जलवायु परिवर्तन को रोकने के आसान उपाय
भाग - 1
जलवायु परिवर्तन को रोकने के आसान उपाय
भाग - 1
Simple Steps to STOP Climate Change - I का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
आये हम जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए प्रत्यक्ष रूप से कदम उठाएं। मनुष्य पहले ही प्रथम अवस्था पार कर चुका है, और एक स्वस्थ ग्रह के स्पष्टीकरण और लाभों की तलाश कर रहा है।
यदि साल 2021 में यह बाढ़, जंगल की आग, अधिकतम तापमान, तूफान और भूकंप जैसी विनाशकारी शक्तियों जलवायु परिवर्तन का प्रमाण नहीं, तो यह क्या है ?
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जलवायु परिवर्तन एक अस्तित्ववान संकट है!
कृत्रिम के स्थान पर सूती, ऊनी, जूट, प्राकृतिक रेशे वाले वस्त्रों का प्रयोग करें।
अच्छा दिखना जरूरी है। यह आत्म-सम्मान बढ़ाता है और परिणामस्वरूप उच्च उत्पादकता देता है। फैशन का पालन करें क्योंकि यह रचनात्मकता को बढ़ाता है।
किन्तु इसका नकारात्मक पक्ष यह है कि हमने वेशभूषा की शैली (फैशन) और कपड़ों को शोषक स्तर पर ले लिया है।
कपड़ों की बनावट अब मौसमी (Seasonal) नहीं रही । यह तुरंत बदलती और स्मृतिलोप (Amnesia) से पीड़ित है। 2019 का स्प्रिंग कलेक्शन किसे याद है?
कपड़ा उद्योग, बहुतायत और बिल्कुल नए की मनोवृति से पीड़ित है। कपड़े टिकाऊ होते हैं, रंग फीके नहीं पड़ते और वे नए दिखते हैं। लेकिन फैशन की जगह लेने वाला चलन बदल रहा है।
भरवां अलमारी एक समस्या है, जिसमें अधिकांश वस्त्र नए दिखने चाहिए । दुनिया भर में कई परिधानों के संग्रह (Clothing lines) सस्ते हैं और वे इसी धारणा के साथ फल फूल रहे है कि उपभोक्ताओं को कम दामों पर कपड़े बेचे जाये।
विज्ञापन द्वारा फैशन के प्रचलनों (Trends) का विपणन इतने मनमोहक तरीके से किया जाता है कि ग्राहकों के पास इन्हें खरीदने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता ।
कपड़ों के निर्माण से पहले, रेशों को पानी और जहरीले रसायनों से उपचारित किया जाता है। फलस्वरूप, डेनिम (जीन्स) कपड़ों की श्रेणी में सबसे अधिक प्रदूषक है। इस दावे के पीछे दो कारण हैं।
पहला यह कि, वे सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले परिधान है ; वे सभी लिंगों के लिए एक सार्वभौमिक मानव ड्रेस कोड बन गए हैं। दूसरा , इसके उपचार मे पानी और रसायनों का अत्यधिक उपयोग होता है।
सुंदर दिखने और इनके प्रचलन को आगे बढ़ाने में, हम यह भूल चुके है कि नये जमाने के यह परिधान हमारे ग्रह को कितना नुकसान पहुँचा रहे है। कपड़ों को लंबे समय तक चलने वाले रंगों के साथ, टिकाऊ बनाने के लिए प्राकृतिक रेशों को कृत्रिम रेशों के साथ मिलाया जाता है।
जैसे खेल की पोशाक (स्पोर्ट्सवियर) एक और क्षेत्र है जो इस्तेमाल किए जाने वाले रेशे के संबंध में अनियंत्रित हो रहा है।
यह खिंचाव के साथ आवश्यक टिकाउपन के लिए बनाये जाते हैं। जब उपभोक्ता उपयोग के बाद, इनको कचरें में फेंक देते हैं, तो ये लैंडफिल (डंपिंग ग्राउंड) में डाल दिये जाते या समुद्र में बह जाते हैं।
इन सिंथेटिक रेशों का विघटित होने का समय 20 वर्ष या उससे भी अधिक लंबा होता है। अक्सर, ये मत्स्यकी (fisheries) के माध्यम से जल निकायों और खाद्य श्रृंखला (food chain) में प्रवेश करते हैं।
