लैंगिक-वेतन-अंतर
21वीं सदी में भी एक वास्तविकता
लैंगिक-वेतन-अंतर
21वीं सदी में भी एक वास्तविकता
Gender Pay Gap: A Reality in 21st Century? का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
लैंगिक-वेतन-अंतर (Gender Pay Gap)
एक आम धारणा है कि, पश्चिम में महिलाओं को पुरुषों के बराबर के अधिकार प्राप्त है। हालांकि, बढ़ते हुए अनुसंधानों के नतीजे कुछ और ही संकेत देते है।
उदाहरण के लिए, अध्ययनों ने कार्यबल में पुरुषों और महिलाओं के बीच एक महत्वपूर्ण वेतन अंतर दिखाया है। इसके अलावा, महिलाओं के घरेलू हिंसा की शिकार होने की संभावना अधिक होती है और अक्सर सत्ता के पदों पर भी उनका प्रतिनिधित्व कम होता है।
यद्यपि, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए कानून मौजूद हैं, किन्तु, वे हमेशा प्रभावी नहीं होते हैं। उसी प्रकार जैसे, यह कहना कठिन नहीं है कि, पश्चिम में महिलाओं के समान अधिकार की बात एक मिथ्या अवधारणा हैं।
हाल के वर्षों में इसमें कुछ प्रगति हुई है। उदाहरण के लिए, महिलाओं को अब वोट देने का अधिकार है और अब उनके साथ ऐसा बर्ताव नही किया जाता जैसे कि, वह अपने पतियों की संपत्ति हो।
महिलाओं को भेदभाव और यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए भी कानून हैं। हालांकि, 'लैंगिक वेतन अंतर' अभी भी मौजूद है और महिलाओं को अक्सर कार्यबल में पुरुषों के समान अवसर नहीं दिए जाते हैं।
परिभाषा के अनुसार, 'लैंगिक वेतन अंतर' उन पुरुषों और महिलाओं के बीच वेतन में असमानता है जो तुलनीय कार्यों में नियुक्त हैं।
अतः, लैंगिक असमानता को मापने के लिए अक्सर लैंगिक वेतन अंतर का उपयोग किया जाता है।
हालाँकि, यह कई कारकों से प्रभावित हो सकता है, जैसे लैंगिक भेदभाव, कार्यबल के विशिष्ट क्षेत्रों में महिलाओं की प्रधानता और उनके अनुभव और योग्यता में अंतर।
यूरोपीय संघ ( ई.यू European Union - EU) में लैंगिक वेतन अंतर
1993 में, यूरोपीय संघ (European Union) के गठन के बाद से, महिलाओं के अधिकार तेजी से महत्वपूर्ण हो गए हैं।
'लैंगिक समानता' यूरोपीय संघ का एक प्रमुख सिद्धांत है। यूरोपीय संघ की संस्थापक संधियों में निहित और बाद के कानून में प्रबलित, समानता एक निष्पक्ष समाज बनाने के यूरोपीय संघ के लक्ष्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
लेकिन यूरोपीय आयोग के एक अध्ययन में पाया गया कि, यूरोपीय संघ में महिलाओं को समान काम करने के लिए पुरुषों की तुलना में औसतन 16% कम भुगतान किया जाता है।
यह लैंगिक वेतन अंतर प्रत्येक सदस्य राज्य में मौजूद है, जो कि, एस्टोनिया और लिथुआनिया में 25% से अधिक है। एक अन्य क्षेत्र जहां महिलाओं के साथ भेदभाव जारी है, वह है राजनीति में प्रतिनिधित्व के मामले में।
यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में यूरोपीय संसद के सदस्यों (एमईपी) (Members of European Parliament (MEPs)) में महिला सदस्यों के अनुपात में लगातार वृद्धि हुई है।
किन्तु, महिलाएं केवल यूरोपीय संसद का 36% हिस्सा बनाती हैं। लैंगिक संतुलन की इस कमी का मतलब है कि, महत्वपूर्ण मुद्दों पर महिलाओं की आवाज़ का पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
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यूरोपीय संघ में महिलाओं को समान काम करने के लिए पुरुषों की तुलना में औसतन 16% कम भुगतान किया जाता है
