मुनाफा आम तौर पर स्वयं संगठनों को ही जाता है।
आलोचकों का दावा है कि, कुछ मामलों में, प्रमाणीकरण धार्मिक अनुपालन से अधिक लाभ के बारे में हो सकता है, जिससे संदेह और अविश्वास पैदा होता है।
लागत और शुल्क: कुछ आलोचकों का तर्क है कि व्यवसायों के लिए प्रमाणन प्रक्रिया महंगी है, जो कि बढ़ती हुई उत्पादन लागत की ओर ले जाती है जिसका बोझ उपभोक्ताओं पर डाला जा सकता है।
उनका दावे के साथ कहना है कि हलाल प्रमाणन शुल्क एक वित्तीय बोझ हो सकता है, खासकर छोटे व्यवसायों के लिए।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में एक छोटा सा व्यवसाय कहीं न कहीं हलाल प्रमाणीकरण के लिए प्रति वर्ष कुछ सौ से लेकर कुछ हजार अमेरिकी डॉलर तक का भुगतान कर सकता है।
इसी तरह, व्यवसाय के आकार और प्रमाणन के दायरे जैसे कारकों के आधार पर, मलेशिया में हलाल प्रमाणीकरण की लागत एकल उत्पाद श्रृंखला के लिए प्रति वर्ष कुछ सौ से लेकर कई हजार मलेशियाई रिंग्गित (MYR) तक हो सकती है।
यह लागत बोझ सभी उपभोक्ताओं को वितरित किया जाता है, चाहे वह किसी भी अन्य धर्म के क्यों न हो । इसलिए, यह तर्क प्रस्तुत किया जा सकता है कि गैर-मुसलमानों के लिए यह अनावश्यक है।
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... अमेरिका में एक छोटा व्यवसाय हलाल प्रमाणीकरण के लिए प्रति वर्ष कुछ सौ से लेकर कुछ हजार अमेरिकी डॉलर तक का भुगतान कर सकता है
मानकीकरण का अभाव: हलाल प्रमाणन प्रक्रिया में दुनिया भर में एकरूपता और मानकीकरण का अभाव है। विभिन्न प्रमाणन निकायों में हलाल को लेकर भिन्न मानदंड और व्याख्याएं हो सकती हैं।
जबकि कुछ देश अंतरराष्ट्रीय संगठनों या अन्य मान्यता प्राप्त निकायों द्वारा निर्धारित मानकों को अपना सकते हैं। कुछ अन्य देश इस्लामी आहार संबंधी कानूनों और सांस्कृतिक जागरूकता की स्थानीय व्याख्याओं के आधार पर अपने दिशानिर्देश बना लेते हैं।
अक्सर, अंतरराष्ट्रीय बाजारों के लिए हलाल प्रमाणीकरण चाहने वाले व्यवसायों को इन परिवर्तनों को बताना और अपने लक्षित देशों या क्षेत्रों के विशिष्ट मानकों के साथ उनका अनुपालन भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता होती है।
वर्तमान में, केवल मांस और मांस-आधारित उत्पादों को, उनकी सामग्रियों के साथ, सऊदी अरब के बाजार में प्रवेश के लिए अनिवार्य हलाल प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है, जो संयुक्त अरब अमीरात जैसे अन्य खाड़ी सहयोग परिषद (Gulf Cooperation Council ) (GCC) देशों, द्वारा साझा की जाने वाली आवश्यकता है।
हालाँकि, सऊदी खाद्य एवं औषधि प्राधिकरण (Saudi Food and Drug Authority ) (SFDA) अपने पड़ोसी देशों की तुलना में एक कदम आगे बढ़ गया है।
इसने हाल ही में एक मसौदा विनियम (Draft regulation) पेश किया है जो सऊदी अरब के बाजार में प्रवेश के इच्छुक खाद्य उत्पादों की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करने के लिए अनिवार्य हलाल प्रमाणपत्र आवश्यकता का विस्तार करेगा।
ब्रिटेन के आरएसपीसीए (RSPCA) कानूनों के अनुसार, वध से पहले जानवरों को निस्तब्ध कर देना आवश्यक है। हालाँकि, यहूदी और मुस्लिम समुदायों को कानूनी तौर पर पशुवध से पहले जानवर को निस्तब्ध करने की आवश्यकता नहीं होती है।