रेशे (fibre)और कच्चा माल विभिन्न देशों से मंगवाया जाता है। स्पष्ट रूप से लागत (कीमत) के कारणों से, इनमें से अधिकांश वस्त्र गरीब देशों के *स्वेट शॉप्स (sweat shop) में बनाए जाते हैं।
जिसके बाद उन्हें निर्माण इकाइयों द्वारा फिर से दुनिया के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है। इनके परिवहन में जलाए गए जीवाश्म ईंधन ग्लोबल वार्मिंग (भूमंडलीय ऊष्मीकरण) में जुड़ जाते है।
रेशों से लेकर फैक्ट्री और फैशन स्टोर तक, विक्रय के माल (goods) की हर आवाजाही जलवायु परिवर्तन में योगदान दे रही है।
Sweat Shop – स्वेट शॉप - या स्वेट फैक्ट्री एक भीड़-भाड़ वाली कार्यस्थल होती है जहां बहुत खराब, सामाजिक रूप से अस्वीकार्य या अवैध काम करने की स्थिति होती है ।
कुछ अवैध काम करने की स्थितियों में खराब वायु-संचालन, कम या कोई विराम नहीं, अपर्याप्त कार्य स्थान, अपर्याप्त प्रकाश व्यवस्था, या असुविधाजनक रूप से उच्च तापमान शामिल हैं। काम कठिन, थकाऊ, खतरनाक, जलवायु की दृष्टि से चुनौती पूर्ण या कम भुगतान वाला हो सकता है।
स्वेटशॉप में काम करने वाले लंबे समय तक अनुचित मजदूरी के साथ काम कर सकते हैं, भले ही ओवरटाइम (Over time) वेतन या न्यूनतम मजदूरी को अनिवार्य करने वाले कानूनों की परवाह किए बिना; बाल श्रम कानूनों का भी उल्लंघन हो सकता है।
इन सबका समाधान सरल है। हमें अपने कपड़ों का पुन: उपयोग करने, प्राकृतिक कपड़ों को बढ़ावा देने और विनिर्माण और खपत में स्थानीय होने की आवश्यकता है।
बदलने के बजाय अपने सामान की मरम्मत करें -
जिन वस्तुओं की मरम्मत नहीं की जाती और उन्हें फेंक दिया जाता है, वे लैंडफिल (डंपिंग ग्राउंड) में चली जाती हैं। आधुनिकीकरण का अर्थ है हमारे जीवन को आरामदायक बनाने के लिए कई घरेलू गैजेट्स (तकनीकी उपकरणों) का होना।
वे प्राथमिक रूप से इलेक्ट्रॉनिक हैं और इसलिए एक औसत उपयोगकर्ता के लिए यह ब्लैक बॉक्स से कही अधिक हैं। या तो वे काम करते हैं, या नहीं करते - इसे घर पर ठीक करने से अच्छा उपाय और कुछ नहीं।
चूंकि पश्चिम में मानव संसाधन महंगे हैं, इसलिए उनकी मरम्मत करवाने में किसी की दिलचस्पी नहीं उन्हें डंप (दफन) करना और नया खरीदना अधिक सरल है।
यदि मरम्मत की जाती है, तो इनकी कीमत कुछ रुपए की ही होती है, जो की एक फ़्यूज़ को बदलने या तापस्थापी (थर्मोस्टेट) को फिर से कायम करने (reset) जितना छोटा हो सकता है।
लेकिन, दुर्भाग्य से, कोई भी सरकार सस्ते मरम्मत की आदत और प्रथा को प्रोत्साहित नहीं कर रही है। उनकी तरफ से कोई प्रोत्साहन के प्रयास भी नहीं है क्योंकि उपभोक्ता-संचालित अर्थव्यवस्था (जी.डी.पी) संख्या अधिक ही अच्छी होती है।
केवल, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए, यदि सरकारें सभी मरम्मत व्यवसायों को कर मुक्त करती हैं, तो अधिक से अधिक विशेषज्ञ मरम्मत (रिपेयरिंग) की दुकान शुरू कर देंगे और उपकरणों के कम टुकड़े कचड़े में जाएंगे।
यहां आवश्यकता है निर्माताओं के डिज़ाइन करने पर विनियम (regulation) लागू करने की ,ताकि उपकरणों के भाग, आसानी से बदलने योग्य (Replaceable) हो सके।
आखिरकार, हम अपने वाहनों को सिर्फ इसलिए तो कचरे में नहीं फेंकते क्योंकि उसका एक स्पार्क प्लग (spark plug) विफल हो गया है। तो गैजेट (तकनीकी उपकरण) निर्माताओं पर ये अनिवार्य डिज़ाइन मानक क्यों नहीं थोपे जा सकते?