इसमें कोई शक नहीं है कि, पिछले कुछ दशकों में यूरोपीय संघ में महिलाओं के अधिकारों में काफी वृद्धि हुई है।
हालाँकि, राजनीति और व्यवसाय में प्रतिनिधित्व के संबंध में एक महत्वपूर्ण लैंगिक विभाजन भी है।
फॉर्च्यून 500* कम्पनियों के 'सीईओ' (Chief Executive Officer) में से केवल 6% महिलाएं हैं। जैसा कि, परिकल्पित है, यूरोपीय संघ में पूर्ण लैंगिक समानता प्राप्त करने के लिए अभी और भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।
तब तक, यूरोपीय संघ में महिलाओं के लिए 'समानता' कपोल कल्पना ही बनी रहेगी।
यूके (UK) में लैंगिक वेतन अंतर
यूनाइटेड किंगडम को अक्सर मजबूत लैंगिक समानता और सुरक्षा वाले देश के रूप में सराहा जाता है। हालांकि, हाल के आंकड़ों से पता चलता है कि, ब्रिटेन में महिलाओं को वास्तव में पुरुषों के साथ बराबरी पर लाने के लिए अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है।
उदाहरण के लिए, लिंग के बीच वेतन अंतर वर्तमान में 18.4% है, जिसका अर्थ है कि, महिलाएं औसतन प्रत्येक £1 (पाउण्ड स्टर्लिंग) जो पुरुष कमाते हैं, (£1 = 100 पेंस) , वे सिर्फ 82 पेंस (ब्रिटैन की मुद्रा) कमाती हैं।
यह अश्वेत महिलाओं और विकलांग महिलाओं के लिए और भी अधिक स्पष्ट है, जो अपने पुरुष समकक्षों द्वारा अर्जित प्रत्येक £ 1 के लिए क्रमशः केवल 60 पेंस और 52 पेंस कमाती हैं।
इसके अलावा, कई उद्योगों में, विशेष रूप से नेतृत्व के पदों पर महिलाओं को अभी भी काफी कम प्रतिनिधित्व प्रदान किया जाता है।
2019 में, यूके (UK) में चार बोर्डरूम boardroom (निदेशक मंडल) सीटों में से केवल एक महिला के पास थी। कम कमाई के अलावा, महिलाएं अक्सर स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा जैसे कार्यबल के विशिष्ट क्षेत्रों में ही ध्यान केंद्रित करती हैं।
उदाहरण के लिए, अश्वेत महिलाएं श्वेत पुरुषों की तुलना में 23.1% कम कमाती हैं और एशियाई महिलाएं श्वेत पुरुषों की तुलना में 18.7% कम कमाती हैं।
ऑफिस फॉर नेशनल स्टैटिस्टिक्स (Office for National Statistics) के अनुसार, 'लैंगिक वेतन अंतर' 2003 में 19.2% से घटकर 2018 में 9.4% हो गया है।
इसके अतिरिक्त, महिलाएं अब यूके (U.K) के कर्मचारियों की संख्या का 47% हिस्सा बनाती हैं और परंपरागत रूप से पुरुष-प्रधान उद्योगों जैसे कि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सीमित रह गई हैं|
जर्मनी में लैंगिक वेतन अंतर
जर्मनी में लैंगिक असमानता अभी भी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। 2019 में, जर्मनी में लैंगिक वेतन अंतर 5.5% पर होने का अनुमान लगाया गया था।
यह यूरोपीय संघ के औसत लैंगिक वेतन अंतर 16.2% से कम है और फ्रांस, इटली और ब्रिटेन जैसी अन्य बड़ी यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में लैंगिक वेतन अंतर से भी कम है।
इस वेतन अंतर को अनुभव या शिक्षा में भिन्नता से नहीं समझाया जा सकता है, क्योंकि यह अंतर दर्शाता है कि, कार्यबल में महिलाओं के खिलाफ अभी भी काफी भेदभाव है।
ये असमानताएं वेतन से परे हैं; महिलाओं को नेतृत्व के पदों पर पदोन्नत किए जाने की संभावना कम होती है और स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे कम वेतन वाले क्षेत्रों में उनके काम करने की संभावना अधिक होती है।
