राजनीति में कायापलट : कर- वित्त पोषित चुनाव
राजनीति में कायापलट : कर- वित्त पोषित चुनाव
Revolutionising Politics: Tax-Funded Elections का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
राजनीति में कायापलट : कर-वित्त पोषित चुनाव
राजनीति की दुनिया में, यह सवाल करना कि क्या चुनावों को कर-वित्त पोषित किया जाना चाहिए, एक जटिल और बहुआयामी सवाल है। यह एक ऐसा विषय है जो सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक-आर्थिक महत्व के मुद्दों से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है।
दुनिया भर के कई देशों ने पहले ही चुनावों के लिए विभिन्न स्तरों पर सार्वजनिक निधिकरण शुरू कर दिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य राजनीति में निजी धन के अक्सर-अनुचित प्रभाव को कम करना है।
इन प्रयासों का उद्देश्य चुनावी प्रक्रिया के भीतर समान स्तर, निष्पक्षता और पारदर्शिता को बढ़ावा देना है।
फिर भी, अब तक, किसी भी देश ने पूरी तरह से कर-वित्त पोषित चुनावों की अवधारणा को नहीं अपनाया है , जिसमें चुनावी मशीनरी का हर पहलू, अभियान के वित्तपोषण से लेकर उम्मीदवार के समर्थन तक, केवल करदाताओं द्वारा समर्थित होता है।
इसके बजाय, कई देशों ने सार्वजनिक वित्त पोषण के विभिन्न स्तरों के साथ इस जोखिम भरे क्षेत्र में कदम रखा है, जिससे विभिन्न देशों से लेकर राष्ट्रों में कई तरह के दृष्टिकोण तैयार किए जा रहे हैं।
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... अब तक, किसी भी देश ने पूरी तरह से कर-वित्त पोषित चुनावों की अवधारणा को पूरी तरह से नहीं अपनाया है...
कर-वित्त पोषित चुनावों के लाभ
1. धन के प्रभाव को कम करना
राजनीति में धनी व्यक्तियों और विशेष रुचि समूहों (special interest groups) के असंगत प्रभाव को रोकने के लिए चुनावों की सार्वजनिक वित्त व्यवस्था एक प्रभावी व्यवस्था है।
कर-वित्त पोषित चुनाव, उम्मीदवारों को अपने अभियान चलाने के लिए सार्वजनिक वित्त व्यवस्था प्रदान करके निजी दान पर उनकी निर्भरता को सीमित करते हैं।
ऐसा करके , कर- निधि अभियान एक अधिक निष्पक्ष स्थिति बनाने का प्रयास करता है , जिससे उम्मीदवारों को अपने धन उगाहने के कौशल के बजाय अपने दृष्टिकोण और संदेश पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति मिलती है।
मिलान निधि: अमेरिका में, न्यूयॉर्क शहर अभियान वित्त कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण अनुपात (उदाहरण के लिए, 6-से-1) पर नगर परिषद और महापौर
(मेयर) के उम्मीदवारों को छोटे भुगतान से मेल खाता है।
यह दृष्टिकोण उम्मीदवारों को जमीनी स्तर के लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे बड़े दानदाताओं पर उनकी निर्भरता कम हो जाती है।
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ऐसा करके, कर-निधि अभियान एक अधिक निष्पक्ष स्थिति बनाने का प्रयास करता है ...
