क्या विरोध सफल होते है?
क्या विरोध सफल होते है?
Do Protests Really Work? का हिन्दी रूपांतर
~ सोनू बिष्ट
चुनाव जब समाप्त हो जाते है, तो आपके अनुसार सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि, विधानमंडल में शामिल होते है।
इस प्रकार आप निश्चिंत होकर बैठ जाते है और उनके सुरक्षित हाथों में अपना सर्वोत्तम हित छोड़ देते है। और यदि चुने हुए प्रतिनिधि आपकी पसंद के नहीं है, तो आप अपनी सतर्कता को बढ़ाते है ताकि कुछ गलत होने से रोक सके ।
किन्तु, वास्तविकता में लोकतंत्र इस तरह से कार्य नहीं करता |
निरपवाद रूप से सत्ता में आने के बाद भी चीज़े सफल नहीं होती, जैसे की चुनाव से पूर्व, वादे किये जाते है | विचारधारा बदलती है, स्थिति रूपांतरित होती है, हितों का टकराव और निर्वाचित होने का मकसद भी बदल जाता है |
यदि जो आप चाहते है, वह वैसा नहीं है, तो आगे क्या होगा ?
फिर आप कैसे खतरे की चेतावनी देंगे, समान विचारधारा वालों को सचेत करेंगे और कैसे गलत होने से रोकेंगे? कुछ ऐसा जो आप पहले ही भांप ले की समाज, देश और मानवता के लिए हानिकारक है, और आपके पसंदीदा प्रतिनिधि द्वारा कार्यान्वित हो रहा है।
अगर आप चुनाव से पहले दूसरे पक्ष में थे, तो वैसे भी आप इस प्रतिनिधि को शंका की दृष्टि से ही देखेंगे।
वे लोग जो सत्ता में बैठे है, अब आपकी बात सुनने को तैयार नहीं, और ना अपना फैसला वापिस लेने को | यह आपको सुपरिचित प्रतीत होगा।
2010 के ब्रिटिश आम चुनावों के अभियान में, लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी ने छात्रों से वादा किया की वे ट्यूशन फीस में बढ़ोतरी नहीं करेंगे |
परंतु भाग्यवश अपूर्ण बहुमत के कारण बाध्य हो कर, उन्होंने कंज़र्वेटिव पार्टी के साथ एक गठबंधन सरकार बना ली | अन्य बात जो छात्र जानते थे वह थी टूशन फीस में तीन गुना वृद्धि |
इस तरह की परिस्थिति में सामान्य व्यक्ति के पास सिर्फ एक हथियार शेष रहता है वो है 'विरोध ' करना |
यह सरकार द्वारा अपनायी जा रही कूटनीतियों और कार्यों के खिलाफ आपत्ति दर्ज करने के लिए किया जाता है |
इसे करने के कई तरीके है और दुनिया इसके उदाहरणों से भरी हुई है, जिसमें 'विरोध ' एक व्यक्ति के रूप में शुरू हुआ और उसने इतिहास की दिशा को पूरी तरह बदल कर रख दिया |
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अरब स्प्रिंग शुरुवात में एक 'विरोध' था, जिसने ट्यूनीशिया में स्थिति को सकारात्मक रूप से बदला
विरोध प्रदर्शन के अंत में भले ही कोई विजेता सामने न आये, किन्तु एक बदलाव जरूर आता है, अच्छे या बुरे के लिए |
अधिकांश विरोध प्रदर्शन असफल होने के कारण, समाप्त हो जाते है, पर कभी न कभी, वह किसी न किसी प्रकार का बदलाव जरूर लाते है | इसका एक तत्काल उदाहरण प्रकाश में आता है जो है " अरब स्प्रिंग " (अरब जागृति ) |
पूरे अरब जगत में, यह विरोध समान कार्यप्रणाली और मांग के साथ प्रारंभ हुआ था, किन्तु विभिन्न देशों में, यह एक भिन्न प्रकार का बदलाव लाया |
इस विद्रोह की शुरुवात हुई थी 'मोहम्मद बुअज़ीज़ी' (उम्र 26 साल) के आत्मदाह से, जो की 'ट्यूनीशिया' देश से था और काम ना मिलने के कारण सड़क किनारे फल बेचता था।
17 दिसंबर 2010 को नगरपालिका निरीक्षक ने उसके फल की रेहड़ी को जब्त कर लिया | भ्रष्टाचार की इस घटना से आहत होकर, एक घंटे बाद उसने, पेट्रोल डालकर खुद को आग लगा दी |
