विद्युत वाहन- नवीन प्रदूषणकारी
विद्युत वाहन- नवीन प्रदूषणकारी
Electric Vehicles causing New Pollution का हिन्दी रूपांतर
~ सोनू बिष्ट
विद्युत् वाहनों को लेकर हरेक व्यक्ति उत्साहित है, प्रमुख पारंपरिक जीवाश्म (fossil fuel) ईंधन वाहन निर्माण कंपनिया भी विद्युत् कारों को बनाने की इस अंधानुकरण (Bandwagon) दौड़ में शामिल हो रही है |
अधिकृत करने के लिए एक बहुत बड़ा, बाजार है और सबसे पहले पहुंचने वाले अप्रत्याशित लाभ कमायेंगे | आश्चर्य की बात नहीं है की इसके अनुसंधान और विकास में व्यापक निवेश हो रहा है |
हमें यही बताया गया है कि यह वाहन अधिक 'कार्यक्षम ' (Efficient) और कम प्रदूषण फैलाने वाले है |
जीवाश्म ईंधन वाहनों के, अंतिम दिन निकट आते प्रतीत हो रहे है ,अभी कोई निश्चित तिथि नहीं बताई जा सकती लेकिन निस्संदेह, 21 वी सदी विद्युत् वाहनों से लदी हुई होगी ,इनके निर्माण कि सूरत में कई उपयुक्त प्रश्नों के उत्तर दिए जा चुके है |
* दुनिया अचानक से अब विद्युत् वाहन क्यों चाह रही है ?
* क्या ऐसा है कि जीवाश्म ईंधन अपने अंतिम दिनों कि तरफ बढ़ रहे है ?
* क्या कार्बन उत्सर्जक (Emitting) धुआं, स्वचालित वाहनों (Automobile) के जाने में 20 साल और लगेंगे ?
* क्या जलवायु परिवर्तन के लिए वाहन प्रदूषण ही एक मात्र उत्तरदायी कारण है?
इस स्थिति और इसके प्रभावों पर सम्पूर्ण दृष्टिकोण डालकर ही हम इन सभी सवालों के जवाब देंगे |
वर्तमान ,में जीवाश्म ईंधन पर चल रहे वाहन ,जैसे पेट्रोल ,डीजल ,सीएनजी (CNG) और अन्य ,दाह प्रक्रिया (Combustion) की धारणा पर चलते है |
ईंधन बिजली उत्पन्न करने के लिए इस प्रक्रिया से गुजरता है ,जिससे इंजन में ऊर्जा उत्पन्न होती है और स्वचालित वाहन चलते है , दाह प्रक्रिया का परिणाम यह है कि , यह स्वचालित वाहन टेल पाइप (Tailpipe) के जरिये जहरीली गैस छोड़ते है, जिसमें अधिक मात्रा CO2 गैस की है |
सबसे दक्ष (Efficient) जीवाश्म ईंधन से चलने वाले चौपहिया वाहन (Four wheeler) प्रति किलोमीटर में लगभग 90 ग्राम के आस-पास C02 वातावरण को दूषित करते है ,किन्तु छोड़ी हुई C02 इससे चार से पांच गुना अधिक है |
दुनिया भर में पहले से ही सड़कों पर चल रही, असंख्य वाहनों से निकलने वाली C02 गैस से प्रदूषण फैला हुआ है, जो माफ़ी लायक नहीं है, ऊपर से हज़ारों नए वाहन हर रोज जुड़ रहे है |
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असंख्य वाहनों से निकलने वाली C02 गैस से प्रदूषण फैला हुआ है, जो माफ़ी लायक नहीं है, ऊपर से हज़ारों नए वाहन हर रोज जुड़ रहे है
2019 में 100 शीर्ष देश जो कारों और व्यावसायिक वाहनों का निर्माण करती है, 9.1 करोड़ नई इकाइयों के लिए उत्तरदायी है, चीन - 2.5 करोड़ , US - 1.1 करोड़ और जापान - 96 लाख |
2,50,000 नई कारों और व्यावसायिक वाहनों को यह 100 देश ,साल के हर दिन यातायात में शामिल करते है |
पश्चिम में दुपहिया वाहन (सुखभोग) 'आराम' का साधन हो सकते है ,किन्तु चीन, दक्षिण -पूर्व एशिया (South - East Asia) और भारतीय उप महाद्वीप में यह, परिवहन का एक सस्ता साधन है|
