यूक्रेन युद्ध के परिणाम
यूक्रेन युद्ध के परिणाम
Consequences of Ukraine War का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
यह एक लंबा युद्ध होने जा रहा है जिसके बाद पूरी दुनिया को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। ऐसी स्थिति हमने आधुनिक इतिहास में तो नहीं देखी। नए गठबंधन बनने जा रहे हैं, और दुनिया पहले से कहीं अधिक ध्रुवीकृत होने जा रही है।
शीत युद्ध के दौरान हमने दो गुटों को देखा, पहला पश्चिम में उदार लोकतंत्र से मिलकर बना हुआ और दूसरा कम्युनिस्ट सोवियत संघ ।
संपूर्ण वैश्विक अर्थशास्त्र, सैन्य रणनीतियाँ, भू-राजनीति, अवकाशों, शिक्षा और अन्य सामाजिक-आर्थिक गतिविधियाँ इन दो गुटों से जुड़ी हुई थीं। तब 20वीं सदी थी।
21वीं सदी में हम इन्हीं गतिविधियों का एक समान पुनर्गठन देखेंगे, और इस बार यह रूस बनाम पश्चिम होने जा रहा है, जो प्रभुत्व के लिए एक-दूसरे से लड़ रहे हैं।
पहले से ही हम दोनों पक्षों में सैन्य, ऊर्जा आपूर्ति का पुनर्विन्यासन (Reconfiguration) और आर्थिक गठबंधनों का गठन देख रहे हैं। जैसे, नाटो, अपने सैन्य गठबंधनों को मजबूत करने के लिए यूरोपीय संघ, अब अमेरिका से गैस आपूर्ति की मांग कर रहा है।
रूस भी अपने तेल और गैस बेचने के लिए चीन और भारत जैसे बड़े ऊर्जा खपत वाले देशों की ओर देख रहा है।
आगे चलकर ये गठबंधन क्षेत्रों और अन्य देशों में विस्तारित होंगे। अंत में, ध्रुवीकृत व्यापार साझेदारी और आपूर्ति कैसे उभरेगी, यह तो समय ही बताएगा। अभी के लिए, ऊर्जा की कीमतें अपने अधिकतम पर शुरू हो गई हैं और आने वाले कुछ समय के लिए ऐसा करना जारी रखेंगी।
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अभी के लिए, ऊर्जा की कीमतें अपने अधिकतम पर शुरू हो गई हैं और आने वाले कुछ समय के लिए ऐसा करना जारी रखेंगी
वैश्वीकृत दुनिया में अर्थशास्त्र और वर्तमान युद्ध को अलग नहीं किया जा सकता है। यूक्रेन और रूस अनाज के सबसे बड़े उत्पादक है और यूरोप, मध्य पूर्व और अफ्रीका को गेहूं निर्यात करते हैं।
वर्तमान प्रतिबंधों और व्यवधानों के साथ, भोजन की कीमत आश्चर्यजनक रूप से बढ़ने जा रही है और युद्ध का परिणाम रसोईघरों में महसूस किया जाने वाला है, यहाँ तक कि उन देशों में भी जो बिल्कुल भी इस युद्ध से जुड़े हुए नही हैं ।
'यूक्रेन का संकट' शीतयुद्ध के दौर से भी ज्यादा गंभीर है। सैन्य रूप से, यूरोप में नाटो और उसकी भारी मशीनरी की उपस्थिति देखी जा रही है, जो आने वाले बहुत लंबे समय के लिए पूरी तरह से ऐसी ही बनी रहने वाली है।
यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद, हम संभवतः डोनबास और क्रीमिया के अत्यधिक संरक्षित क्षेत्रों में रूसी उपस्थिति देखेंगे।
एस्टोनिया, लिथुआनिया, पोलैंड और यूक्रेन जैसे कई देशों की सीमाओं पर, सेनाबलों के बीच तनाव की स्थिति होने वाली है और आमने - सामने की हिंसक झड़पे देखी जाएंगी।
