कोल्ड ड्रिंक्स के लिए स्वतंत्रता और विनियमन की लड़ाई
कोल्ड ड्रिंक्स के लिए स्वतंत्रता और विनियमन की लड़ाई
Fizzy Battle of Freedom and Regulation का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
कोल्ड ड्रिंक्स , जिन्हें शीतल पेय, कार्बोनेटेड पेय या सोडा के रूप में भी जाना जाता है, का स्वाद सभी के द्वारा मान्यता प्राप्त है। मिठास और कार्बोनेशन का वह अलग सा मिश्रण जिसमें एक अनूठा आकर्षण है जो सीमाओं और संस्कृतियों से परे है।
स्टेटिस्टा (Statista) के अनुसार, कोल्ड ड्रिंक्स की सिर्फ दो शीर्ष कंपनियाँ भी अपने विज्ञापनों पर सालाना लगभग 300 करोड़ से 400 करोड़ खर्च करती हैं ।
इन दो शीर्ष कंपनियों का वार्षिक राजस्व लगभग 3000 करोड़ से 4000 करोड़ है, और यदि उनका बाजार पूंजीकरण (market capitalisation) मापा जाए, तो उन्हें जी-20 देशों की सूची में शामिल किया जा सकता है।
ये आय इन कंपनियों को संबंधित सरकारों के साथ साझेदारी स्थापित करवा कर अत्यधिक लाभ प्रदान करतीं हैं। यह कंपनियां गर्व से कह सकती है कि वे लाखों लोगों को विनिर्माण, बिक्री, वितरण और पुनर्विक्रय के कार्यों में रोजगार दे सकतीं हैं।
हर साल, दुनिया भर में लगभग 3500 करोड़ लीटर शीतल पेय बेचा जाता है, जिसमें प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष औसतन 50 लीटर की खपत होती है।
इन पेय पदार्थों में ऐसा क्या है जो युवाओं और बूढ़ों की स्वाद कलिकाओं (Taste buds) को समान रूप से आकर्षित करता है?
इनके इतने प्रभावी होने के प्राथमिक कारणों में से एक है इनकी विज्ञापन की प्रणाली और विपणन की शक्ति ।
कोल्ड ड्रिंक्स विश्व स्तर पर सबसे अधिक विज्ञापित और विपणन किए जाने वाले उत्पादों में से हैं, और उनके अभियान अक्सर युवा लोगों को लक्षित करते हैं।
ये विज्ञापन कोल्ड ड्रिंक्स को मौज-मस्ती, उत्साहमयी प्रसन्नता और समाजीकरण से जोड़ते हैं, जिससे वे युवाओं के लिए अप्रतिरोध्य बन जाते हैं। यहां पर संदेश स्पष्ट है कि : इन पेय पदार्थों का सेवन आपके जीवन के आनंद को बढ़ाता है।
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दो शीर्ष कंपनियों का वार्षिक राजस्व लगभग 3000 करोड़ से 4000 करोड़ है
कोल्ड ड्रिंक्स की कंपनियाँ अपने उत्पादों के प्रति आकर्षण पैदा करने में बहुत अधिक माहिर हैं। वे जो दिमागी खेल अपने विज्ञापनों में इस्तेमाल करते हैं वे शक्तिशाली और सार्थक हैं।
एक सामान्य सी युक्ति है * ' भावनात्मक अपील '। कोल्ड ड्रिंक्स के विज्ञापन उनके उत्पादों को आनंद , मौज-मस्ती, खुशी मनाने और मेल- जोल जैसी सकारात्मक भावनाओं से जोड़ते हैं।
वे लोगों में यह धारणा बनाते हैं कि इन पेय पदार्थों के सेवन से उनका मिज़ाज बेहतर होगा और कुल मिलाकर उन्हें अधिक सुखद अनुभव होगा।
* जब विपणक अपने उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए उत्पाद की विशेषताओं और विशिष्टताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय पारिवारिक मूल्यों, खुशी, आश्चर्य, क्रोध, विश्वास जैसे भावनात्मक कारकों का उपयोग करते हैं तो जो आकर्षक उपयोग किया जाता है उसे भावनात्मक अपील कहा जाता है।
संवेदी अपील एक महत्वपूर्ण कारक है. कोल्ड ड्रिंक्स के पदार्थों का विपणन न केवल उनके स्वाद के लिए बल्कि उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले संवेदी अनुभव के लिए भी किया जाता है।