4 जनवरी 2011 को 90 प्रतिशत जल जाने के कारण, उसकी दर्दनाक मौत हो गयी | यह घटना उस असंतुष्ट आबादी को साथ ले आया, जो इस समस्या से गुज़र रही थी। पहले यह ट्यूनीशिया क्रांति बनकर उभरी और फिर तेजी से अरब स्प्रिंग (अरब विद्रोह) बन गयी |
इस विरोध के चलते 'बहरीन' और 'सीरिया' में नागरिक विद्रोह हुए | अल्जीरिया, इराक, जॉर्डन, कुवैत, मोरोक्को ओमान और सूडान मे बड़े विरोध प्रदर्शन हुए।
और मॉरिटानिया, सऊदी अरब, जिबूती, पश्चिम सहारा और फिलिस्तीन मे छोटे विरोध हुए और लम्बे समय से शासन करते आ रहे शासक जैसे ट्यूनीशिया के (जीन अल अबिदीन बेन अली - 24 साल का शासन), मिस्र (होस्नी मुबारक - 30 साल का शासन), लीबिया (मुअम्मर गद्दाफी - 42 साल का शासन) और यमन (अली अब्दुल्ला सालेह - 35 साल का शासन) सत्ता छोड़ने को मजबूर हो गए थे |
ट्यूनीशिया की 24 साल से शासन करती आ रही, एक तानाशाह की नेतृत्व वाली सरकार, एक महीने में इस अहिंसक विरोध के कारण बदल गई |
मिस्र ने एक बड़ा विरोध देखा जो लगभग 18 दिनों तक चला, जिसमें हिंसा के जरिये तानाशाह होस्नी मुबारक (30 साल का शासन ) को सत्ता से बाहर कर दिया | कोई भी 'अरब स्प्रिंग' (जागृति) से हुए 'विरोध' की ताकत पर यकीन नहीं कर सकता |
सीरिया में असद (राष्ट्रपति) को हटाने के लिए, निरंतर अरब स्प्रिंग विरोध जारी रहा, किन्तु इस बार, सीरिया ने पिछले एक दशक का सबसे ख़ूनी गृहयुद्ध देखा है।
दस लाख से ज्यादा मौतें हुई है और अन्य लाखों लोग देश से बाहर विस्थापित हो गए है। जिससे वहां का भू– दृश्य (Landscape ) फिर से पाषाण युग में लौट चूका है।
वहां विरोध अब एक गृहयुद्ध में बदल गया है जिसमें महाशक्तियाँ छद्म युद्ध (Proxy War) लड़ रही है |
कथित रूप से, रासायनिक और सामूहिक विनाश के अस्त्रों (Weapon) का प्रयोग मानवता के खिलाफ किया जा रहा है | यह 2021 है, और इस युद्ध का अंत अभी तक नजर नहीं आ रहा है |
अरब स्प्रिंग शुरुवात में एक 'विरोध' था, जिसने ट्यूनीशिया में स्थिति को सकारात्मक रूप से बदला, किन्तु सीरिया में इसने एक अलग मोड़ ले लिया, जिसने उस क्षेत्र की और अरबों लोगों की स्थिति बेहद खराब कर दी |
यह समझना कठिन नहीं है की एक उन्नतिशील या किसी भी अन्य रूप की सरकार में 'विरोध ' की प्रवृत्ति स्वाभाविक रूप से उसके नागरिकों से आती है |
नागरिक या उनकी सरकारें इसे किस प्रकार महत्वपूर्ण बना सकती है, यह प्रश्न उस देश और उस समय का है | ट्यूनीशिया और सीरिया पिछले एक दशक से इसके जीवंत उदाहरण है |
एक तानाशाही समाज की तुलना में, एक लोकतान्त्रिक समाज में 'विरोध ' करना बहुत आसान है और इसलिए इसे व्यवस्था का एक आधारभूत अंग माना जा सकता है |
यह कहना गलत नहीं होगा की एक 'शांतिपूर्ण विरोध' का अधिकार मतदान के अधिकार के समान ही महत्व रखता है |
विरोध किसी भी प्रकार का हो, स्वयं के लिए या फिर पूरी मानवजाति के लिए, छोटा या बड़ा, कुछ के द्वारा या फिर बहुल (Many) के द्वारा, अनिवार्य नहीं की इनको सम्मान दिया जाये |
शांतिमय विरोध के सार्वलौकिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए, यहां पर इस कहानी का उल्लेख जरूरी है | 1893 में महात्मा गाँधी जी को ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से, निम्न श्रेणी के डिब्बे में जाने का आदेश दिया गया |