2017, अकेले भारत में 1.77 करोड़ दुपहिया वाहनों की बिक्री हुई , चीन में भी इसी वर्ष 1.68 करोड़ की बिक्री हुई ,पिछले साल तक ये 2.5 करोड़ प्रति वर्ष था |
इंडोनेशिया ने इसमें 60 लाख जोड़े ,एक मोटा हिसाब है कि करीबन 1,00,000 (एक लाख) यूनिट प्रतिदिन इसमें जुड़कर प्रदूषणकारी मशीनों कि संख्या को बढ़ा रही है | कोविड महामारी के समय को छोड़कर ,यह अनुमान लगाया गया है कि आने वाले वर्षों में दुपहिया उद्योग 9 - 11 % कि दर से बढ़ेगा |
कुछ ही समय में, यह सभी संख्याएँ बैटरी से चलने वाले वाहनों में रूपांतरित हो जाएंगी |
एक समय था, जब कुछ परिवार एक ही, वाहन का स्वामित्व रखते थे ,किन्तु अब एक ही परिवार के पास अनगिनत वाहन है | वाहनों कि बिक्री में वृद्धि हो रही है, जितना लोग आर्थिक रूप से आगे बढ़ रहे है ।
यह एक प्रतीक भी है , व्यक्तिगत सफलता और उन्नत प्रतिष्ठा का | सभी देशों में ऑटो उद्योग द्वारा इस भावनात्मक मूल्य के साथ बहुत अच्छे से खेला जा रहा है|
यह अपने - अपने देशों में, सबसे शक्तिशाली सभाकक्ष (Lobby) है और इनके जरिये यह सरकार कि नीतियों को प्रभावित करते रहते है | फलस्वरूप आज सभी देशों में ऑटो के सभी प्रमुख ब्रांड उपलब्ध है | यह परिवहन कि सार्वभौमिक भाषा है जो सभी कि जिंदगियों को छूती है |
जलवायु परिवर्तन के कर्मठ कार्यकर्ता जीवाश्म ईंधन से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रण में रखने के विचार से प्रेरित होकर बिजली को उसके विकल्प के रूप में देख रहे है ,जो कि कम प्रदूषणकारी है |
फिर भी ,दुनिया कि 60 % बिजली, कोयला और प्राकृतिक गैस जैसे जीवाश्म इंधनो से उत्पन्न होती है |
करीबन सभी स्वचालित वाहन निर्माताओं ने , अरबों डॉलर का निवेश करके शोध किये और पाया कि, बैटरी तकनीक का उपयोग करके वह इस 'अनिष्ट' (Evil) ईंधन को प्रतिस्थापित कर सकते है, और इसके लिए एक असीमित बाजार भी उपलब्ध होगा |
बैटरी से चलने वाले वाहनों का विचार ,खिलौना प्रौद्योगिकी से बेहतर नहीं, वह खिलौने जो हम सभी के पास बचपन में अवश्य रहे है | हां, पर अब यह एक गंभीर व्यवसाय बन चूका है |
हमारे खिलौनों कि तरह ,इन नए ज़माने के वाहनों में भी, एक विद्युत् मोटर होगी, जो एक बड़े शक्ति स्रोत से चलेगी । जब बैटरी डिस्चार्ज (discharge) होगी तो उसे फेंकने के ,बजाय दोबारा चार्ज किया जायेगा |
बदले में ,यह अपनी आस -पास की वायु को हानिकारक गैसों से प्रदूषित नहीं करेंगे | एक स्वच्छ वातावरण का सपना क्षितिज को छूएगा| इसके अलावा विद्युत् वाहन ‘ध्वनि रहित’ होंगे, जो राजमार्गों के निकट रहने वालों के लिए ख़ुशी की बात होगी |
इन सभी बदलावों के बीच, हम एक 'उत्कट परिदृश्य' (Crucial Perspective) देखने में विफल रहे है |
जो उत्पन्न हो सकता है, बैटरी में रिचार्ज के लिए उपयोग होने विद्युत् शक्ति से, क्योंकि अभी भी, इसे अधिकांशतः कोयला, परमाणु, ईंधन, प्राकृतिक गैस जैसे प्रदूषणकारी इंधनो से उत्पादित किया जाता है ।
कई देश उग्रता के साथ एक प्रक्रिया 'फ्रैकिंग' द्वारा शैल गैस (Shale gas) की खोज कर रहे है |
दुर्भाग्य वश 'फ्रैकिंग' एक ऐसी प्रक्रिया है जो स्थानीय भूतत्व (Geology) को खतरनाक रूप से प्रदूषित करती है और युगों तक उस क्षेत्र को नुकसान पहुंचाती है |
Fracking क्या है?