खर्च की सीमा तय करना : अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव अभियान कोष, उन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को सार्वजनिक वित्त व्यवस्था प्रदान करता है जो खर्च की सीमा का पालन करने के लिए सहमत होते हैं, इस प्रकार यह अमीर उम्मीदवारों को वित्तीय संसाधनों के साथ अभियान को जबर्दस्त तरीक़े से आगे बढ़ाने से रोकते हैं।
मुफ़्त मीडिया पहुंच: भारत, ब्रिटेन और जर्मनी सहित कई अन्य देशों की तरह फिनलैंड भी, चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को मुफ्त प्रसारण समय प्रदान करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी दलों को , अन्य ताक़तवर दलों की वित्तीय ताकत और रसूख की परवाह किए बिना अपने संदेशों को जनता तक पहुँचाने के लिए एक मंच मिले।
प्रकटीकरण और पारदर्शिता: जैसा कि, जर्मनी के राजनीतिक दल के वित्त- संबंधी कानूनों में देखा गया है, मजबूत प्रकटीकरण और पारदर्शिता मापदण्ड दलों को, अपने अनुदान स्रोतों और अभियान ख़र्चों को प्रकट करने के लिए मजबूर करते हैं।
सार्वजनिक बहस और जनसभा: अमेरिका में महिला मतदाताओं के संघ में उम्मीदवारों की बहस आयोजित करने, उम्मीदवारों को उनकी नीतियों पर चर्चा करने और मतदाताओं के साथ जुड़ने के लिए एक मंच प्रदान करने की समृद्ध परंपरा है।
यह मंच उम्मीदवारों के लिए महंगे विज्ञापन अभियानों पर विशेष रूप से निर्भर रहने की आवश्यकता को कम करता है।
संसाधनों तक समान पहुंच: कर-वित्त पोषित चुनावों का उद्देश्य सभी योग्य उम्मीदवारों के लिए संसाधनों तक समान पहुंच प्रदान करना है, चाहे उनकी वित्तीय परिस्थितियाँ कुछ भी हो।
यह दृष्टिकोण निष्पक्ष स्थिति को बराबर करता है और बहुत अधिक वित्तीय संसाधनों वाले उम्मीदवारों के लाभ को कम करता है।
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यह समर्थन विशेष रूप से उन उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनके पास व्यक्तिगत संपत्ति का अभाव है या फिर दोनों हाथों से धन लुटाने वाले दाताओं तक उनकी पहुंच नहीं है
2. विविध प्रकार के अभ्यर्थियों को प्रोत्साहित करना
कर-वित्त पोषित चुनाव उन वित्तीय बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं जो अक्सर विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को राजनीतिक कॅरियर का अनुसरण करने से रोकते हैं।
वे वित्तीय सहायता और संसाधन प्रदान करके, समावेशिता और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देकर राजनीतिक कार्यक्षेत्र का लोकतंत्रीकरण करते हैं।
सार्वजनिक वित्त व्यवस्था: चुनावों का सार्वजनिक अनुदान उम्मीदवारों को प्रतिस्पर्धी अभियान को बढ़ाने के लिए आवश्यक वित्तीय संसाधन प्रदान करता है।
यह समर्थन विशेष रूप से उन उम्मीदवारों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है जिनके पास व्यक्तिगत संपत्ति का अभाव है या फिर दोनों हाथों से धन लुटाने वाले दाताओं तक उनकी पहुंच नहीं है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में, संघीय चुनाव आयोग विशिष्ट मानदंडों को पूरा करने वाले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों को सार्वजनिक वित्त व्यवस्था प्रदान करता है, इस प्रकार कम विशेषाधिकार प्राप्त पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम बनाता है।
मिलान निधि: कुछ कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियाँ छोटे-डॉलर के दान के लिए मिलान निधि की पेशकश करती हैं, जो सीमित वित्तीय साधनों वाले उम्मीदवारों के लिए एक वरदान है।
उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क शहर अभियान वित्त कार्यक्रम 6 से 1 के अनुपात में नगर परिषद और महापौर (मेयर) पद के उम्मीदवारों के योगदानों से मेल खाता है, जिससे उम्मीदवारों को व्यापक आधार वाले दानदाताओं से समर्थन प्राप्त करने का प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