उन्होंने रंग भेदभाव की इस कार्यवाही को देखकर, इसके खिलाफ विरोध किया। शुरू में यह उनकी व्यक्तिगत आपत्ति थी, जो ‘एकल व्यक्ति’ के विरोध में बदल गया ।
अपने अधिकार को बनाये रखने और भेदभाव के खिलाफ लड़ने के परिणामस्वरूप, उन्हें ट्रेन से उतार दिया गया | उस वक़्त के हिसाब से देखा जाये, तो वह एक असफल विरोध था ।
किन्तु उस वक्त ट्रेन के स्टाफ, साउथ अफ्रीकी अधिकारियों या रंग भेदभाव से संबंधित पीड़ितों के यह 'कल्पना से परे' था कि, एक दिन इस एक व्यक्ति का अहिंसक विरोध, सविनय अवज्ञा (civil disobedience) की वैश्विक घटना में बदल जाएगा |
आम नागरिकों द्वारा, गलत के खिलाफ खड़े होने के इस उदाहरण को दुनिया भर में, सही सूत्र मानते हुए, अनुगमन (Followed) किया जा रहा है । यह एक ' आदर्श' है और इस 'तत्वज्ञान' (Philosophy) का प्रचार करता है की कोई भी विरोध 'निरर्थक' नहीं है |
दुनियाभर से अहिंसक विरोध और सविनय अवज्ञा के सांचे (Template) का अनुगमन करने वाले कुछ निम्नलिखित उदाहरण है |
जैसे, म्यांमार में, बर्मी लोकतंत्र समर्थक नागरिक एक सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे है, जिसने लोकतान्त्रिक रूप से चुनी गयी 'आंग सांग सू की' (Aung San Suu Kyi) की सरकार को उखाड़ फेका |
वेनेजुएला अपने अवलंबी (Incumbent) राष्ट्रपति का विरोध कर रहे है, चुनाव के नतीजों का सम्मान करने के लिए |
अमेरिका में, ब्लैक लाइव्स मैटर (Black Lives Matter) एक चिरस्थायी विरोध है, यद्पि कभी- कभी यह उग्र हो जाता है | जलवायु परिवर्तन विरोधी समूह, इक्स्टिंगशन रिबेल्यन (Xtinction Rebellion) द्वारा, अहिंसक विरोध प्रदर्शन किया गया ।
जिसमें दुनिया भर से लाखों लोग संगठित हुए | हांगकांग के प्रशासन में चीनी सरकार की भूमिका का विरोध, पहले हांगकांग के छात्रों ने और बाद में वहां के नागरिकों ने किया |
जिसे “छाता आंदोलन” के नाम से जाना गया । भारत में सरकार के नवीनतम कृषि कानूनों के विरोध में किसान धरने पर बैठे हुए है |
सामान्य नागरिक ने जिन मुद्दों के लिए विरोध किया, उन मुद्दों को एक क्रम में रखकर देखे तो पाएंगे की वह अर्थहीन लगने से लेकर एक उज्ज्वल वैश्विक कायापलट तक है |
1992 में एक 11 वर्षीय बालिका ने ‘प्रॉक्टर एंड गैम्बल ' नामक कंपनी को पत्र लिखा, जिसमें उसने उनके एक, बर्तन धोने के साबुन के विज्ञापन में रूढ़िबद्ध शब्द के प्रयोग पर आपत्ति जताई, और उसे बदलने को कहा ।
उसके इस पत्र से बदलाव हुआ । कंपनी ने राष्ट्रीय टेलीविज़न पर उस विज्ञापन से, वह रूढ़िबद्ध शब्द हटाकर, लिंग तटस्थ (Gender - neutral) में बदल दिया |
आज उस बालिका को हम सब, प्रिंसेस मेगन मर्केल (Princess Meghan Markel ) के नाम से जानते है |
एक और 15 वर्षीया स्कूल छात्रा, ग्रेटा थूनबर्ग (Greta Thunberg ) ने स्वीडन में शीत ऋतु की एक सुबह, संसद मार्ग से, एकल विरोध शुरू कर दिया, जो 'जलवायु परिवर्तन संकट' पर उत्प्रेरक वैश्विक विरोध में बदल गया |
जलवायु परिवर्तन संकट को' आपातकाल' घोषित करने के लिए इस विरोध ने संयुक्त राष्ट्र (UN ) का रूख किया और दुनियाभर के देशों से इसका अनुकरण करने के मांग की |
ऐसी कई कहानियां और भी है जहां एक व्यक्ति विशेष ने अपनी आपत्ति से विरोध क्रांति छेड़ दी |