हम सीमा पर इस तनाव को कम करने के कई प्रयास भी देखेंगे , किन्तु पहला सकारात्मक परिणाम आज से कई साल बाद ही देखने को मिलेगा।
मौजूदा हालात को देखते हुए दुनिया भर के सभी देश अपने रक्षा खर्च में भी इजाफा करेंगे। अब यह सबको समझ में आ गया है कि आत्मरक्षा ही सबसे अच्छा बचाव है।
इसलिए इस युद्ध का एक और परिणाम, परमाणु हथियारों के प्रसार में देखने को मिलने वाला है।
अब तक नेताओं ने यह महसूस किया है कि एक राष्ट्र की शक्ति परमाणु हथियारों के स्वामित्व से आती है। अर्थशास्त्र और धन बल बाद में आता है। अगर केवल यूक्रेन एक परमाणु देश होता, तो शायद रूस ने आक्रमण नहीं किया होता।
नाभकीय अस्त्र हासिल करना और उसे एक निवारक के रूप में इस्तेमाल करना कई देशों के लिए रणनीति की अगली दिशा होगी जिसपर उन्हें चलना होगा। इतिहास ने यह भी दिखाया है कि दो परमाणु देश उसी तरह युद्ध में नहीं गए जैसे रूस और यूक्रेन ने किया।
फलस्वरूप, निकट भविष्य में अधिक राष्ट्रों द्वारा परमाणु रक्षा विकल्प का अनुकरण करने से दुनिया रहने के लिए और अधिक खतरनाक जगह बनने जा रही है।
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यूक्रेन युद्ध से मिली सीख के आधार पर, चीन और अन्य देश दक्षिण चीन सागर संकट का प्रबंधन कैसे करते हैं, यह ध्यानपूर्वक देखना अभी बाकी है
पश्चिमी प्रतिबंधों की प्रतिक्रिया को ध्यान में रखते हुए और रूस कैसे अपनी अर्थव्यवस्था और व्यवसायों का पुनरुद्धार करता है चीन, ताइवान और दक्षिण चीन सागर में अपनी रणनीतियों के बारे में पुनर्विचार करने जा रहा है।
ये हिंसात्मक क्षेत्र भू-राजनीति में अपेक्षा से अधिक समय से यहां हैं। लेकिन चीन-ताइवान गतिरोध में प्रतिसंतुलन भी हैं ।
चीन व्यापार करता है और पूर्णतया अमेरिका और पश्चिम के अर्थशास्त्र पर निर्भर करता है। रूस जैसे प्रतिबंधों के कारण कोई भी गड़बड़ी चीन की अर्थव्यवस्था को जोखिम में डाल देगी।
ऐसा नहीं है कि पश्चिम अप्रभावित रहेगा, लेकिन अमेरिका और पश्चिम के साथ शांति बनाए रखने में चीनी अर्थव्यवस्था का दांव ऊपर है। यूक्रेन युद्ध से मिली सीख के आधार पर, चीन और अन्य देश दक्षिण चीन सागर संकट का प्रबंधन कैसे करते हैं, यह ध्यानपूर्वक देखना अभी बाकी है।
पश्चिम यह भी समझता है कि रूस को बहुत जोर से धक्का देने से रूस चीन के साथ और अधिक मिलान करेगा।
उस शीत युद्ध की शत्रुतापूर्ण पूर्ण रहस्य के दुर्भेद्य आवरण (आयरन कर्टन) को फिर से लगाएगा, जो कि रोमानिया, बुल्गारिया, एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया जैसे यूरोपीय संघ के छोटे देशों को जोखिम में डाल देगा।
यूरोप संघ, जो कि हमेशा शांति को बढ़ावा देता रहा और शांतिपूर्ण समाज के लिए एक प्रतीक रहा है, वह रूसी सीमाओं पर युद्धात्मक कार्यों के निरंतर खतरे में नहीं रहना चाहेंगे। इसलिए, यूरोप जल्द से जल्द रूस के साथ स्थिति को शांत करना चाहेगा।