खर्च सीमा: सार्वजनिक धन स्वीकार करने वाले उम्मीदवारों पर खर्च सीमा लगाने से एक निष्पक्ष स्थिति सुनिश्चित होती है और अमीर उम्मीदवारों को अभियान पर हावी होने से रोका जाता है।
यह समानीकरण उन उम्मीदवारों के लिए अवसरों के दरवाज़े खोलती है जिनके पास पर्याप्त वित्तीय संसाधनों तक पहुंच नहीं है।
उदाहरण के लिए, फ्रांस के अभियान वित्त कानूनों ने सार्वजनिक धन प्राप्त करने वाले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए खर्च सीमा शामिल की हुई है।
मीडिया तक समान पहुंच: कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणाली उम्मीदवारों को टेलीविजन और रेडियो सहित अन्य मीडिया मंचों तक मुफ्त या कम कीमत पर पहुंच प्रदान कर सकती है।
यह पहुंच सुनिश्चित करती है कि, सीमित संसाधनों वाले उम्मीदवार फिर भी व्यापक दर्शकों तक पहुंच सकते हैं।
फ़िनलैंड, चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों को मुफ़्त प्रसारण समय प्रदान करता है, जिससे छोटे दलों सहित सभी दलों को अपने संदेशों का संचार करने की अनुमति मिलती है।
प्रशिक्षण और सहायता: सार्वजनिक वित्तपोषण प्रणालियों में अक्सर उम्मीदवारों के लिए विशेषकर राजनीति में आये नए लोगों के लिए प्रशिक्षण और सहायता की व्यवस्था शामिल होती है।
ये साधन विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को अभियान चलाने की जटिलताओं से निपटने में मदद करते हैं।
ऐसा समर्थन कनाडा सहित विभिन्न देशों में पाया जा सकता है, जहां 'इक्वल वॉयस' (Equal Voice) जैसे संगठन राजनीतिक कॅरियर में रुचि रखने वाली महिलाओं को प्रशिक्षण और सलाहकारों द्वारा उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
3. पारदर्शिता और जवाबदेही
चुनावों का सार्वजनिक वित्तपोषण ठोस नियमों और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं के मामलें में अक्सर साथ-साथ आता है।
पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के उद्देश्य से किए गए ये उपाय, विविध उम्मीदवारों को निष्काषित करने के प्रयत्नों, चुनावी प्रक्रिया में हेरफेर करने या भेदभावपूर्ण आचरण को हतोत्साहित करने और एक निष्पक्ष राजनीतिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के प्रयासों को उजागर करने में मदद करते हैं।
योगदान और व्यय का खुलासा: कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणाली, उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों के लिए यह अनिवार्य करती है कि, वे उन्हें प्राप्त सभी अनुदानों और उनके द्वारा किए गए व्यय का खुलासा करें।
यह जानकारी जनता के लिए उपलब्ध है, जिससे मतदाताओं को अभियान के वित्त की जांच करने की अनुमति मिलती है।
उदाहरण के लिए, अमेरिका में संघीय चुनाव आयोग (एफईसी) और भारत में भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) उम्मीदवारों और राजनीतिक समितियों के लिए यह अनिवार्य करते हैं कि, वे अपने योगदान, व्यय और ऋण सहित अभियान धनराशि का विस्तृत खुलासा करें।
योगदान सीमाएँ: कई कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियाँ व्यक्तियों, संगठनों और राजनीतिक दलों पर योगदान सीमाएँ लगाती हैं।
ये सीमाएँ किसी भी इकाई को बड़ी रकम का योगदान करके अनुचित प्रभाव डालने से रोकती हैं।
उदाहरण के लिए, कनाडा के संघीय अभियान वित्त कानूनों में संघीय राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए योगदान सीमाएँ शामिल हैं।