विपणन अभियानों में गैस की ध्वनि, ताज़ा स्वाद और झनझनाहट से भरे बुलबुले प्रमुख हैं। भारतीय बाजार को गर्मियों में राहत देने वाले बाजार के रूप में लक्षित किया गया है।
युवा और लोकप्रियता ऐसे विषय हैं जिनका अक्सर उपयोग किया जाता है। कई विज्ञापन युवा किशोरों की आबादी को लक्षित करते हैं, यह अपने उत्पादों को युवा संस्कृति, लोकप्रियता और सामाजिक स्वीकृति के साथ जोड़ते हैं।
इनका संदेश यह है कि इन पेय पदार्थों को पीने से आप अधिक आकर्षक बनेंगे और "भीड़" का आकर्षण बनेंगे।
नॉस्टैल्जिया (गृहातुरता ) उनके शस्त्रागार में एक और उपकरण है। कुछ कोल्ड ड्रिंक्स की कंपनियाँ बचपन या भूतकाल के मिले अनुभवों की भावनाओं को जगाते हुए, पुरानी यादों के लिए एक निकास बिंदु बनातीं हैं।
कंपनियों के परिचित नारे, प्रतीक चिन्ह (Logo), या उनका अपने पुराने डिज़ाइन वापिस लाना, उपभोक्ताओं को अतीत के समय में वापस ले जा सकते हैं।
मशहूर हस्तियां अक्सर स्क्रीन पर आकर उसकी शोभा बढ़ाती हैं, और कोल्ड ड्रिंक्स के विज्ञापनों में उत्पाद का खुलकर समर्थन करतीं हैं।
जिससे यह धारणा बनती है कि यदि आप इन उत्पादों का उपभोग करते हैं, तो आप इन प्रभावशाली हस्तियों की तरह बनेंगे। प्रसिद्धि और दौलत का आकर्षण पेय पदार्थ की मांग के साथ जुड़ जाता है।
आइए उन भारतीय हस्तियों पर नज़र डालें, जिन्होंने कोल्ड ड्रिंक्स ब्रांडों का समर्थन किया है।
भारतीय सिनेमा, खेल और मनोरंजन की जीवंत दुनिया में, कई सितारों ने लोगों को इन पेय पदार्थों के प्रति आकर्षित करके अपना करिश्मा दिखाया है। ये समर्थन केवल विपणन रणनीतियाँ नहीं हैं; वे उद्योग का एक अभिन्न अंग हैं।
हाल ही में, कुछ खेल हस्तियों ने कोल्ड ड्रिंक्स का प्रचार करने से इनकार कर दिया है। यह एक ऐसा चलन है, जो विज्ञापनों के कारण चमक बनाम बोतल में सामग्री के बीच की बहस के साथ आगे बढ़ रहा है।
सीमित समय की पेशकश (Limited-time offers) एक पारंपरिक मार्केटिंग (classic marketing) रणनीति है जो 'छूटने का डर' (Fomo) से चलती है।
पेय पदार्थों की सीमित उपलब्धता वाले प्रचार, अत्यावश्यकता और कमी की भावना पैदा करते हैं, जिससे लोगों को जल्दी से इनकी खरीदारी करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
कंपनियाँ अक्सर अपने उत्पादों को * "स्वास्थ्य प्रभामंडल" (health halo) देने का प्रयास करती हैं। वे कम-कैलोरी या चीनी-मुक्त संस्करणों को बढ़ावा देती हैं, जिससे कृत्रिम मिठास का उपयोग होने पर भी एक स्वस्थ विकल्प का आभास होता है।
* किसी एक दावे या विशेषता के कारण किसी चीज़ की स्वास्थ्यप्रदता को अधिक महत्व देने की प्रवृत्ति।
खाने की ज्यादा मात्रा और बंडलिंग ( समूहित) सौदे उपभोक्ताओं को उनके शुरुआती इरादे से अधिक खरीदने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, जो उनकी पैसा वसूल की इच्छा वाली नब्ज़ पकड़कर चतुराई से उसपर काम करते हैं।
* उत्पाद बंडलिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें कई उत्पादों को एक साथ समूहीकृत किया जाता है और एक कीमत पर एक इकाई के रूप में बेचा जाता है।
इस रणनीति का उपयोग ग्राहकों को अधिक उत्पाद खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया जाता है। मैकडॉनल्ड्स हैप्पी मील्स उत्पाद बंडलों का एक उदाहरण है।
बर्गर, सोडा और फ्रेंच फ्राइज़ को अलग-अलग बेचने के बजाय, उन्हें एक संयोजन के रूप में बेचा जाता है, जिससे उन्हें अलग-अलग बेचने की तुलना में अधिक बिक्री होती है।