फ़्रैकिंग (हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग) - एक ऐसी विधि है जिसका उपयोग तेल और गैस युक्त चट्टान संरचनाओं को तोड़ने के लिए किया जाता है, जिससे चट्टान से प्रवाहित होने वाले ईंधन के लिए मार्ग का निर्माण होता है।
चट्टान में दरार पैदा करने के लिए, पर्याप्त हाइड्रोलिक बल के लिये, रेत में तरल पदार्थ जैसे पानी या कुछ अन्य अपघर्षक पदार्थ का उपयोग किया जाता है।
चट्टान में हाइड्रोलिक दबाव, ड्रिल पाइप या ट्यूबिंग के माध्यम से, पानी के मिश्रण को पंप करके, किया जाता है।
इस प्रक्रिया के दौरान मीथेन गैस और जहरीले रसायन बाहर निकलकर आस -पास के भूजल को दूषित करते है।
https://ifsolutions.com/what-is-hydraulic-fracturing-fracking-process-steps/
https://www.bbc.com/news/uk-14432401
परमाणु ऊर्जा को स्वच्छ माना जाता है, किन्तु कई लोग तर्क देते है कि लम्बे समय में यह हानिकारक होते है | परमाणु ऊर्जा का निस्तारण (Disposal) विपत्ति पूर्ण हो सकता है |
इसे सुरक्षित रूप से, रेल या सड़क मार्ग से अति संवेदनशील शहरों और गाँवों को पार करते हुए, एक सुरक्षित दूरस्थ स्थान पर पहुँचाना होता है, क्योंकि परमाणु कचरे को अपनी विकिरण शीलता कम करने में सदियाँ लगतीं है |
इसलिए इनको संग्रहित करना बहुत जरूरी है |
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अगर सारी संभावित दुर्घटनाओं का लेखा जोखा रखे, तो भी जापान में 'सुनामी' से हुई असंभावित दुर्घटना, परमाणु संस्थापनों में खतरे को लेकर संशय पैदा करने के लिए पर्याप्त है
परमाणु संयंत्र (Nuclear plant) जब तक संक्रिया (Operation) में है, तब तक दुर्घटना का खतरा सदा बना रहता है | परमाणु संस्थापनों (Nuclear installations) में बारंबार हुई दुर्घटनाओं का उल्लेख मानव इतिहास में छितराया हुआ है |
अगर सारी संभावित दुर्घटनाओं का लेखा जोखा रखे, तो भी जापान में 'सुनामी' से हुई असंभावित दुर्घटना, परमाणु संस्थापनों में खतरे को लेकर संशय पैदा करने के लिए पर्याप्त है |
प्रौद्योगिकी के स्वरूप के कारण जिसपर परमाणु ऊर्जा संयंत्र काम करते है, उन्हें एक बड़े जल स्रोत के पास स्थित होना चाहिए |
इस वजह से पानी के दूषित होने का खतरा बहुत ज्यादा है, जिसका दुष्प्रभाव सामने आने तक पता नहीं चल सकता| फुकुशिमा (ग्रेड 7 दुर्घटना) जापानी संयंत्रों में, जो प्रशांत महासागर में स्थित थे |
चेरनोबिल और थ्री माइल आइलैंड अन्य परमाणु दुर्घटनाएं थी | 'इंटरनेशनल न्यूक्लियर इवेंट स्केल' (International nuclear event scale) के अनुसार, वे क्रमश : ग्रेड 7 और 6 की दुर्घटनाएं थी |
जलविद्दुत बिजली उत्पादन संयंत्रों को कम प्रदूषणकारी माना जाता है, किन्तु यहां पर भी बहुत से गंभीर मुद्दे है | यह भरोसेमंद स्रोत नही है, चूँकि यह ज्यादातर नदी की प्रकृति और मौसम पर निर्भर रहता है |
गतिवर्धक जलवायु परिवर्तन के चलते, कोई नदियों और झीलों पर कितना भरोसा कर सकता है |