कुछ अन्य व्यक्ति भी है जैसे 'विलियम थॉमस हालनबैक '(William Thomas Hallenback Jr) जिन्होंने 27 वर्षो तक 'व्हाइट हाउस' (White House) के बाहर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया ।
बहुत से लोग इस कर्मठ सक्रियवादी व्यक्ति के बारे में नहीं जानते । क्या उनका विरोध व्यर्थ गया ? उनके इस शांतिपूर्ण एकल प्रदर्शन ने प्रतिनिधि एलेनोर होम्स नॉर्टन (Eleanor Holmes Norton ) को कांग्रेस के समक्ष, 1994 में परमाणु निरस्त्रीकरण और आर्थिक रूपांतरण अधिनियम (Disarmament & Economic Conversion Act) पेश करने के लिए प्रेरित किया |
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अमेरिका में, ब्लैक लाइव्स मैटर (Black Lives Matter) एक चिरस्थायी विरोध है
इसलिए, व्यक्तिगत विरोध बहुत महत्वपूर्ण है, क्योकि आप नहीं जानते की, भविष्य मे वह विचार कितना विशाल हो सकता है और कितनी क्षमता वह खुद में दबा कर रखे हुए है | एक छोटी सी चिंगारी भी पूरी मानव जाति के दृष्टिकोण को बदल सकती है |
देश- विदेश के दैनिक समाचार - पत्रों में 'विरोध' का सबसे प्रमुख रूप -अधिकतर 'अहिंसक', देखा जा सकता है |
'विरोध' का दूसरा रूप, जिसे अधिकांश लोग ''राजनैतिक क्रांति'' कहते है, एक मिश्रण है, परिवर्तन और विरोध का । यद्पि यह 'विशृंखल' (Disorderly) परिवर्तन और हिंसा से संबंधित है |
अनेक सरकारों और उनके नेताओं ने अलग - अलग तरह के, 'विरोध' का सामना अपने - अपने तरीकों से किया है । जिसका प्रतिवचन (Response) शांतिपूर्ण और बर्बर (Brutal) दोनों तरह का रहा है ।
1989 में तियानमेन स्क्वायर (Tiananmen square), पर छात्र प्रदर्शनकारियों पर चीनी सरकार भारी पड़ गई थी, वही दूसरी ओर भारत के असम में, फरवरी 1983 में, अज्ञात प्रदर्शनकारियों ने 14 गावों के 2,191 प्रवासियों को मार डाला । इसे नेल्ली नरसंहार (Nellie Massacre) नाम से जाना जाता है |
बहरीन सरकार ने बुलडोज़र और भारी निर्माण तंत्र (Heavy Construction Machinery) से मोती स्मारक (Pearl Monument) को ध्वस्त कर दिया था, जबकि वह हज़ार (1000) पुलिस बलों की मदद से उस जगह हो रहे, शांति प्रदर्शन पर नियंत्रण रखने में सक्षम थी ।
यही कारण था की ' पर्ल राउंड अबाउट' (मोती स्मारक का वर्तमान नाम) प्रदर्शन, भविष्य में “विरोध का प्रतीक” बन गया|
यहां पर हम विरोध के विभिन्न तरीकों का, लेखा - जोखा देने या उनपर सरकार की प्रतिक्रिया के, इतिहास पर प्रकाश नहीं डालना चाहते । सरकार की प्रतिक्रिया, भले ही उनपर कठोर और हिंसक हुई थी, किन्तु हमारा ध्येय, अहिंसक विरोध के 'औचित्य' (Legitimacy) को मजबूत बनाने का है ।
मानव प्रतिक्रिया का आधारभूत (Integral) अंग है 'विरोध', इसलिए इसे भी मतदान के समान मान्यता मिलनी चाहिए, जो की यहां जांच का विषय है |
हमारी जिंदगियों में, जो कुछ भी होता है, वह हमारी इच्छा के अनुरूप हो, यह जरूरी नहीं। परिवार, स्कूल, कार्य स्थल, समाज, देश और दुनिया कही भी परिस्थितियाँ अनुपयुक्त (Undesirable) हो सकती है |
पर्यावरण, समुद्री जीवन या व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर, पड़ने वाले प्रभाव, जिसका कारण विदेशी सरकार का कोई निर्णय हो, हमें आपत्तिजनक लग सकते है |
परिवार के अंदर 'विरोध' करने के कई साधन होते है, जैसे घर से बाहर निकल जाना, या खुद को कमरे में बंद कर लेना |
