फ़ास्ट फैशन – मुरझाता ग्रह
फ़ास्ट फैशन – मुरझाता ग्रह
Fast Fashion - Dying Planet का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
हमारे पास सबसे अच्छे कपड़े हो सकते हैं, लेकिन रहने के लिए कोई जगह नहीं!
फैशन हमेशा समय का प्रतिबिंब रहा है। यह ऋतुओं, प्रचलनों (Trends) और संस्कृति के साथ बदलता रहता है। हमारे दैनिक जीवन का एक अनिवार्य पहलू होने के कारण, यह हमें स्वयं को अभिव्यक्त करने में मदद करता है और इसका उपयोग राय देने के लिए भी किया जा सकता है।
इसके अलावा, फैशन व्यक्तित्व और शैली को दिखाने का एक तरीका हो सकता है। चाहे कोई नवीनतम चलन पहन रहा हो या कुछ अधिक पारंपरिक, किसी व्यक्ति के कपड़ों की पसंद उसके बारे में बहुत कुछ कहती है।
'फास्ट फैशन' (तेज फैशन) और उसके परिणाम
'फैशन' लगातार बदल रहा है। हाल के वर्षों में, हालांकि, फैशन अधिक तेजी से बदला है। परिणामस्वरूप, जो आज लोकप्रिय है वह कल 'शैली'(Style) से बाहर हो सकता है।
अतीत में, फैशन एक धीमी गति से चलने वाला उद्योग था, जिसमें नई शैली साल में केवल एक या दो बार ही शुरू होती थी। लेकिन 'फ़ास्ट फैशन' से सब बदल गया और यह नई शैलियों के साथ हर हफ्ते बड़ी दुकान की अलमारियों में विस्फोट करता है।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, फैशन उद्योग का मूल्य अब 19 नील 99 खराब 28 अरब 75 करोड़ है और दुनिया भर में इसने 7 करोड़ 50 लाख लोगों को नियुक्त किया हुआ हैं।
सस्ते कपड़ों की बढ़ती मांग ने 'फ़ास्ट फैशन' का उदय किया है, जिसे इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि, जल्दी से उत्पादित और कम कीमतों पर बेचा जा सके।
पहले लोग ऐसे कपड़े खरीदते थे जो, सालों तक उनके लिए टिके रहे। किन्तु अब, वे अधिकाधिक सस्ते कपड़े खरीदना चाहते हैं, जिनको वह कुछ एक बार पहनेंगे और फिर फेंक देंगे।
'फास्ट फ़ैशन' ने नवीनतम प्रचलनों को बनाए रखना आसान और सस्ता बना दिया है, इसने 'थ्रो-अवे' की संस्कृति में भी योगदान दिया है जहाँ, लोगों द्वारा अपने कपड़ों को महत्व देने और उनकी देखभाल करने की संभावना कम होती है।
जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोग फ़ास्ट फैशन में खरीदारी कर रहे हैं, कपड़े सस्ते और उत्पादन में आसान होते जा रहे हैं।
यह उपभोक्ताओं को तत्काल संतुष्टि भी प्रदान करता है। केवल 15 साल पहले की तुलना करने पर अब एक सामान्य व्यक्ति, 60% अधिक कपड़ों का उपभोग करता है। 'ऑक्सफैम' (Oxfam) के अनुसार, एक सामान्य ब्रिटिश नागरिक के पास औसतन 57 बिना पहने हुए कपड़े हैं।
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एक जोड़ी जींस और एक टी-शर्ट के निर्माण के लिए 20,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है
'यूरोपीय संघ' विभिन्न प्रकार के कपड़ों और परिधानों का एक प्रमुख आयातक है, जो दुनिया भर के आयात का 23% हिस्सा है।
यूरोपीय संघ (इटली, नीदरलैंड, स्पेन और ब्रिटैन) के भीतर सबसे बड़े कपड़ा बाजार, यूरोपीय संघ की 72% खपत दर के लिए जिम्मेदार थे और प्रति वर्ष यह 5.8% की दर से बढ़ा। 'अमेरिका' फैशन परिधान का दुनिया का शीर्ष उपभोक्ता है।
हाल के वर्षों में, फैशन ने अर्थव्यवस्था का चेहरा बदल दिया है।