यह एक 'उत्कट' (Crucial) कारक है | कैलिफ़ोर्निया की ओरोविल (Oroville) झील, बिजली संयंत्र को पानी की आपूर्ति करती है |
लॉस एंजिल्स टाइम्स (Los Angeles Times) के अनुसार हीटवेव (लू) के कारण इस ग्रीष्म ऋतू में, यह झील सूख रही है, जिससे पानी की आपूर्ति बहुत हद तक प्रभावित हो रही है |
जुलाई 2021 तक यह अपनी कुल क्षमता का 28 % है |
बिजली संयंत्र के बंद होने का खतरा बहुत अधिक है | बहुत से देश संयंत्र पर 'आधार भार' (Baseload) की वजह से इस तकनीक का इस्तेमाल नही करते |
जिन देशो ने भी बड़े बाँध बनाने की कोशिश की ताकि नदियों को उपयोगी बनाकर, पनबिजली को नियंत्रित किया जा सके, उन्होंने भी स्थानीय जनसंख्या को विस्थापित किया है |
इसने स्थानीय भूगोल को भी बदल दिया जिनके परिणामस्वरूप बाँध टूटना, भूस्खलन, भूकंप और पर्यावरणीय आपदाएं आती है |
योजना और जोखिम प्रबंधन अदूरदर्शी (Myopic) होते है, क्योकि अधिकाँश बड़े बाँध विकासशील देशो मे बनाये जाते है |
साइंस इंजीनियरिंग एन्ड सस्टेनेबिलिटी (Science Engineering and Sustainability) के अनुसार वर्ष 2000 से 2009 के बीच दुनियाभर मे 200 से ज्यादा उल्लेखित बाँध विफलता हुई है|
उनमे से ज्यादातर ऐसे है, जिनकी सुचना हल्के ढंग से दिए जाने के कारण वे उजागर नही हुए |
अन्य साध्य (Viable) गैर - प्रदूषणकारी विकल्प ,सौर पैनल्स और पवन चक्कियाँ (Wind Turbines) है | वर्तमान मे ,दुनिया के पास इन दोनों तकनीकों से केवल 5 % शक्ति स्रोत है |
इस परिदृश्य के साथ, लगता है कि हमे अपने वाहनों को शून्य उत्त्सर्जन बिजली के साथ, चार्ज करने के सपने को साकार करने के लिए लम्बा रास्ता तय करना होगा |
वास्तव मे ,विद्दुत वाहन हमारे जीवन मे तेजी से प्रवेश कर रहे है | हम सिर्फ प्रदूषण और सम्बद्ध समस्या के स्रोत को बदल रहे है | प्रदूषण का स्रोत व्यक्तिगत वाहनों से बड़े बिजली संयंत्रों मे स्थानांतरित हो रहा है |
हमने सफलतापूर्वक अपने प्रदूषणकारी संचालक होने के दोष को सरका दिया है | यह बहुत बड़ी विडंबना है कि अधिकांश आबादी मोटे तौर पर इस तर्क से अनजान है |
किन्तु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन का मामला 'गंभीर' बना हुआ है |
बहुत से लोगो ने बैटरी को, 21 वी सदी के सबसे महत्वपूर्ण प्रदूषक के रूप मे स्वीकृत नही किया है ।
बेटरियों को एक समय मे, बदलने और पुनःचक्रित (Recycled) करने की जरुरत पड़ती ही है ,फिर भी अब तक कोई भी देश इनके सुरक्षित निस्तारण (Disposal) के लिए, किसी भी कानून या नियम का अनुकरण नही कर रहा |
यहां तक कि AA या AAA बेटरियों के लिए भी, विकासशील देशो मे निस्तारण के लिए कई पद्धतियाँ अपनायी जाती है, किन्तु इन्हे भी प्रतिनिधि पद्धति (Representative lot) नही माना जा सकता है |
कल्पना करे कि, दस लाख वाहन हर साल अपनी बेटरियों का पुनर्चक्रण करते है, तो क्या वाहन निर्माता इसकी जिम्मेदारी लेंगे, या यह भी टायर पुनर्चक्रण कि अव्यवस्था की तरह ही होगा ?