कार्यस्थल पर व्यक्तिगत विरोध बहुत मुश्किल है, और अधिकांशतः (Mostly) व्यक्ति प्रतिफल के भय से, इसे टाल देता है, मगर वह कई औपचारिक मंचों, जैसे कर्मचारी संघों, समूहों, यूनियनों की मदद से विरोध प्रकट कर सकता है ।
आम नागरिको द्वारा जागरूकता बढ़ाने के लिए, नारेबाजी और भाषणबाजी करते हुए जनता का विरोध, सड़को पर देखा जाता है | लोग नामित जगह पर लम्बे समय के लिए, शिविर भी लगा लेते है |
'विरोध' जब 'शक्ति प्रदर्शन का खेल' बनने लगे तो समझ लेना चाहिए कि, विरोध का वास्तविक कारण, जोखिम भरी यात्रा शुरू कर रहा है |
व्यक्तिगत हमले, आरोप - प्रत्यारोप, इतिहासपरक (Historical) गलतियों का बखान करके, एक दूसरे को नीचा दिखाने जैसे दावं खेले जा सकते है । दोनों तरफ से बल का प्रयोग आम बात है और प्रायः यह हिंसा या कानून- व्यवस्था के उल्लंघन वाली स्थिति की ओर ले जाती है |
सार्वजनिक विरोध चाहे अपने लक्ष्य को, पूरा करें या नहीं, पर यह सभी 'शिक्षाप्रद ' होते है, ये मानव क्षमताओं को उभारते है, जो सामान्य परिस्थितियों में देखी या सुनी नहीं जाती |
यहां पर विचारो और विकल्पों की भीड़ होती है, जो बौद्धिक पक्ष द्वारा प्रत्यक्ष रूप से रखे जाते है । यहां पर वाद विवाद और चर्चाएँ होती है, बहुमत या अल्पमत, सहमत या असहमत हो सकते है, विचारो में मतभेद खुलकर, सामने आते है |
इतिहास से लेकर, प्रभाव की समीक्षा, विकल्प और विचार तक, सूचना की पहुंच, खुलकर सामने आती है |
सरकार का ‘विरोध', को एक नागरिक गतिविधि के रूप में देखने का दृष्टिकोण ही, उसके हिंसक या अहिंसक परिणामों के लिए उत्तरदायी होता है । सरकार की अगुआई (Leadership) एक महत्वपूर्ण और निर्णायक भूमिका निभाती है |
प्रदर्शनकारियों और सरकार के भीतर 'हित समूह' (Interest Group) जो एक -दूसरे को रोक सकते है, नतीजे तय करते है |
लोकतंत्र में सरकार के भीतर की, सक्रियता भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, किन्तु यह मुख्य रूप से, गोपनीय रखे जाने के कारण प्रलेखित (Documented) नहीं किया जाता |
दुनियाभर के देशों में, सभा और विरोध करने के अधिकार को 'संजो' कर रखा गया है |
यह अलग बात है की सरकारें उन्हें किस सीमा तक 'आदर' देती है | हताश और क्रोधित प्रदर्शनकारियों वाली, शांतिपूर्ण सभा का संचालन करना एक 'व्यवहार विज्ञान' है, जिसे अंगीकार (acknowledge) करने की आवश्यकता है ।
पुरातन समय से ही, दुनियाभर में प्रत्येक विरोध ने यह दिखाया है की ऐसे तत्व है जो, एक ही उद्देश्य की प्राप्ति के लिए भिन्न मार्ग अपनाते है, उनमें से कुछ हिंसक हो सकते है और शस्त्रों का प्रयोग करते है |
इतिहास में ऐसे कई उदहारण है, जहां सरकार ने भारी गोलाबारी और सेना की मदद से, विरोध प्रदर्शनों को कुचला है |
स्थिति हाथ से निकालने पर, प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिये, कानून के माध्यम से उनपर प्रतिबन्ध लगा कर, व्यक्तिगत अधिकार का हनन करना, एक अन्य तरीका है |
सरकार भी विरोध से सीखती है और विकास करती है |
असल मे, दुनियाभर मे कई लोकतान्त्रिक सरकारें, ऐसे नेताओं द्वारा ही बनाई गई है, जो विरोध से ही 'उभरे' थे । सत्ता में आने के बाद, जिन समस्याओं के लिए वे लड़े थे, उनके समाधान पाने में कितने सफल रहे, यह एक अलग जांच का विषय है |