दुनिया भर में लोगों के पास आसानी से प्राप्त, बहुत से आय के साधन है। उनकी आकांक्षाएं फैशन के कपड़ों से सूचक के रूप में पूरी होती हैं और सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए वैश्विक फैशन प्रचलनों के संपर्क में आकर प्रोत्साहित होती हैं।
जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ेगी वैसे-वैसे फैशन की खपत भी बढ़ती जाएगी।
तेजी से फैशन के उदय ने कपड़ों को अधिक किफायती और सुलभ बना दिया है। हालाँकि, यह खरीदने का सामर्थ्य भी एक कीमत पर आया है।
कीमतों को कम रखने के लिए, फ़ास्ट फ़ैशन ब्रांड विकासशील देशों में कम वेतन वाले श्रमिकों पर निर्भर हैं और अक्सर गुणवत्ता में भी कंजूसी करते हैं, जिससे ऐसे वस्त्रों को तैयार किया जाता हैं जिन्हें, फेंकने से पहले केवल कुछ ही बार पहना जाता है।
फैशन उद्योग बांग्लादेश, इथियोपिया और वियतनाम जैसे देशों में सस्ते श्रम के दम पर मुनाफा कमाता है। यहां पर श्रमिक लगातार खतरनाक और शोषणकारी परिस्थितियों में कड़ा परिश्रम करते हैं। अपने इस श्रम के लिए वे बहुत की कम वेतन पाते हैं।
ब्रांड अक्सर अनैतिक व्यवसाय प्रथाओं, खराब कामकाजी परिस्थितियों, बाल श्रम का दुरुपयोग करते है और पर्यावरणीय अपकर्ष का कारण बनते है। इन सभी स्थितियों से फैशन उद्योग सुपरिचित हैं।
वे ब्रांड जो इस शोषण से लाभान्वित होते हैं, दुर्भाग्य से, मशहूर नाम हैं। वे ही हैं जो, उत्पादन की शर्तों को निर्धारित करते हैं और इस तरह, अंततः इन श्रमिकों की काम करने की स्थितियों के लिए जिम्मेदार हैं।
फिर भी, बार-बार, इन ब्रांडों को बाल श्रम का उपयोग करते हुए, श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी से कम भुगतान करने या उन्हें असुरक्षित परिस्थितियों में काम करने के लिए मजबूर करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया है।
2014 में, राणा प्लाजा फैक्ट्री कॉम्प्लेक्स आपदा में 1,138 कपड़ा श्रमिकों की जान चली गई थी।
बांग्लादेश 38 अरब डॉलर के वार्षिक कारोबार के साथ एक प्रमुख कपड़ा निर्यातक है और इसी तरह के कारोबार के साथ वियतनाम भी है।
वैश्वीकरण का मतलब है कि, दूर के देशों में सस्ते में फैशन का निर्माण किया जा सकता है। इसे फैशन निवेशक "चेजिंग द नीडल" (किसी स्थिति को बदल देना) कहते हैं।
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'ऑक्सफैम' (Oxfam) के अनुसार, एक सामान्य ब्रिटिश नागरिक के पास औसतन 57 बिना पहने हुए कपड़े हैं
'बीबीसी' (BBC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, इथियोपिया सस्ते श्रम के लिए एक आगामी गंतव्य है जहां, औसत मजदूरी 7 डॉलर प्रति सप्ताह है जो, बांग्लादेश में मजदूरी का लगभग एक तिहाई है।
सोशल मीडिया तेजी से फैशन का एक महत्वपूर्ण चालक है क्योंकि, हम लगातार नए प्रचलनों और आवश्यक वस्तुओं की छवियों के साथ बौछार कर रहे हैं।
इसके अलावा, सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स के साथ छितरे हुए प्रभावशाली व्यक्ति फैशन को प्रभावित करते हैं और फास्ट फैशन की खपत को बढ़ावा देते हैं। वे एक और कारक हैं जो, तेजी से फैशन को इस चरम ऊंचाई तक लाने के लिए जिम्मेदार हैं।
और अंत में, फैशन की खपत टिकाऊ नहीं है और एक 'थ्रो-अवे' संस्कृति की ओर ले जाती है जो, कचरे के पहाड़ बनाती है।
रोजगार सृजन और उपभोक्ता खर्च के संबंध में इस 'थ्रो-अवे' वाली संस्कृति का अर्थव्यवस्था पर प्रमुख प्रभाव पड़ा है।