उन पाठकों के हित के लिए, जो स्क्रैप (खराब) टायरों के प्रारब्ध (Fate) के बारे मे शायद नही जानते होंगे, यहा एक महत्वपूर्ण जानकारी है | इन टायरों को कुवैत और भारत जैसे विकासशील देशो पर लाद दिया जाता है |
जहां पर इन्हे रेत के अंदर दबा या जला दिया जाता है, जिससे कैंसर फैलाने वाली कार्सिनोजेनिक (Carcinogenic gases) गैसे निकलती है | यह एक अत्यधिक विषैली और प्रदूषणकारी प्रक्रिया है, जिसे इन विकासशील देशो ने आउटसोर्स (बाहरी स्रोत) द्वारा प्राप्त किया है |
US टायर मैनुफ्रैक्चरर्स (U.S Manufacturers Association) के अनुसार 43% खराब (स्क्रैप) टायर सीमेंट निर्माण मे ईंधन के रूप मे जल जाते है और 17% लैंडफिल (कचरा भराव क्षेत्र) मे ख़त्म हो जाते है| ऊपर से यह गलने मे 50-80 वर्ष का समय लेता है|
टायर बनाने मे मूल सामग्री मे 'रबर' का प्रयोग होता है, जैसे-जैसे इसकी मांग बढ़ रही है, इसकी खेती के लिए अधिकाधिक वनों को साफ़ किया जा रहा है, जिससे उन क्षेत्रो मे विषम पारिस्थितिक संतुलन (Skewed ecological balance) बना हुआ है |
चूँकि यह सदियों पुराना पेशा है ,अतः विद्दुत वाहन इस समस्या के लिए अहम नही है| किन्तु एक वाहन के रूप मे ,पर्यावरण के दुष्प्रयोग के बारे मे पता होना चाहिए |
स्क्रैप (खराब) टायरों की भांति क्या दुनिया अरबों बेटरियों को निर्जन स्थान पर लावारिस पड़ा या एक अव्यवस्थित उद्योग द्वारा दायित्वहीन तरीके से उनको नष्ट करते देखेगी |
बैटरी प्रदूषण का खतरनाक पहलु, इसका दीर्घकालीन प्रभाव है | रसायन भूजल मे रिसते है, जिससे कई तरह की घातक बीमारियां हो सकती है | बेटरियों मे मौजूद कोबाल्ट (Cobalt) जन्मजात विकलांगता से जुड़ा हुआ है |
थोड़े शब्दों में इसका विश्लेषण करें तो, बैटरी का पुनर्चक्रण उतना ही खतरनाक है जितना कि परमाणु कचरा, फिर भी दुनिया भर की सरकारे मौन है |
बैटरी बनाने मे आवश्यक कच्चा माल कोबाल्ट (Cobalt) और लिथियम (Lithium) है । कांगो (Congo) लोकतान्त्रिक गणराज्य मे कोबाल्ट प्रचुरता मे है |
दुर्भाग्य से इस तत्व की खानों को हल्के ढंग से नियंत्रित किया जाता है, और वहाँ आस-पास के क्षेत्रो मे पहले से जन्मजात विकलांगता के मामले है |
ऊपर से कुछ खानें ‘माफिया’ द्वारा चलाई जाती है, जिसके कारण धातु के खनन और स्वामित्व के लिए 'हिंसा' तक होती है, इस तरह जैसे हम एक खून से लथपथ मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे है, विद्युत वाहन भी मानवीय रूप से पवित्र (उज्जवल) नहीं है |
समान जटिलता लिथियम के खनन के साथ भी मौजूद है | लिथियम निकालने के लिए बेहिसाब विदयुत शक्ति और पानी की आवश्यकता होती है | कच्चे माल के बारे मे विस्तार से चर्चा हम इस लेख के अगले भाग मे करेंगे | इस अनुसंधान के कुछ परिणाम इस प्रकार है |