मलेशिया में जानवरों के हलाल वध के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं। वध के दौरान "बिस्मिल्लाह" (अल्लाह के नाम पर) शब्द का आह्वान किया जाना चाहिए और इस प्रक्रिया के दौरान जानवरों का मुंह * क़िबला की दिशा में होना चाहिए।
* वह दिशा जिधर मुसलमान नमाज़ के समय अपने चेहरे का रूख करते हैं यानी मक्का मस्जिद काबा की दिशा।
आमतौर पर वध से पहले जानवरों को बेहोश करने की अनुमति है, किन्तु, बेहोश करने की विधियों की भी विशिष्ट आवश्यकताएं हैं।
इसलिए, कुछ आलोचक हलाल वध प्रक्रिया में जानवरों के साथ किए जाने वाले बर्ताव को लेकर चिंता जताते हैं।
यद्यपि हलाल वध का उद्देश्य मानवीय होता है, किन्तु, फिर भी इसपर अनुचित संचालन और क्रूरता के आरोप लगे हैं, जो अचानक से पशु कल्याण संबंधी चिंताओं का कारण बन रहीं हैं।
उपभोक्ता अधिकार: उपभोक्ता पक्ष की ओर से , कुछ लोगों का तर्क है कि गैर-मुस्लिम-बहुल देशों में उत्पादों पर अनिवार्य हलाल लेबल लगाना अनावश्यक है।
उनका मानना है कि उपभोक्ताओं के पास हलाल प्रमाणीकरण के साथ या उसके बिना भी उत्पादों को खरीदने का विकल्प होना चाहिए, और इस तरह से अनिवार्य हलाल लेबल लगाने को उस विकल्प के उल्लंघन के रूप में देखा जा सकता है।
हालाँकि, धार्मिक आहार संबंधी आवश्यकताओं के अनुसार भोजन पर लेबल लगना, उपभोक्ताओं को उनकी आहार संबंधी पसंद और धार्मिक मान्यताओं के आधार पर सूचित विकल्प चुनने की अनुमति देता है।
यह उत्पादों के हलाल जैसे विशिष्ट धार्मिक मानकों के अनुपालन के बारे में पारदर्शिता प्रदान करता है।
धार्मिक पृथक्करण : धर्म के आधार पर उत्पादों पर लेबल लगाना बहुसांस्कृतिक आबादी वाले समुदायों में समावेशिता और विविधता को बढ़ावा दे सकता है।
यह विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक समूहों की आहार संबंधी आवश्यकताओं को स्वीकार करता है और उनकी परंपराओं के प्रति सम्मान को प्रोत्साहित करता है।
किन्तु यहां पर कलंक लगने का संभावित जोखिम भी है। चिंता का विषय यहां पर यह है कि अनिवार्य प्रमाणीकरण कुछ धार्मिक समूहों को चिह्नित कर सकता है, जिसका अर्थ यह समझा जाएगा कि उनके आहार विकल्प मुख्यधारा से असमान या भिन्न हैं।
अंततः , धार्मिक आहार आवश्यकताओं अनुसार भोजन को प्रमाणित करने के इस निर्णय को जनसंख्या की सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता, उपभोक्ता प्राथमिकताओं एवं व्यावहारिकता और आर्थिक महत्व को संतुलित करने के दौरान पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ावा देने की अभिलाषा पर सोच विचार करना चाहिए।
यह एक ऐसा मामला है जिसमें अक्सर धार्मिक सहिष्णुता, उपभोक्ताओं और समाज की तेज़ी से बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए, निरंतर बातचीत और अनुकूलन शामिल होते हैं।
अन्य धर्म जिन्हें प्रमाणीकरण की आवश्यकता है:
कोषेर प्रमाणीकरण यहूदी आहार कानूनों का एक अभिन्न अंग है। कोषेर भोजन 'तौरात' (Torah) धर्मग्रंथ में उल्लिखित धार्मिक आहार प्रतिबंधों का पालन करता है।
कोषेर प्रमाणीकरण यह सुनिश्चित करता है कि उत्पाद इस आहार कानून की कसौटी पर खरे उतरे , जिसमें मांस और दूध से बने उत्पादों का ठीक से संचालन भी शामिल है।