यूक्रेनी युद्ध से पहले, रूस की तुलना में चीन को वैश्विक शांति के लिए अधिक खतरा माना जाता था। यदि यूक्रेनी युद्ध को ठीक से नहीं निपटाया जा सका और बिना शांति वार्ता के युद्ध का समापन हुआ तो , यूरोपीय संघ और अमेरिका को चीन और रूस के दोहरे खतरे से निपटना होगा।
संभवतः, उनके पास इस परिस्थिति के लिए अपनी कोई मर्जी नहीं है क्योंकि, हकीकत यह है कि ईरान और सीरिया की समस्याओं से निपटने के लिए पश्चिम को रूस की जरूरत है।
इस समीकरण में कोई भी असंतुलन सशक्त रूप से इजरायल और फिलिस्तीन की नाजुक स्थिति को झकझोर देगा। अतः इजरायल चाहेगा कि वह रूस के साथ एक नरम संबंध में रहे , भले ही इसका मतलब अमेरिका से थोड़ा दूर जाना हो।
दूसरा युद्धक्षेत्र अफगानिस्तान हो सकता है। वर्तमान में यह चीनी और रूसी हस्तक्षेपों से प्रभावित है। किंतु यदि रूस और चीन का यूरोपीय संघ और अमेरिका के साथ शत्रुता के कारण ध्यान भंग होता है, तो यह अफगानिस्तान और तालिबान सरकार को उपेक्षित छोड़ देगा।
निस्संदेह, यह अफगानिस्तान को फिर से वैश्विक आतंकवाद के लिए एक अनियंत्रित प्रजनन स्थल में बदल देगा।
इसलिए, अफगानिस्तान एक और अध्याय है देखने के लिए , जो आने वाले समय में भू-राजनीति को परिभाषित करेगा।
हम सभी सीरिया और मध्य पूर्व में युद्ध के कारण बढ़ते दो शरणार्थी संकट के गवाह रहे हैं। लाखों लोग उबड़-खाबड़ भू-भागों से गुजरे, उन कमज़ोर रबर की कश्तियों में भूमध्य सागर को पार किया , सीरिया, मध्य पूर्व और अफ्रीका के अपने देशों से युद्ध और अकाल से बचने के दौरान, अकसर जान भी गवा दी ।
अब हम लाखों लोगों को यूक्रेन से अपने घरों से भागते हुए देख रहे हैं। युद्ध के तीस दिनों के भीतर, यूक्रेन में पहले से ही आधे बच्चे बेघर हो चुके हैं।
इन शरणार्थी आपदाओं ने अचानक यूरोप को झकझोर कर रख दिया है और मानवीय संकट, युद्ध से अधिक समय तक चलने वाला है। मानवीय संकट और भी बदतर होता जा रहा है क्योंकि यूक्रेन के 18 से 60 साल के पुरुष रूसियों से लड़ने के लिए वही रुके हुए हैं।
आधे माता-पिता और अनाथों के साथ आने वाले दिनों में यूक्रेनी आबादी की जनसांख्यिकी में जबर्दस्त रूप से बदलाव आने वाला है।
युद्धों के हमेशा भयानक परिणाम होते हैं। लेकिन अगर युद्ध व्यापक है जिसमें बहुत सारी महाशक्तियाँ शामिल हैं, तो वैश्वीकृत प्रभाव विध्वंसकारी होगा।
यूरोप के इतिहास में एक खूनी अध्याय पहले ही जुड़ चुका है। विश्व व्यापार, खाद्य कीमतें, ऊर्जा की कीमतें, मानवीय संकट, दुनिया के देशों में जीवन के तालमेल में विघ्न, आने वाले कम से कम एक दशक तक महसूस होने वाला है।
राष्ट्रों और लोगों के बीच दुश्मनी पीढ़ियों तक चलेगी और केवल संत व्यक्ति ही घावों को भर पाएगा।
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