'ड्रोन' - सटीक विनाश का अदम्य हथियार
'ड्रोन' - सटीक विनाश का अदम्य हथियार
DRONE - Untamed Weapon of Precise Destruction का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से 'ड्रोन' युद्ध पद्धति के लिए उपयोग किए जाने वाले 'मानव रहित हवाई वाहन' हैं।
इसे खामोशी से एक और सैन्य तकनीक के रूप में, इस्तेमाल किया जाना जारी रहेगा, किन्तु सार्वजनिक शब्दावली के साथ इसे प्रमुखता मिली है , क्योंकि, इसके छोटे संस्करण अब अभिरुचि (Hobby) और आकाशीय फोटोग्राफी के लिए उपलब्ध हैं।
इसने प्रौद्योगिकी में और अधिक जिज्ञासा पैदा करने का नेतृत्व किया है और यह जानने की तलाश में है, कि देश की सुरक्षा के लिए ड्रोन महत्वपूर्ण क्यों हैं।
यह महत्वपूर्ण है कि, देशों का अपने आकाशीय क्षेत्र पर पूर्ण नियंत्रण और चौबीसों घंटे निगरानी हो। आदर्श रूप से यह वायु सेना द्वारा उन्नत रडार प्रणाली और उड़ाए गए 'लड़ाकू जेट विमान' का उपयोग करके किया जाता है जिसे एक अनुभवी पायलट द्वारा उड़ाया गया हो।
शत्रु के विमान द्वारा घुसपैठ के मामले में, ये 'लड़ाकू जेट विमान' घुसपैठिए को रोकने के लिए तुरंत उड़ान भरते हैं। युद्ध के दौरान, सुनियोजित सामरिक उड़ाने भरी जाती है। ये एक अनुभवी पायलट द्वारा उड़ाया गया महंगा उपकरण हैं, जिसका प्रशिक्षण भी महंगा है।
विमानों की मरम्मत के लिए 'भू आधार सरंचना' के साथ एक 'विस्तृत रखरखाव डिपो' और अतिरिक्त पुर्जों की जटिल आपूर्ति श्रृंखला की आवश्यकता होती है।
पायलटों और विमानों को युद्ध के लिए तैयार रखने के लिए, वे अक्सर उनके बीच मुकाबला करवाकर, अभ्यास करते हैं। कुल मिलाकर यह देश के लिए बहुत महंगा मामला है।
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एक विशिष्ट F35 की लागत '100 डॉलर से 13.5 करोड़ डॉलर के बीच होती है
वायु सेना को रखरखाव के समय , दुर्घटनाओं और जानमाल के नुकसान के समय के लिए , नियम भी बनाने होते है। बदलते खतरों के विभिन्न प्रकारों के कारण प्रौद्योगिकी या सिलाई प्रौद्योगिकी में लगातार उन्नयन हो रहा है।
विमान संचालन के लिए आवश्यक रूप से रनवे (दौड़पथ), हवाई अड्डों और टावरों की आवश्यकता होती है, यहां तक कि सुदूरवर्ती स्थानों पर भी, यदि वे सामरिक महत्व के हैं।
हालांकि वे सामान्य व्यावसायिक हवाई अड्डों की तरह महँगे नहीं हैं, किन्तु उन्हें सभी तरह की स्थितियों में इनके परिचालन के लिए, उच्च श्रेणी के परिष्कृत और गहन रखरखाव की आवश्यकता होती है।
भारतीय वायु सेना ठंडे सियाचिन ग्लेशियरों, राजस्थान के गर्म रेगिस्तानों जैसे सबसे मुश्किल हालातों में काम करती है और उच्च ऊंचाई वाले भूभाग में भी जहां असाधारण हवा, उड़ान को मुश्किल बना देती है।
उसी प्रकार, रूस, अमेरिका, चीन और कनाडा जैसे अन्य देशों की वायु सेना को भी अपनी उड़ने वाली मशीनों को युद्ध के ततपर रखते हुए, सबसे कठिन मौसमी हालातों का सामना करना पड़ता है।
'फिक्स्ड विंग' और 'रोटरी विंग' दोनों तरह के ये विमान सैनिक सर्वेक्षण मिशन के दौरान 'उड़ान समय' की सीमा अवधि का सामना करते हैं और खोजे जाने का जोखिम भी होता है। जिस ऊंचाई पर वे काम करते हैं, वह भी सीमित है।
मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), जिसे लोकप्रिय रूप से "ड्रोन" के रूप में जाना जाता है, पारंपरिक सैन्य विमानों की लगभग सभी रूकावटों पर एक झटके में विजय प्राप्त कर लेता है। ड्रोन ज्यादातर अपने सभी कार्यों को सुरक्षित रूप से और सस्ते में तय कर लेते हैं।
