तृतीय विश्व युद्ध के साथ आशंकाप्रद खेल
तृतीय विश्व युद्ध के साथ आशंकाप्रद खेल
Chancing with WW3 - NATO & Russia का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
पिछले विश्व युद्धों की तरह, हमें तृतीय विश्व युद्ध शुरू करने के लिए दो सैन्य महाशक्तियों की आवश्यकता है, जो शत्रुतापूर्ण भावना में लिप्त होकर युद्ध के लिए आमने-सामने हों।
इस बार यह है रूस और अमेरिका । हालाँकि, वे 20वीं शताब्दी से ही विरोधी रहे हैं, किन्तु शीत युद्ध के दौरान यह मतभेद और अधिक बढ़ गया था। इन दिनों वही आक्रामकता का भाव फिर अपने चरम पर पहुंच गया है.
इस बार विवाद की जड़ यूक्रेन है। रूस को लगता है कि अमेरिका जो 'नाटो' को अपनी पद्धति के रूप में गठबंधन बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा, पश्चिम में उसकी सीमा के बहुत करीब आ गया है।
अतः रणनीतिक रूप से उनके लिए वह नाटो के सहयोगियों से घिरे हुए हैं और सुरक्षा से संबंधी चिंताएँ घातक हैं। पूर्व में सोवियत गणराज्य का हिस्सा रह चुके यूक्रेन ने नाटो में शामिल होने की गहरी इच्छा दिखाई है।
इसने अपनी इच्छा को अपने संविधान में भी निहित किया हुआ है। इसलिये यदि आप नाटो के संबंध में रूस के मानचित्र पर एक नज़र डालते हैं, तो पाएंगे कि रूस के पास पश्चिमी सीमाओं पर नाटो सहयोगियों की स्थिति से खतरा महसूस करने के पूर्ण कारण मौजूद है।
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दूसरी ओर संयुक्त राज्य अमेरिका अपने यूरोपीय सहयोगियों के साथ यूक्रेन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में, नाटो गठबंधन को चुनने के लिए अपने आत्मनिर्णय के अधिकार का पीछा करने के लिए प्रेरित कर रहा है। इसलिए, वे यूक्रेन की 'चुनने की स्वतंत्रता' का बचाव कर रहे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के साथ , अन्य देशों ने अपने हितों को फिर से संगठित किया और अब अपने मित्रों और विरोधियों को चुनना शुरू कर दिया है। यह तीसरे विश्व युद्ध के तरह की स्थिति की ओर ही बढ़ता हुआ दिख रहा है।
सैन्य मोर्चे पर, रूसी और यूक्रेनी सेना यूक्रेन के विभिन्न शहरों और कस्बों में भीषण लड़ाई लड़ रही है। दोनों पक्ष सड़को पर आमने सामने की लड़ाई कर रहे है।
इन लड़ाइयों में सैनिक और नागरिक मारे जा रहे और लाखों लोग शरणार्थियों के रूप में यूरोप और रूस के विभिन्न पड़ोसी देशों में विस्थापित हो रहे हैं। रूस एक सैन्य महाशक्ति है जिसने अफगानिस्तान, चेचन्या, क्रीमिया और सीरिया में युद्ध लड़े हैं।
दूसरी ओर, यूक्रेन, सोवियत संघ (उपनिवेश) से अलग हुआ देश , सीख रहा है और लड़ रहा है। नाटो गठबंधन इसे अपने सैन्य शस्त्र सामग्री की आपूर्ति कर रहे हैं।
इसलिए तथ्यों की परिभाषा के अनुसार यह अभी तक दो देशों का ही युद्ध है, न कि विश्व युद्ध।
जब कि ये दोनों राष्ट्र यूक्रेन के क्षेत्र के अंदर लड़ रहे हैं,किन्तु अन्य विरोध के खेल अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों द्वारा रूस के खिलाफ बाहर खेले जा रहे हैं।
इस शत्रुता में प्रतिबंध, बहिष्कार, सूचना संग्राम, संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव, रूसी मित्र राष्ट्रों पर दबाव, व्यापार नाकेबंदी और युद्ध शामिल हैं।
उसी प्रकार, रूस भी अमेरिका और उसके सहयोगियों पर दबाव डालने के लिए वही समान हथकंडे अपना रहा है । ताकि वे नाटो की सदस्यता के लिए यूक्रेन का समर्थन करना बंद कर दे।
दोनों महाशक्तियां राजनयिक माध्यमों में पहले से ही भयंकर युद्ध लड़ रही हैं। यह अभी के लिए तो परदे के पीछे का युद्ध है, लेकिन इसने न केवल यूक्रेन और रूस की आबादी बल्कि महाशक्तियों के सहयोगियों की आबादी को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है।
असल में, पूरी दुनिया अब इस युद्ध में संलग्न हो चुकी है, कुछ सैन्य तौर पर तो कुछ अलग तरीकों से।
चूंकि विभिन्न प्रतिक्रियाओं में कई राष्ट्र शामिल हैं, अतः यह लगभग एक विश्व युद्ध ही है ।
चूंकि रूस और यूक्रेन के अलावा अन्य देश सैन्य रूप से इस युद्ध में संलग्न नहीं हैं, इसलिए कई इसे विश्व युद्ध के रूप में गंभीर नहीं मान रहे हैं। अभी के लिए, शेष विश्व में जनजीवन आंशिक रूप से या बिल्कुल भी प्रभावित नहीं है।