एक अच्छा पहलू यह है कि, प्रदर्शनकारी अब विभिन्न माध्यमों का उपयोग सन्देश फैलाने, समर्थन लेने और उद्देश्य को संवाद द्वारा संचालित करने के लिए, कर रहे है ।
सोशल मीडिया एक साधन है, जो अब हर पक्ष के लिये उपयुक्त है । यह विरोध उत्पन्न कर रहा है और सिर्फ इसका एक समर्थक माना जाता है|
बलिदान और बौद्धिक उत्तेजना वह साधन हैं, जो प्रदर्शनकारियो को सबसे अधिक प्रोत्साहित और आकर्षित करते है ।
भूख हड़ताल, हजारो मील पैदल चलना, खुले आकाश के नीचे बैठकर ठंडी और गर्मी को सहना, खुद को सड़क या इमारत से बांधना, यहां तक कि आत्मदाह कर लेना, इसमें शामिल है | नेता का प्रत्यक्ष बलिदान 'विरोध ' की कुंजी है |
'विरोध' से निकला दुनिया को एक और उपहार है 'भाषणकला के उत्कृष्ट अंश', उन क्षणों में कहे गए गहरे विचार, सदियों से उपयोगी रहे है |
मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther king Jr |) के "आई हैव ए ड्रीम" (I Have a Dream) भाषण को कोई नहीं भूल सकता | इन विरोधों से निकले 'आधारभूत नियमो' को परिभाषित करते 'सिद्धांत', भविष्य में मानवता का मार्गदर्शन करेंगे |
इसका नकारात्मक पहलू, इसके विरोध को रोकने के तरीके, जो एक अभिनव प्रक्षेप पथ (Innovative Trajectory) पर है, अधिकतर यह गलत सूचना पर किया गया है |
दिमागी खेल खेलने के लिए मीडिया कवरेज और केंद्रित चर्चा में हेर -फेर किया जाता है | बड़े पैमाने पर मीडिया को किसी राजनीतिक मोड़ या किसी विशेष 'हितसमूह ' का पक्ष लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है |
जमीनी स्तर पर धातु सामग्री का, उपयोग काफी उन्नत हो गया है जिसमे, बल्बा- रक्षित प्रशिक्षित सिपाही (Anti-riot Gears), वॉटर कैनन (Water Cannons), चेहरा पहचानने की निगरानी (face recognition surveillance ) आदि शामिल है |
संक्षेप में, इतिहास ने यही दिखाया है की 'विरोध' हमेशा सभी मानव प्रक्रियाओं का 'शिक्षालय' और युद्ध का मैदान बन जाता है |
एक सफल विरोध को परिभाषित करने के लिए, अनुभव पर आधारित कोई फार्मूला नहीं है | कई ऐसे है, जिनके परिणाम छोटी सी अवधि में, प्राप्त हुए और कुछ ऐसे भी, जो लम्बे समय से चले आ रहे है और जिनका कोई अंत नजर नहीं आ रहा |
कुछ विरोध एक ख़ास चेहरे की पहचान की वजह से अकेले नेतृत्व वाले रहे है और कुछ ऐसे भी है जो चेहराविहीन होते हुए भी सफल रहे, जैसे - मिस्र (Egypt) का तहरीर स्क्वायर (Tahrir Square) आंदोलन |
1918 का 'महिला मताधिकार आंदोलन' (Women Suffrage) जो ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain) और आयरलैंड (Ireland) में हुआ था, आज भी एक 'प्रेरणा स्रोत' है, उन महिलाओं के लिए जो 21वी सदी में समानाधिकार और महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ रही हैं |
सफल विरोध का कोई 'एक' पैमाना नहीं है, इसका एक लम्बा मानव इतिहास रहा है जिसमें कई कहानियाँ है, जो कथाओं और विवेचनाओं को खुद में समाये हुए है |
तो, क्या शांतिपूर्ण विरोध वास्तव मे काम करते है ? हां, यह सभी संरक्षण की शुरु वात करते है, चाहे यह परिवर्तन जल्दी लाये या देरी से, मामूली लायें या महत्वपूर्ण, किन्तु कम से कम समस्या पर' ध्यान' अवश्य केंद्रित करते है |
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