एक तरफ, फास्ट फैशन ब्रांडों ने कम वेतन वाले देशों में हजारों नौकरियां पैदा की हैं जहां, कपड़े का उत्पादन होता है। दूसरी ओर, इस निरंतर खपत से व्यक्तिगत ऋण और असमानता में बहुत अधिक वृद्धि हुई है।
हालांकि लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, किन्तु कम कीमतों और तुरंत संतुष्टि पाने के वादों के प्रलोभनों में हैं। यद्यपि फास्ट फैशन व्यवसायों के लिए उपयुक्त हो सकता है किन्तु यह स्पष्ट है कि, यह समाज के लिए एक कीमत पर आता है।
पर्यावरणीय लागत
'फास्ट फैशन' सुविधाजनक और किफायती हो सकता है, लेकिन इसकी पर्यावरणीय लागत अधिक है।
यह डिस्पोजेबल(निस्तारण) फैशन पर्यावरण के लिए विनाशकारी है, क्योंकि, दुनिया भर में इन कपड़ों के उत्पादन और परिवहन के लिए भारी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है।
एक उद्योग के रूप में फैशन का उत्पादन के दौरान और बाद में पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है।
उत्पादन प्रक्रिया के दौरान, कपड़ा कारखाने कार्बन डाइऑक्साइड और धूल सहित प्रदूषकों को हवा में छोड़ते हैं। यह ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करते हैं जो, जलवायु परिवर्तन और जहरीले रसायनों में योगदान करते हैं।
कृषि के बाद, कपड़ा उद्योग विश्व स्तर पर 'ताजे पानी' का दूसरा सबसे बड़ा प्रदूषक है। उदाहरण के लिए, ब्रिटिश सरकार की पर्यावरण लेखा परीक्षा समिति (Environmental Audit Committee) ने इस बात पर प्रकाश डाला कि, एक जोड़ी जींस और एक टी-शर्ट के निर्माण के लिए 20,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है।
कपड़ों से कार्बन उत्सर्जन, फैशन आपूर्ति श्रृंखला के हर चरण पर होता है, किन्तु इसका 70% हिस्सा दो मुख्य चरणों में आता है: रंगाई और परिष्करण। रंगाई और परिष्करण वस्त्र बड़ी मात्रा में पानी का उपयोग करते हैं और हानिकारक रसायनों को हमारे जल चक्र में छोड़ते हैं।
धागा (Yarn) बनाने की तैयारी वह प्रक्रिया है, जहां कपड़े को बनाने से पहले रेशा तैयार करने की आवश्यकता होती है।
उत्पादन में हर साल लगभग 4 करोड़ 30 लाख टन रसायन लगता हैं। दुर्भाग्यवश,जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में, प्रदूषणकारी उद्योगों के इन प्रक्रिया चरणों पर किसी का ध्यान नही गया।
फैशन उद्योग आज सबसे अधिक भारी- उत्सर्जन करने वाले उद्योगों में से एक है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2 अरब 10 करोड़ टन ग्रीनहाउस गैस में, यह वैश्विक उत्सर्जन का 8-10% हिस्सेदार है, जो कि फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटैन को संयुक्त करने से भी अधिक है।
यह चौंका देने वाला आंकड़ा सभी ग्लोबल वार्मिंग के 4% के वार्षिक 'ग्रीनहाउस गैस पदचिह्न' में तब्दील हो जाता है। अनुमानों से पता चलता है कि, यह 2030 तक बढ़कर 2अरब 70 करोड़ टन हो सकता है।
ये प्रदूषक श्रमिकों और आस-पास के समुदायों पर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव डाल सकते हैं। वस्त्र बनने के बाद, उनमें अक्सर विषाक्त पदार्थ होते हैं जो, पहनने या धोने पर निकल सकते है।
ये विषाक्त पदार्थ हमारे जलमार्गों और महासागरों में प्रवेश कर सकते हैं, जहां वे समुद्री जीवन को नुकसान पहुंचा सकते हैं और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकते हैं।