हालाँकि, जब आर्थिक अवरोधों और प्रतिबंधों का दबाव अधिकांश वैश्विक आबादी के जीवन को प्रभावित करना शुरू कर देगा, तो अन्य देश रूस या यूक्रेन के साथ सैन्य रूप से जुड़ना शुरू कर सकते हैं।
यही वह समय होगा जब दुनिया औपचारिक रूप से तीसरे विश्व युद्ध में प्रवेश करेगी।
फिलहाल, दोनों महाशक्तियां अपने तर्कों को साबित करने की कोशिशों में लगी हुई हैं। रूसी सेना यूक्रेन के क्षेत्र के अंदर एक विशेष अभियान चला रही है, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका आक्रमण कह रहा है।
हालाँकि, नाटो और उसके सहयोगी अभी भी सैन्य कार्रवाई में सक्रिय नहीं हैं। इसलिए उनकी कार्रवाई केवल कूटनीतिक दवाबों, यूक्रेन के सलाहकार की भूमिका में कार्य और सैन्य मशीनरी की आपूर्ति तक ही सीमित है।
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यह अभी के लिए तो परदे के पीछे का युद्ध है, लेकिन इसने न केवल यूक्रेन और रूस की आबादी बल्कि महाशक्तियों के सहयोगियों की आबादी को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है
हम महाशक्तियों के बीच बढ़े हुए तनाव को देख रहे हैं, जो विश्व युद्ध द्वितीय की समाप्ति के बाद, कभी नहीं देखा गया था। पश्चिमी रूस की सीमा से लगे एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, रोमानिया, बुल्गारिया और तुर्की जैसे नाटो सहयोगी अधिकतम सशस्त्र के साथ, युद्ध के लिए तैयार खड़े हैं।
रूसी परमाणु हथियार भी अपनी तैयारी के चरम पर हैं। इसलिए, किसी भी ग्राउंड कमांडर की गलतफहमी या मामूली दुर्घटना रूसी सेना और नाटो के बीच 'सैन्य संघर्ष' (Military confrontation) को उत्त्तेजित कर सकती है।
यह एक खतरनाक स्थिति में होने जैसा है और दुनिया आसानी से एक अनियंत्रित परमाणु युद्ध में उतर सकती है, जिसमें दुनिया भर के कई देश शामिल होंगे ।
वर्तमान में, कुछ देश युद्ध को रोकने या इसका प्रभावी उपाय से शांतिपूर्ण समाधान करने में लगे हुए हैं। बाकी दुनिया के लिए भी यह चिंताजनक है।
संयुक्त राष्ट्र के अनगिनत प्रस्ताव (Resolutions) रहे हैं, लेकिन जैसा कि हम इसके इतिहास से जानते हैं, कि शायद ही कभी इसने किसी स्थिति को प्रभावित किया जिसमें वीटो पावर के साथ सदस्य शामिल थे ।
प्रत्येक महाशक्ति जो आर्थिक प्रतिबंध और नाकेबंदी लागू कर रही है, वे मामले को बदतर बना रहे हैं।
दोनों पक्षों की ओर से उठाए गए कदमों को उलटने और सामान्य स्थिति बहाल करने में कई साल लगेंगे। नतीजतन, महाशक्तियों और उनके सहयोगियों के बीच शत्रुता आने वाले लंबे समय तक जारी रहेगी।
इसलिए, इस समय के दौरान एक-दूसरे से विवाद वाले कई देशों में कोई भी सैन्य संघर्ष आसानी से भड़क सकता है।
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रूसी परमाणु हथियार भी अपनी तैयारी के चरम पर हैं
अभी के लिए, हम एक और विश्व युद्ध के कगार पर हैं, जहां शक्तिशाली देश हालात पर अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए जुए के खेल की तरह अपनी आर्थिक, कूटनीतिक, और सैन्य रणनीतियों को दांव पर लगा रहे हैं।
दुर्भाग्य से, दुनिया के मानवीय पक्ष को प्रभावित करते हुए, प्रत्येक पक्ष अपने कार्यों के प्रभाव के कारण अंधा हो गया है। जबकि विश्व के नेता युद्ध की समाप्ति का आह्वान कर रहे हैं, लाखों यूक्रेनी शरणार्थी, घर में खूनी संघर्ष और बाहर कड़ाके की सर्दी से लड़ रहे हैं।
केवल समय ही बताएगा कि इन शरणार्थियों की दुर्दशा और हताशा, यूरोपीय देशों में सशस्त्र विद्रोह और आक्रमण में तेजी से कब बदलेगी।
महाशक्तियां खतरा उठा रही है और यूरोप में शांति के साथ जुआ खेल रही है ।
किन्तु, ऐसा करते समय, उन्हें यह एहसास होना चाहिए कि उनके कार्य शेष विश्व के लिए परिणामी हैं, और सत्ता के लिए उनकी यह दौड़ अभूतपूर्व अनुपातों के विश्व युद्ध का कारण बन सकती है, जिससे मानव जाति का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है।
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