विदयुत वाहन अधिक कार्यक्षम (Efficient) हो रहे है, यह एक स्वीकृत तथ्य है | सन्निहित (Embedded) डिजिटल तकनीक ऊर्जा के सरंक्षण को सक्षम बनाता है | हालाँकि यह एक प्राचीन तकनीक है, जिसे पहले से ही दुनियाभर मे लाखों इंजिनियरों द्वारा महारत हासिल है |
डिजिटल नियंत्रण के साथ बैटरी टेक्नोलॉजी की शक्ति और चिररक्षमता (Durability) अभी भी अपनी प्रारम्भिक अवस्था मे है |
यह हमे दूसरे आयाम पर लाएगा । जल्द ही बाजार मे विभिन्न निर्माताओं द्वारा वाहन बनाने के सरल घरेलू उपकरण (Vehicle breakdown kits) उपलब्ध दिखाई देंगे, जिन्हें सरलता से घर मे ही जोड़ कर हम वाहन निर्माण कर सकेंगे ।
प्रदूषण का दायित्व व्यक्तिगत वाहनों से बड़ी विदयुत उत्पादक कंपनियों मे स्थानांतरित हो गया है | प्रायः यह अपने संचालन कार्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करते है, जो सरकार कि नीतियों पर अत्यधिक प्रभाव डालते है ।
यही दुष्प्रभाव सरकारों पर, बैटरी उदपादक कम्पनियाँ भी डालेंगी ।
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प्रदूषण का दायित्व व्यक्तिगत वाहनों से बड़ी विदयुत उत्पादक कंपनियों मे स्थानांतरित हो गया है
वैमानिक ईंधन का भविष्य कैसा है ?
परिवहन उद्योग मे वायुयान एकल सबसे बड़े प्रदूषक है , जिसमें मुसाफिर और मालवाहक जहाज भी पीछे नही है |
यद्पि जहाजरानी उद्योग मे ढोया गया वजन प्रति किलो कार्बन उत्सर्जन से कम है, लेकिन कुल संख्या उत्सर्जन, अक्षम्य (Unpardonable) है |
परिवहन उद्योग को अपने प्रदूषणकारी अभ्यासो मे बदलाव, लाने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना है | क्या पूरा कार्यक्षेत्र (Sector) बैटरी से चलने वाला होगा, फिलहाल इस पर कोई केवल संदेह ही कर सकता है |
हमें वाहनों की निर्माण प्रक्रिया पर भी ध्यान देना होगा | सभी वाहन मुख्य रूप से स्टील और एल्युमीनियम से बने होते है, इसलिए स्टील और एल्युमीनियम की फैक्टरियां (कारखानें), जो विशाल क्षमता की होती है, भारी बिजली उपभोक्ता है |
हमें यह समझने के लिए, समग्र रूप से देखना है कि न सिर्फ बैटरी चार्ज करने के लिए 'शाश्वत ऊर्जा' (Renewable Source) की आवश्यकता है, बल्कि ऑटो निर्माण की सम्पूर्ण 'आपूर्ति शृंखला' (Supply Chain) को भी शाश्वत ऊर्जा द्वारा संचालित करने की आवश्यकता है |
हम गलती पर है, यदि हम ग्रीन वाहन के मालिक होने पर अच्छा महसूस करेंगे, क्योकि जब तक दुनिया की कुल विद्युत शक्ति, शाश्वत ऊर्जा (सौर और पवन) मे नहीं बदलती, तब तक विद्युत वाहन (Electric Vehicle) उतने ही प्रदूषणकारी है, जितने की जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel).
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