पिछले कुछ वर्षों में, ड्रोन ने खुद को एक प्रमुख आवश्यकता वाले अत्यधिक परिष्कृत, नए युग के हथियार में बदल दिया है। कोई भी देश जिसके पास सक्रिय सेना है, उसके पास यह है। यदि देश पर्याप्त रूप से सक्षम है तो, वे सभी इसका स्वदेश में ही विकास और निर्माण कर रहे हैं।
पारंपरिक लड़ाकू जेट विमानों की तुलना में ड्रोन बनाना काफी सस्ता है। यह सरकारों को या तो स्वयं ड्रोन बनाने या दुनिया भर में उपलब्ध बहुत से निर्माताओं से इसे खरीदने के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
एक छोटा सैन्य ग्रेड का 'ड्रोन' बाजार में '4 लाख डॉलर' में उपलब्ध है, जबकि एक 'लड़ाकू जेट विमान' की कीमत लगभग '10 करोड़ डॉलर' है।
प्रभावी वायु रक्षा रणनीति बनाने के लिए उन्हें दर्जनों या उससे अधिक में खरीदा जाना है। एक विशिष्ट F35 की लागत '100 डॉलर से 13.5 करोड़ डॉलर के बीच होती है, जिसमें स्पेयर पार्ट्स और भू आधार उपकरण (Ground support equipment) और रखरखाव डिपो शामिल हैं।
विमान का जीवन-चक्र 66 वर्ष है और विमान को परिचालित (Operate) करने और सही स्थिति में बनाए रखने के लिए इसकी लागत लगभग 12 नील 21 खरब 16 अरब 96 करोड़ डॉलर होगी।
ड्रोन को कई भिन्न रूपों के साथ निर्मित किया जा सकता है और आमतौर पर, खरीदार के पास अपनी खरीद को अत्यधिक अनुकूलित करने का लचीलापन होता है।
ड्रोन का आकार अमेरिका द्वारा निर्मित एमक्यू9-रीपर जैसे बड़े हवाई वाहनों से लेकर बहुत छोटी उड़ने वाली वस्तु तक होता है, जो पक्षियों या कीड़ों की नकल कर सकता है।
उनके पास लंबी उड़ान का समय भी है और जेफिर की तरह 25 दिनों तक की सीमा भी हो सकती है, जो 70,000 फीट की ऊंचाई पर 25 दिनों तक उड़ती है। इसी तरह, यूनाइटेड-40 के यूएवी संस्करण ने 23,000 फीट की ऊंचाई पर 1000 किलो का लाद भार लेकर 120 घंटे तक उड़ान भरी।
इन वाहनों का पता लगा पाना अत्यधिक कठिन होता है और यह घातक हथियारों और मिसाइल प्रणालियों के साथ-साथ थर्मल इमेजर, लेजर डेसिगनेटर, रेंज फाइंडर, इन्फ्रारेड सेंसर जैसे परिष्कृत उपकरण साथ लेकर चलते हैं।
उन्हें बहुत कम , उड़ान भरने का समय और हवाई पट्टी की आवश्यकता होती है और कुछ मामलों में, वे एक बिना तैयार सतह से भी उड़ान भर सकते हैं। ये लचीलेपन का गुण इसे न केवल राज्य अभिकर्ताओं के लिए बल्कि गैर-राज्य अभिकर्ताओं के लिए भी एक अनुकूल हथियार वितरण वाहन बनाता हैं।
ड्रोन, हिंसक गैर-राज्य अभिकर्ताओं के हाथों में एक गंभीर जोखिम है और अगर इस अभ्यास को अभी नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह एक अनियंत्रित शैतान बन जायेगा।
सबसे बड़ा लाभ जो, 'ड्रोन ', मालिकों को प्रदान करता है, वह है इसकी 'संचालन की लागत' और 'शून्य जोखिम', जिसे यह प्रचालन (Operating) कर्मियों के लिए लेकर चलता है ।
एक दूरस्थ स्थान से, संचालक अपने जीवन को जोखिम में डाले बिना, 'मानवरहित वाहन' को दुश्मन के इलाकों में उड़ा सकते हैं। यदि ड्रोन को मार गिराया जाता है, तो पायलट के पकड़े जाने या मारे जाने का कोई खतरा नहीं है।
जब 'लड़ाकू जेट विमान' की पारंपरिक तरीके के उपयोग से, इनकी तुलना की जाए तो, इनकी जोखिम मुक्त मिशन उड़ाने की क्षमता, ऑपरेटर को दुश्मन के इलाके के अंदर अतिरिक्त जोखिम उठाने का एक फायदा देती है।
ड्रोन को खोने का आर्थिक नुकसान भी पारंपरिक उड़ान मशीनों की तुलना में काफी कम है। इसलिए, सभी देशों के 'रक्षा विभाग' इन 'मानवरहित विमानों' का खुले हाथों से स्वागत कर रहे है।
चूंकि 'मानवरहित विमान' 'यूएस एमक्यू9 रीपर' से लेकर 'हमिंगबर्ड' पक्षी जैसे छोटे से आकार में भी उपलब्ध हैं, सैन्य रणनीतिकार और अधिक रचनात्मक इस्तेमाल की ओर खींचे चले जा रहे हैं।