सार्वजनिक वित्तपोषण रिपोर्टिंग: सार्वजनिक वित्तपोषण प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को हमेशा सख्त रिपोर्टिंग माँगों का पालन करना चाहिए, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे वैध अभियान खर्चों के लिए करदाता डॉलर का उपयोग करते हैं।
आदेश के अनुसार कानून का पालन ना कर पाने की विफलता के परिणामस्वरूप जुर्माना या सार्वजनिक धन का पुनर्भुगतान हो सकता है।
यूनाइटेड किंगडम (Uk) में, संसदीय चुनावों के लिए सार्वजनिक "शॉर्ट मनी" (Short money ) या "क्रैनबोर्न मनी" (Cranborne Money) प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों को अपने खर्च की रिपोर्ट स्वतंत्र संसदीय मानक प्राधिकरण (आईपीएसए) को देनी होगी।
स्वतंत्र निरीक्षण और प्रवर्तन: कई कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियों में स्वतंत्र निरीक्षण निकाय होते हैं जो अभियान वित्त कानूनों को लागू करने और उनका पालन सही ढंग से हो यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
ये निकाय शिकायतों और कानून उल्लंघनों की जांच करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर जुर्माना लगा सकते हैं।
अमेरिका में संघीय चुनाव आयोग और यूनाइटेड किंगडम में चुनाव आयोग ऐसी निगरानी संस्थाओं के उदाहरण हैं।
तृतीय पक्ष के खर्च पर सीमाएं: कुछ कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियां तीसरे पक्ष के समूहों, जैसे राजनीतिक कार्रवाई समितियों (पीएसी) या सुपर पीएसी (PACs), के उम्मीदवारों या पार्टियों से स्वतंत्र रूप से पैसा खर्च करने की क्षमता को प्रतिबंधित करती हैं।
यह सीमा वित्तीय लाभों के अनुचित प्रभाव को रोकने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, अमेरिका में उम्मीदवारों और स्वतंत्र व्यय समितियों के बीच समन्वय पर कई कानूनी नियम हैं।
विज्ञापन में पारदर्शिता: कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियों को विज्ञापनों द्वारा राजनीतिक प्रचार में पारदर्शिता की आवश्यकता हो सकती है, वह यह अनिवार्य कर सकते है कि विज्ञापन यह खुलासा करें कि उनके लिए भुगतान किसने किया।
यह सुनिश्चित करता है कि मतदाता, अभियान संदेशों के स्रोतों की पहचान कर सकें। अमेरिका सहित कई देशों में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए ऐसी प्रकटीकरण आवश्यकताएँ हैं।
अभियान वित्त की लेखापरीक्षा: कुछ प्रणालियों में वित्तीय रिपोर्टों की सटीकता और सार्वजनिक धन के उचित उपयोग की सत्यता की जाँच करके उसे प्रमाणित करने के लिए अभियान वित्त की लेखापरीक्षा के प्रावधान शामिल हैं।
यह जवाबदेही की एक अतिरिक्त परत जोड़ता है। उदाहरण के लिए, स्वीडन में, सरकारी धन प्राप्त करने वाले राजनीतिक दल स्वीडिश 'राष्ट्रीय लेखा परीक्षा कार्यालय' (Swedish National Audit Office)
द्वारा नियमित अंकेक्षण (ऑडिट) पर निर्भर हैं।
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...भेदभावपूर्ण आचरण को हतोत्साहित करने और एक निष्पक्ष राजनीतिक परिदृश्य को बढ़ावा देने के प्रयासों को उजागर करने में मदद करते हैं
कर-वित्त पोषित चुनाव इन मापदंडों को अमल में लाकर अधिक पारदर्शी और जवाबदेह चुनावी प्रक्रिया बनाते हैं।
ऐसी प्रणालियों वाले देशों के वास्तविक जीवन के उदाहरण प्रमाणित करते हैं कि, कैसे ये नियम और निरीक्षण तंत्र, भ्रष्टाचार, अनुचित प्रभाव और अपारदर्शी अभियान वित्तपोषण की संभावना को कम करके लोकतंत्र की अखंडता को बनाए रखने में मदद करते हैं।
कर-वित्त पोषित चुनावों के नुकसान
यद्यपि कर-वित्त पोषित चुनाव लोकतांत्रिक आदर्शों को अधिक मज़बूत बनाने का वादा करते हैं, किन्तु ये नुकसान के कुछ अंश भी अपने साथ शामिल किए हुए हैं। इस दृष्टिकोण से उत्पन्न चुनौतियों की समग्र समझ हासिल करने के लिए इन कमियों का मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है।