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... लागत बोझ सभी उपभोक्ताओं को वितरित किया जाता है, चाहे वह किसी भी अन्य धर्म के क्यों न हो
अन्य धर्म जिन्हें सख्त आहार संबंधी आवश्यकताओं की जरूरत हो सकती है:
हिंदू धर्म: यद्यपि हिंदू धर्म में औपचारिक खाद्य प्रमाणन प्रणाली नहीं है, फिर भी, इसके अनुयायी मांस और शराब जैसी कुछ अशुद्ध वस्तुओं से मुक्त खाद्य उत्पादों की तलाश कर सकते हैं।
कई हिंदू भी शाकाहारी भोजन का पालन करते हैं और वध से जुड़े पशु उत्पादों से परहेज करते हैं।
सिख धर्म: सिखों के लिए विशिष्ट खाद्य प्रमाणन आवश्यकताएं नहीं हैं, लेकिन वे आहार सिद्धांतों का पालन करते हैं जिसमें शराब और कुछ प्रकार के मांस सहित, मादक पदार्थों से परहेज करना शामिल है।
बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में सख्त खाद्य प्रमाणन आवश्यकताएं नहीं हैं, लेकिन कई बौद्ध सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा और उन्हें हानि न पहुँचाने के उद्देश्य से शाकाहारी होने या शाकाहारी आहार का पालन करते हैं।
जैन धर्म: जैनियों के आहार संबंधी सख्त नियम हैं, जिनमें कुछ जड़ वाली सब्जियों से परहेज करना और सख्त शाकाहार शामिल है। हालांकि कोई औपचारिक प्रमाणन प्रक्रिया नहीं हो सकती है, अतः, जैन अनुयायी अति सावधानी से इन आहार सिद्धांतों का पालन करते हैं।
ईसाई धर्म: कुछ धर्मों के विपरीत, ईसाई धर्म में बाइबल (Bible) में विशिष्ट खाद्य प्रमाणन आवश्यकताएँ उल्लिखित नहीं हैं।
हालाँकि, कुछ ईसाई संप्रदायों में आहार संबंधी दिशानिर्देश या प्रतिबंध हो सकते हैं, जैसे कि वर्ष के एक निश्चित समय के दौरान उपवास।
बहाई आस्था: बहाई आस्था (धर्म) में विशिष्ट खाद्य प्रमाणन आवश्यकताएं नहीं हैं, लेकिन अनुयायियों को ऐसे आहार का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जो अच्छी सेहत और तंदुरस्ती को बढ़ावा देता है।
विभिन्न स्वदेशी धर्म: विभिन्न स्वदेशी और पारंपरिक विश्वास प्रणालियों में विशिष्ट आहार प्रथाएं और वर्जित कार्य हो सकते हैं। ये संस्कृतियों और समुदायों के बीच काफी भिन्न भी हो सकते हैं।
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हमारी दुनिया धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक उपभोक्ताओं के बीच विभाजित हो जाएगी
यदि सभी धर्मों को हलाल प्रमाणीकरण के समान खाद्य प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है तो, यह खाद्य उत्पादों के उत्पादन, उन्हें प्रमाणित करने, उनमें लेबल लगाने और उपभोग के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करेगा।
ऐसे परिदृश्य में समाज और वैश्विक दृष्टिकोण के लिए कई उलझनें और चुनौतियाँ होंगी।
हमारी दुनिया धर्मनिरपेक्ष और धार्मिक उपभोक्ताओं के बीच विभाजित हो जाएगी । साथ ही, भोजन में भी धर्म के आधार पर भेदभाव किया जाएगा, भले ही प्रमाणीकरण से लोगों को अपने धर्म का कुशलतापूर्वक पालन करने में मदद मिलेगी।
इस समय, जब दुनिया धर्म के आधार पर मानसिक अशांति का सामना कर रही है, किसी को भी इन संवेदनशील मुद्दों से निपटने में में बेहद सतर्क रहना होगा ।
और इसलिए यह बहस जारी रहनी चाहिए !
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