कोल्ड ड्रिंक्स का भी अपना काला पक्ष है।
कई कोल्ड ड्रिंक्स के पदार्थों को लेकर प्राथमिक चिंता इनमें होने वाली उच्च चीनी सामग्री के इर्द-गिर्द घूमती है।
इन पेय पदार्थों में चीनी की मात्रा बहुत अधिक होती है, और अतिरिक्त चीनी का सेवन विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से मोटापा, टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग।
जो मिठास हमें इतनी आकर्षक लगती है, उसमें संभावित स्वास्थ्य विस्फोटक भी छिपा होता है।
इसके अलावा, कोल्ड ड्रिंक्स केवल 'खाली कैलोरी' (empty calories) के लिए ही दोषी नही ; बल्कि वे "तरल कैलोरी" (liquid calories) के लिए भी अपराधी हैं।
ये पेय पदार्थ चीनी से प्राप्त, कैलोरी के अलावा बहुत कम या कोई पोषण मूल्य प्रदान नहीं करते हैं, और इनका सेवन करने से तेजी से महत्वपूर्ण कैलोरी की मात्रा भी बढ़ सकती है। परिणाम? वजन बढ़ना और मोटापा, विशेषकर बच्चों और किशोरों में।
एक और चिंता का विषय, जो अक्सर अपनी छाया डालता है, वह है दांतों के स्वास्थ्य पर इसका प्रभाव।
कोल्ड ड्रिंक्स के पदार्थों में उच्च चीनी और अम्लता का स्तर दंतवल्क (Tooth enamel) को नष्ट कर सकता है और दांतों में सड़न भी पैदा कर सकता है, जिससे मौखिक स्वास्थ्य (Oral health) पर असर पड़ सकता है।
यह एक ऐसी आशंका है जिसके कारण दांतों के डॉक्टर इन पेय पदार्थों के सेवन में संयम बरतने को बढ़ावा देते हैं।
इन चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, किसी को भी यह आश्चर्य हो सकता है कि आख़िर सरकारें कोल्ड ड्रिंक्स की बिक्री और खपत को नियंत्रित करने में अधिक सक्रिय भूमिका क्यों नहीं निभाती हैं।
आख़िरकार, यदि ये पेय पदार्थ ऐसे महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों में अपना हिस्सा दे सकते हैं, तो क्या इनके ख़िलाफ़ सख्त नियंत्रण नियम नहीं लागू होने चाहिए?
हालाँकि, इसका उत्तर इतना भी सीधा नही है।
सरकारें अक्सर इस क्षेत्र में धीरे से कदम रखतीं हैं, और उपभोक्ताओं को अपने विकल्प चुनने की अनुमति देना पसंद करतीं हैं ।
यह सीधे तौर पर शामिल ना होने का रवैय्या व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार में विश्वास से उपजा है - यह विचार कि वयस्कों को, वे जो भी उपभोग करते हैं उसके बारे में सूचित निर्णय (सोच समझकर निर्णय ) लेने की स्वायत्तता होनी चाहिए।
इसके अलावा, मुक्त-बाज़ार अर्थव्यवस्था (free-market economy) के सिद्धांत अक्सर प्रबल होते हैं।
कोल्ड ड्रिंक्स निर्माताओं सहित, निजी व्यवसाय, अपने उत्पादों की बिक्री और उत्पादन के लिए स्वतंत्र हैं, जब तक वे संबंधित कानूनों और नियमों का अनुपालन करते हैं।
इस दृष्टि से, सरकार की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि उपभोक्ताओं को उनकी ओर से विकल्प चुनने के बजाय सूचित विकल्प चुनने के लिए सटीक जानकारी तक पहुंच प्राप्त हो।
कोल्ड ड्रिंक्स से संबंधित सरकारी नियम और दिशानिर्देश देश के अनुसार अलग-अलग होते हैं, किन्तु, खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम (Food Safety and Standards Act) 2006 भारत में प्राथमिक कानूनी ढांचे के रूप में कार्य करता है।