सेना के सभी इकाइयों ने, इसकी उपयोगिता को समझा है और युद्ध की स्थिति बदल देने वाली, नई युद्ध रणनीतियों की तलाश कर रहे हैं।
लड़ाकू जेट विमान की तुलना में इसका निर्माण समय भी कम होता है। इसमें खरीदार के लिए आवश्यक अनुकूलन प्रक्रिया भी लड़ाकू जेट विमान की अपेक्षा कहीं अधिक आसान होती है।
इन वर्षों में जैसे-जैसे 5G और उससे आगे का संचार अधिक परिष्कृत होता जाएगा, इन मानव रहित हवाई वाहनों के नियंत्रण बहुत सस्ते और शक्तिशाली होते जाएंगे। इसके साथ ही भविष्य में, जैसे दक्ष ईंधन प्रौद्योगिकी, हाइड्रोजन कोशिकाओं की तरह विकसित हो रही है, ड्रोन उड़ान का समय भी अधिकाधिक तेजी से बढ़ने वाला है।
परमाणु पनडुब्बियों की तरह, जब ड्रोन अपने आकार के लिए उपयुक्त परमाणु रिएक्टर के साथ उड़ान भरने में सक्षम होंगे , तो वे दिन दूर नहीं होंगे जब ये हवाई लड़ाकू वाहन हमेशा के लिए आकाश पर छा जाएंगे।
भविष्य के युद्धतंत्र का 'भूदृश्य और आकार ' ऊपर आकाश में इस तरह बदल जाएगा जैसे कि एक काल्पनिक वैज्ञानिक कहानी का सीधे वास्तविकता में आ जाना ।
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मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी), जिसे लोकप्रिय रूप से "ड्रोन" के रूप में जाना जाता है
इसका एक गंभीर नकारात्मक पहलू है। गैर-राज्य अभिकर्ताओं, जैसे आतंकवादी संगठन और विद्रोही समूह भी राज्य के खिलाफ इसका इस्तेमाल करते रहे हैं।
गैर-राज्य अभिकर्ताओं के लिए ये विमान अपहचान योग्य रह सकते हैं, अतः भले ही यह उनके संचालन के दौरान पकड़े जाए या खो जाए, समूह जिम्मेदारी से इनकार कर सकता है।
हमने हाल ही में 'अबू धाबी' तेल क्षेत्र और 'सऊदी अरब' के तेल डिपो पर हुए हमलों में इस तरह की स्थिति देखी है। जब तक कोई इन उड़ने वाले वाहनों का स्वामित्व नहीं लेता है, तब तक उनके मूल देश का पता लगाना बहुत मुश्किल है।
बहुत छोटे आकार के हवाई वाहनों के उपयोग के साथ, लक्ष्य उतने ही निश्चित हो सकते है जैसे एक ताले का छेद। सेना, चेहरे की पहचान वाली क्षमताओं के साथ इसका उपयोग लक्ष्य साधने और किसी वस्तु या व्यक्ति को नष्ट करने के लिए कर सकती है ।
ड्रोन के गोपनीयता से निकल जाने की क्षमता के साथ इसे सबसे ऊपर रखे , तो युद्धतंत्र में एक नया चरण क्षितिज पर दिखाई देगा।
यदि ड्रोन के समूह, सस्ते और थोड़े लक्ष्यों तक सही तरह से पहुंचते हैं, तो मौजूदा रक्षा प्रणालियों के लिए एक समय में उनमें से कईयों को नीचे उतारना बहुत मुश्किल होगा।
वर्तमान में, सबसे प्रभावी रक्षा प्रणाली में एन्टी - मिसाइल गुबन्दाकार होते हैं, जो उन बड़े रॉकेटों का पता लगाते हैं।
उनकी गणना उनके वक्र पथ (Trajectory) और उस दिशा पर आधारित होती है जिससे वह आ रहा है। ड्रोन के मामले में, ये सभी मापदंड परिवर्तनशील होने वाले है, जिन्हें पकड़ना मुश्किल होगा।
कृत्रिम बुद्धि के साथ ड्रोन बहुत कम ऊंचाई पर उन संसूचन तंत्र (Detection system) के युक्तिकौशल को पार करने में सक्षम होंगे। संभवत: ऐसा हो सकता है कि, लक्ष्य पर हमला करने से पूर्व ड्रोन कई दिनों तक इलाके के अंदर ही रहे।
सीमाओं के बाहर और घरेलू आकाश के अंदर ,दोनों ओर से ड्रोन तकनीक, युद्धतंत्र में जो संभावनाएं ला रही है, वह दुनिया को एक पेचीदा जगह बना देगी। किसी देश की पूरी सैन्य रणनीति के अस्तित्व को पुनः व्यवस्थित और पुननिर्मित करना होगा।
एक पायलट के जीवन को युद्ध के समीकरण से हटाकर, भविष्य एक तकनीकी युद्धतंत्र का अधिक होगा। तकनीक में प्रगति हासिल किए हुए पक्ष अपने विरोधियों के खिलाफ युद्ध जीतेंगे, चाहे वह राज्य हो या गैर-राज्य अभिकर्ता।
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