फैशन उद्योग में जहरीले रसायनों का उपयोग भी व्यापक है। कई लोकप्रिय कपड़े, जैसे कि पॉलिएस्टर, पेट्रोलियम आधारित सिंथेटिक फाइबर(कृत्रिम रेशे) से बने होते हैं जो, पर्यावरण में हानिकारक रसायनों को छोड़ते हैं। यह हर साल अनुमानित 34 करोड़ 20 लाख बैरल तेल का उपयोग करता है।
सिंथेटिक (कृत्रिम)कपड़े मानव निर्मित सामग्री, जैसे पॉलिएस्टर, नायलॉन और ऐक्रेलिक से बनाए जाते हैं। ये सामग्रियां पेट्रोलियम उत्पादों से प्राप्त होती हैं और अनिवार्य रूप से एक प्रकार की प्लास्टिक होती हैं।
सिंथेटिक कपड़े, प्राकृतिक रेशों की तुलना में अधिक मजबूत होते हैं, अतः वे लंबे समय तक चलते हैं और उन्हें बार-बार बदलने की आवश्यकता भी नहीं होती है। अतः इनकी यह विशेषता इन्हें विशेष रूप से खरीदने के लिए एक व्यावसायिक मामला बनाती है।
हालांकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि, सिंथेटिक(कृत्रिम) कपड़े भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाते हैं। सिंथेटिक कपड़ों की प्रत्येक धुलाई से माइक्रोप्लास्टिक फाइबर समुद्री जीवन और जलमार्ग में भर जाता हैं।
समाधान
इसमें पहला कदम होगा हमारे उपभोग की आदतों के प्रति हमें अधिक जागरूक होना। इसके बाद, हमें अपने द्वारा खरीदे और पहने जाने वाले कपड़ों के बारे में खुद से कठिन प्रश्न पूछने शुरू कर देने चाहिए। जैसे कि, वे कहाँ बने थे?
वे कैसे बने थे ? जब हम वस्त्रों का उपयोग करना समाप्त कर देंगे तो उनका क्या होगा? अधिकांश वस्त्रों का पुनर्चक्रण या दोबारा उपयोग किया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य से, कई वस्त्र 'डंपिंग ग्राउंड' में आकर खत्म हो जाते हैं।
हमें फैशन के बारे में अपनी सोच को बदलना होगा और एक अधिक स्थायी मॉडल की ओर बढ़ना होगा।
इसका अर्थ है - कम कपड़े खरीदना और केवल वही खरीदना जो हमें चाहिए। नए कपड़ों की खरीदारी करते समय, ऐसी वस्तुओं की तलाश करें जो स्थायी सामग्री से बनी हों जैसे कि-
प्राकृतिक कपास
बांस का कपड़ा
सन का कपड़ा
ऊन
भांग का कपड़ा
जूट
1- मात्रा से अधिक गुणवत्ता चुनें - अच्छी तरह से बनाए गए कपड़ों में निवेश करें जो टिके रहें। कालातीत शैलियों (timeless styles) का चयन करें जो आप आने वाले वर्षों तक पहनेंगे।
'लीड्स यूनिवर्सिटी' (इंग्लैंड) के शोध के मुताबिक, हर साल अधिकतम 8 नई वस्तुएं खरीदने से फैशन के प्रसार में 37 फीसदी की कमी आएगी।
2- कपड़ों को फेंकने के बजाय उनकी मरम्मत करें और जब उन्हें बदलने की आवश्यकता हो, तो दान में दें। पुराने कपड़ों को फेंकने के बजाय उनका पुनर्चक्रण (recycle) करें।
3- उन ब्रांडों का समर्थन करें जो टिकाऊपन के लिए प्रतिबद्ध हैं।
तभी हम वास्तव में खुद को 'फैशनेबल' कह सकते हैं।
इन सवालों का जवाब देना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, किन्तु यह स्थिरता के लिए एक आवश्यक पहला कदम है। एक बार, जब हम अपनी पसंद के प्रभाव के बारे में अधिक जान लेंगे ।
तब हम अपने कपड़ों की खरीदारी,उन्हें पहनने और उनकी देखभाल करने के तरीके को बदलना शुरू कर सकते हैं।
दुनिया जलवायु परिवर्तन की कगार पर है। अतः सही चुनाव करने का समय आ गया है।
'फ़ास्ट फैशन' वर्तमान की लहर हो सकती है, किन्तु यह भविष्य की लहर नहीं है।
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