यह खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के लिए मानक निर्धारित करता है और एफएसएसएआई (FSSAI) की स्थापना का प्रावधान करता है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (Food Safety and Standards Authority of India) खाद्य और पेय मानकों की देखरेख करने वाली देश की प्रमुख नियामक संस्था है।
भारत में कोल्ड ड्रिंक्स से संबंधित कुछ प्रमुख नियम और दिशानिर्देशों में शामिल हैं:
एफएसएसएआई (FSSAI) विनियम: एफएसएसएआई के पास कार्बोनेटेड पानी, कार्बोनेटेड फल पेय और अन्य शीतल पेय पर विशिष्ट नियम हैं। ये नियम उचित सामग्री, लेबलिंग, डिब्बाबंदी और विज्ञापन प्रणाली को सुरक्षित करते हैं।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि शीतल पेय उपभोग के लिए अहानिकर हैं, एफएसएसएआई, कीटनाशकों और संदूषकों सहित विभिन्न पदार्थों के लिए अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) (Maximum Residue Limits) निर्धारित करता है।
शीतल पेय के निर्माताओं और वितरकों को सुरक्षा और गुणवत्ता मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करना होगा या एफएसएसएआई के साथ पंजीकृत होना होगा।
डिब्बाबंदी और लेबलिंग: उपभोक्ताओं को पोषण संबंधी जानकारी और सुरक्षा निर्देशों सहित उत्पाद के बारे में आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए विनियम, शीतल पेय की डिब्बाबंदी और लेबलिंग को नियंत्रित करते हैं।
हालाँकि, लेबल पर दी गई सारी जानकारी उपभोक्ताओं को समझ में नहीं आती है।
अधिकांश समय, वे रसायन विज्ञान की पाठ्यपुस्तक से सीधे रासायनिक नाम होते हैं। हर औसत दरजे के शिक्षित व्यक्ति के लिए इस जानकारी का कोई मतलब नहीं है।
डेटा व्याख्या के एक अन्य स्तर में, रासायनिक नामों के परिणामों को स्वास्थ्य के साथ जोड़ना आसान नहीं है। इनमें संबंध बनाने के लिए एक पेशेवर, वैज्ञानिक शोधकर्ता की आवश्यकता होगी।
इसलिए, चाहे लेबलिंग कितनी भी विस्तृत हो, औसत उपभोक्ता के लिए महत्वहीन है।
बीआईएस (BIS) मानक: भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) (Bureau of Indian Standards ) शीतल पेय की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मानक निर्धारित करता है।
विनियम भारी धातुओं और सूक्ष्मजीवविज्ञानी संदूषकों सहित शीतल पेय में विभिन्न संदूषकों के लिए अधिकतम स्वीकार्य सीमा, "प्रदूषक सीमाएं" तय करते हैं।
इस दृष्टिकोण के बावजूद, कुछ सरकारों ने कोल्ड ड्रिंक्स के संभावित प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों को स्वीकार किया है। उन्होंने मुख्य रूप से कराधान के माध्यम से इन चिंताओं को दूर करने के लिए कदम उठाए हैं।
शक्कर युक्त पेय पदार्थों पर, कर का उद्देश्य खपत को हतोत्साहित करना और सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए राजस्व उत्पन्न करना है।
इसके अतिरिक्त, कोल्ड ड्रिंक्स पदार्थों की पारदर्शी लेबलिंग, विपणन और विज्ञापन प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए नियम लागू किए गए हैं।
जिनका लक्ष्य है, उपभोक्ताओं को जानकारी के साथ समर्थ बनाना और उन्हें अत्यधिक कोल्ड ड्रिंक्स के सेवन से जुड़े संभावित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में अधिक जागरूक करना ।
जब तक कोल्ड ड्रिंक्स के लिए बाज़ार में, 'पसंद की स्वतंत्रता' और 'विनियमन' के बीच लड़ाई लड़ी जा रही है, सही विकल्प चुनने के लिए समझने योग्य जानकारी तक, पहुंच संदिग्ध है।
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