1. करदाताओं के लिए लागत
कर-वित्त पोषित चुनावों को लेकर जो सबसे महत्वपूर्ण बात चिंतित करती है वह है इसके द्वारा करदाताओं पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ । सार्वजनिक खजाने से चुनावों का वित्तपोषण करना महंगा हो सकता है, खासकर कि भारत जैसे बड़े देशों में, जहां बार-बार चुनाव होते हैं।
आलोचकों का तर्क है कि करदाता निधि को स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा या बुनियादी ढांचे जैसी अति आवश्यक जरूरतों के लिए बेहतर ढंग से आवंटित किया जा सकता है।
भारत देश में, जहां केंद्र स्तर पर राज्य सरकार के और स्थानीय स्तरों पर पंचायत और नगर पालिका के चुनाव बार बार होते हैं, एक व्यापक कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणाली को लागू करने के लिए सार्वजनिक खर्च में बहुत अधिक वृद्धि की आवश्यकता हो सकती है।
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सार्वजनिक खजाने से चुनावों का वित्तपोषण करना महंगा हो सकता है, खासकर कि भारत जैसे बड़े देशों में, जहां बार-बार चुनाव होते हैं
यह संभावित रूप से संसाधनों को शासन प्रणाली के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से हटाकर दूसरे कामों में लगा देगा, जिससे करदाताओं के धन के आवंटन के बारे में बहस शुरू हो जाएगी।
2. बोलने की स्वतंत्रता संबंधी चिंताएँ
कर-वित्त पोषित चुनाव अक्सर व्यक्तियों की 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' (freedom of speech) कानून के संभावित उल्लंघन के बारे में चिंताएं पैदा करते हैं।
आलोचकों का तर्क है कि ऐसी प्रणालियाँ नागरिकों को उन उम्मीदवारों अथवा कारणों को आर्थिक रूप से समर्थन देने की क्षमता को सीमित कर सकती हैं जिन पर वे विश्वास करते हैं।
वे दावा करते है कि राजनीतिक योगदान, अभिव्यक्ति का एक प्रकार है और इसे संरक्षित किया जाना चाहिए।
अमेरिका, अभियान वित्त नियमों के लिए कानूनी चुनौतियों का सामना करने का गवाह रहा है क्योंकि वे मुक्त भाषण की सुरक्षा के प्रथम संशोधन का उल्लंघन करते हैं ।
आलोचकों का तर्क है कि व्यक्तिगत या कॉर्पोरेट राजनीतिक खर्च पर प्रतिबंध, राजनीतिक भागीदारी में बाधा डालते हैं, जिससे लोकतंत्र में नियमों और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के बीच संतुलन के बारे में बहस छिड़ जाती है।
3. नौकरशाही और लाल फीताशाही
कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणाली को लागू करना और प्रबंधित करना नौकरशाही जटिलताओं से भरा हुआ हो सकता है।
अभियान वित्त की देखरेख के लिए नई सरकारी एजेंसियों का निर्माण या मौजूदा एजेंसियों का विस्तार आवश्यक करना भी इसमें शामिल हो सकता है। ऐसी प्रशासनिक जटिलताएँ अक्षमताओं और नौकरशाही या लालफीताशाही को जन्म दे सकती हैं।
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अमेरिका, अभियान वित्त नियमों के लिए कानूनी चुनौतियों का सामना करने का गवाह रहा है क्योंकि वे मुक्त भाषण की सुरक्षा के प्रथम संशोधन का उल्लंघन करते हैं
कुछ देशों में, सार्वजनिक वित्तपोषण कार्यक्रमों के प्रशासन को अत्यधिक नौकरशाही होने और उम्मीदवारों को धन वितरित करने में सुस्त होने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा है।
इसका कार्य असाधारण रूप से कर-वित्त पोषित चुनावों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए नियामक निरीक्षण और कुशल प्रशासन के बीच सही संतुलन बनाने का रहता है।
4. दुरुपयोग का खतरा
यद्यपि कर-वित्त पोषित चुनावों का उद्देश्य निजी धन के प्रभाव को कम करना है किन्तु, फिर भी उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक धन के गलत प्रयोग या दुरुपयोग का खतरा लंबे समय तक बना रहता है।