इस मुद्दे को हल करने के लिए, जर्मन सरकार ने कंपनी मंडल में महिलाओं के लिए 'आरक्षण' और 250 से अधिक कर्मचारियों वाले व्यवसायों के लिए 'समान वेतन अंकेक्षण' सहित कई उपाय पेश किए हैं।
स्विट्जरलैंड में लैंगिक वेतन अंतर
'स्विस फेडरल स्टैटिस्टिकल ऑफिस' (Swiss Federal Statistical Office) ने पाया कि, स्विट्जरलैंड में महिलाओं के अधिकार एक भ्रम है। हालांकि, स्विट्जरलैंड दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक है किन्तु, शोध में पाया गया कि जीवन के कई क्षेत्रों में अभी भी महिलाओं के साथ भेदभाव किया जाता है।
उदाहरण के लिए, महिलाएं समान काम करने के लिए पुरुषों की तुलना में औसतन 11% कम कमाती हैं और कम-वेतन और निम्न-स्तर की नौकरियों में कार्यरत होने की संभावना भी कहीं अधिक है। इसके अलावा, महिलाओं के पास संपत्ति होने या उनके नाम पर बैंक खाता होने की संभावना भी कम है।
स्विट्ज़रलैंड में महिलाओं को 1971 से केवल वोट देने और चुनाव में खड़े होने का अधिकार दिया गया है।
हालांकि, यह सच है कि, स्विस (Swiss) कानून कई मायनों में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार देता है, फिर भी, स्विट्ज़रलैंड (Switzerland) में समानता को वाकई में एक वास्तविकता बनने से पहले अभी भी एक लंबा और कठिन रास्ता तय करना है।
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फॉर्च्यून 500 कॉम्पनियों के 'सीईओ' (Chief Executive Officer) में से केवल 6% महिलाएं हैं
अमेरिका में लैंगिक वेतन अंतर
पिछले कुछ दशकों में काफी प्रगति के बावजूद, अमेरिका में महिलाओं को अभी भी शिक्षा, रोजगार और आमदनी सहित कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण असमानताओं का सामना करना पड़ता है।
'अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ यूनिवर्सिटी वीमेन' (American Association of University Women) (AAUW) के एक अध्ययन के अनुसार, 2015 में, महिलाओं ने पुरुषों की कमाई का 82% कमाया।
'नस्ल' और 'जातीयता' के आधार पर वेतन अंतर भिन्न था, हिस्पैनिक (Hispanic) और लैटिना (Latina) महिलाओं की कमाई 'गैर-हिस्पैनिक गोरे' (white, non-Hispanic) पुरुषों की कमाई का केवल 54% थी।
इस अंतर को समाप्त करने में मदद करने के लिए, राष्ट्रपति ओबामा (Obama) ने, 'लिली लेडबेटर उचित वेतन अधिनियम' (Lilly Ledbetter Fair Pay Act) को, 2009 में क़ानून में हस्ताक्षरित किया।
इस क़ानून ने महिलाओं के लिए दावा दायर करने की अवधि को बढ़ाकर 'वेतन भेदभाव' को चुनौती देना आसान बना दिया।
कनाडा में लैंगिक वेतन अंतर
2019 में, विश्व आर्थिक मंच (World Economic Forum) ने कनाडा को दुनिया के छठे 'स्त्री पुरुष समानता' वाले देश के रूप में स्थान दिया। किन्तु, फिर भी, जब समानता हासिल करने की बात आती है तो, कनाडा में, अभी भी महिलाओं को महत्वपूर्ण बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
'कैनेडियन सेंटर फॉर पॉलिसी अल्टरनेटिव्स' (Canadian Centre for Policy Alternatives) के एक अध्ययन में पाया गया कि, कनाडा में लैंगिक वेतन अंतर बढ़ रहा है, कम नहीं हो रहा है जैसा कि, कई लोगों ने आशा की थी।
अध्ययन में पाया गया कि,औसतन महिलाएं पुरुषों द्वारा कमाए गए प्रत्येक डॉलर के लिए सिर्फ 87 सेंट कमाती हैं - 13% का वेतन अंतर। जब व्यवसाय, शिक्षा और अनुभव सहित सभी कारकों पर समग्र दृष्टिकोण रखे, तो यह वेतन अंतर बढ़कर 20% हो जाता है।
कनाडा के राजनीतिक नेतृत्व में विविधता का एक महत्वपूर्ण अभाव भी है। हालांकि, कनाडा की आधी आबादी में महिलाएं शामिल हैं, तब भी, केवल 26% संसद सदस्य, महिलाएं हैं। सीनेट (प्रबंधकारिणी समिति) और 'प्रांतीय प्रमुखों' में उनकी संख्या और भी कम हो जाती है।
जवाबी दलील
पूरे इतिहास में, महिलाओं को समाज की 'देख - रेख करने वाला' माना गया है। वे बच्चों की देखभाल और पालन-पोषण के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि, पुरुष जीविका हेतु नौकरी करने बाहर जाते हैं जो, उन्हें अपने समाज में धन के साथ एक दर्जा भी प्रदान कर सकता है।
ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (University of East Anglia ) में आधुनिक ब्रिटिश इतिहास की प्रोफेसर 'एम्मा ग्रिफिन' के अनुसार, लैंगिक अंतर को स्वाभाविक रूप से देखा जाने लगा।
एक रोचक लेख में, "श्रम का लैंगिक विभाजन कैसे हुआ में, उन्होंने लिखा, "विक्टोरियन (Victorians) लोगों के अनुसार, महिलाओं का 'स्वाभाविक रूप से' मातृत्व और घर की ओर झुकाव था, जबकि, पुरुषों के लिए स्वाभाविक रूप से तय था कि, वे शासन, नियंत्रण और घर से बाहर काम करेंगे।
और इस तरह महिला के लिए कम वेतन केवल, इस विश्वदृष्टि की अभिव्यक्ति नहीं थी; बल्कि उन्होंने भी इसे बनाने में मदद की, ”।
लैंगिक वेतन अंतर होने का कारण, 'एडम स्मिथ संस्थान' (Adam Smith Institute’s) के 'बेन साउथवुड' ( Ben southwood) बताते हैं कि, "महत्वपूर्ण वर्षों के दौरान महिलाएं श्रम बाजार छोड़ देती हैं, जो उन्हें श्रम बाजार की शर्तों में काफी हद तक पीछे कर देती हैं।
परिणामस्वरूप, वे बच्चों और उनको पाल पोसकर बड़ा करने के लिए समय निकालने का फैसला करती हैं और अधिक लचीले काम या कम मांग वाली नौकरियों में जाती हैं।"
'एम्मा ग्रिफिन' (Emma Griffin) और 'बेन साउथवुड' की व्याख्याओं पर एक साथ विचार करने की आवश्यकता है और इसकी पुष्टि ब्रिटेन के 'राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय' (British Office of National Statistics) (ONS) के अध्ययन से होती है।
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'लैंगिक वेतन अंतर' 2003 में 19.2% से घटकर 2018 में 9.4% हो गया है
इन्होंने पाया कि, 18 से 39 वर्ष के पूर्णकालिक कर्मचारियों के लिए, लैंगिक वेतन अंतर लगभग न के बराबर था। 40 की उम्र के बाद यह बढ़ना शुरू होता है।
अंततः,
इस बात का कोई जवाब नहीं है कि, टेनिस, एथलेटिक्स, फुटबॉल, क्रिकेट आदि में महिला खिलाड़ियों को उनके पुरुष समकक्षों की तुलना में कम भुगतान क्यों किया जाता है।
विशेष रूप से 'महिला टेनिस संघ' ( डब्ल्यूटीए ) (Women’s Tennis Association ( WTA) ) यानि, महिला टेनिस के मामले में, जो पुरुषों के टेनिस जितना ही लोकप्रिय है, किन्तु, फिर भी महिलाओं को 34% तक कम भुगतान किया जाता है।
पश्चिम को महिलाओं के अधिकारों और लैंगिक समानता का 'प्रकाशस्तम्भ' माना जाता है। यह माना जाता है कि, विकासशील देशों को प्रगति करने के लिए उनका महिमामंडन करना चाहिए।
किन्तु, हकीकत में कुछ और ही तस्वीर सामने आई है। विकासशील देशों की तरह पश्चिम को भी अपने अंदर सुधार करने की जरूरत है।
* (Fortune 500) शब्द प्रत्येक वर्ष फॉर्च्यून पत्रिका द्वारा संकलित अमेरिका में 500 सबसे बड़ी कंपनियों की एक सूची को संदर्भित करता है।
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