मजबूत निरीक्षण और प्रवर्तन तंत्र के बिना, करदाताओं का पैसा अनुचित तरीके से खर्च किया जा सकता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही के लक्ष्य कमजोर हो सकते हैं जिन्हें कर-वित्त पोषित चुनाव हासिल करने की कोशिश करते हैं।
फ़्रांस में, राजनीतिक दलों द्वारा सार्वजनिक अभियान निधि के संभावित दुरुपयोग को लेकर चिंताएँ पैदा हो गई हैं।
धोखाधड़ी करने वाले दावों और धन का अनुचित रूप से उपयोग करने के आरोपों ने सार्वजनिक संसाधनों की सुरक्षा के लिए मजबूत निगरानी और सख्त प्रवर्तन तंत्र की मांग को जन्म दिया है।
5. कार्यान्वयन की जटिलता
चुनाव प्रणाली को कर-वित्त पोषित प्रणाली में बदलना तार्किक रूप से एक चुनौतीपूर्ण प्रयास हो सकता है।
यह चुनाव कानूनों में महत्वपूर्ण बदलाव, अभियान वित्तपोषण नियमों में समायोजनों और मतदाताओं और उम्मीदवारों को नई प्रणाली की जटिलताओं के बारे में शिक्षित करने के लिए व्यापक जन जागरूकता अभियान को अनिवार्य बना सकता है।
मेक्सिको में, राजनीतिक दलों के लिए प्रणाली का परिवर्तन, एक सार्वजनिक वित्तपोषण प्रणाली में होना एक जटिल और बहु-वर्षीय प्रयास था।
इसमें विधान संबंधी परिवर्तन, नए नियामक निकायों की स्थापना और व्यापक शैक्षिक पहलें शामिल थीं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उम्मीदवार और मतदाता उभरते हुए चुनावी परिदृश्य को समझ सकें।
6. प्रभाव को कम करने में प्रभावशीलता
आलोचकों का तर्क है कि कर-वित्त पोषित चुनाव राजनीति में धन के प्रभाव को कम करने में प्रभावी नहीं हो सकते हैं।
उनका तर्क है कि खामियाँ या वैकल्पिक समर्थन विधियाँ, जैसे कि स्वतंत्र व्यय समितियाँ, अभी भी मौजूद हो सकती हैं और सार्वजनिक वित्तपोषण के तय किए गए उद्देश्यों को दरकिनार करते हुए महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।
कनाडा जैसे देशों में, जहां सार्वजनिक वित्तपोषण बढ़ाकर राजनीतिक दलों को दिया जाता है, वहां पर चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं 'तीसरे पक्ष के समूहों' के प्रभाव को लेकर जो स्वतंत्र रूप से उम्मीदवारों और पार्टियों का पैसा खर्च कर सकते हैं।
यह अनुचित प्रभाव को रोकने में कर-वित्त पोषित चुनाव प्रणालियों की व्यापकता पर सवाल उठाता है।
लोकतांत्रिक शासन के पेचीदा चित्रपट में, कर-वित्त पोषित चुनावों का प्रश्न एक महत्वपूर्ण धागे की तरह है। जो निष्पक्षता, प्रतिनिधित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही की महत्वकांशाओं को लागत, बोलने की स्वतंत्रता, नौकरशाही और संभावित नुकसानों की जटिलताओं के साथ एक साथ बुनता है ।
दुनिया भर के वास्तविक जीवन के उदाहरण इन भिन्न ताकतों के बीच संतुलन बनाने के तरीके खोज निकालने के लिए देशों के विविध दृष्टिकोण को दर्शाते हैं।
जिस तरह समाज सार्वजनिक धन और लोकतांत्रिक आदर्शों के बीच जटिल पारस्परिक प्रभाव के साथ जूझ रहा है, यह सवाल बना हुआ है कि : क्या कर-वित्त पोषित चुनाव वास्तव में अधिक निष्पक्ष और पारदर्शी लोकतंत्र की आधारशिला हो सकते हैं?
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यह निष्पक्षता, प्रतिनिधित्व, पारदर्शिता और जवाबदेही महत्वकांक्षाओं को, लागत, बोलने की स्वतंत्रता, नौकरशाही और संभावित नुकसानों की जटिलताओं के साथ एक साथ बुनता है
लोकतंत्र को मजबूत करने के लक्ष्य में, केवल मंजिल ही मायने नहीं रखती, बल्कि यात्रा भी मायने रखती है - एक यात्रा जो विचारशील बहस, निरंतर परिशोधन और लोकतांत्रिक प्रयोग की नींव रखने वाले सिद्धांतों के प्रति एक अटूट प्रतिबद्धता से चिह्नित होती है।
कर-वित्त पोषित चुनाव इस यात्रा में एक ऐसा ही मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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