मोबाइल फोन अन्य इलेक्ट्रॉनिक्स हैं जिनके ऊपर गंभीर समीक्षा करने की आवश्यकता है। दुनिया की आधी आबादी मोबाइल का इस्तेमाल कर रही है.
लगभग 4 साल में लोग एक नया मोबाईल बदलते है, ज्यादातर तकनीकी कारणों से, तो हर साल लगभग 100 करोड़ नयें मोबाइल खरीदे और पुराने फेंके (रीसाइक्लिंग) जाते है।
वर्तमान में, दुनिया भर में किसी भी सरकार द्वारा मोबाइल रीसाइक्लिंग के लिए कोई नीति या मानक नहीं है।
यही हाल लैपटॉप और टैबलेट का भी है। कंप्यूटिंग (संगणना) शक्ति बढ़ रही है, और इसे कोई नहीं रोक सकता क्योंकि यह समय की मांग है और उपभोक्ता असहाय हैं।
उनके पास ऑफर (प्रस्ताव) पर नवीनतम की खरीद की पेशकश करने के अलावा कोई विकल्प नहीं । इन कंप्यूटिंग उपकरणों का पुनर्खरीद (Buyback) और पुन: उपयोग व्यवहार में नहीं है।
हम कैसे इलेक्ट्रॉनिक के इस कब्रिस्तान को रोक सकते हैं यह एक गंभीर नीतिगत प्रश्न है जिसे हमें जल्द से जल्द प्रतिपादित करना है?
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सुपरमार्केट, दुनिया के सबसे बड़े खाद्य अपशिष्ट (food wasters) हैं
सीधे किसानों से खरीदें
वे सभी सुगठित, चमकते फल और सब्जियां जो हम सुपरमार्केट में देखते हैं, वैश्विक खाद्य अपशिष्ट के लिए जिम्मेदार हैं। यहां ग्राहक अनुभव को और बेहतर करने के लिए उस उत्तम दिखने वाली फसल को सावधानीपूर्वक चुना और प्रदर्शित किया जाता है।
उन्होंने गुणवत्तापूर्ण सामान उपलब्ध कराने का दावा किया किन्तु यह केवल एक झूठी बात है। फल और सब्जियां सभी आकार, रूपों और रंगों में आती हैं। उनमें से कुछ का आकार दूसरों से भिन्न होता है क्योंकि वे धूप की ओर या पत्तियों के नीचे होते हैं।
यह पारिस्थितिकी (Ecology) है जैसे की सभी मनुष्य एक जैसे नहीं होते, वे भी, सभी आकार, रूपों और रंगों में पाए जाते हैं। अतः जहां इंसानों के साथ भेदभाव जारी है, वहीं उपज के साथ भी।
सवाल यह है कि शेष उपज का क्या होता है जो सुपरमार्केट के मानकों के अनुरूप नहीं ?
निर्दयता से, वे किसानों से नहीं खरीदे जाते और जिसका किसानों को कचरा बनाकर फिर उन्हें फेंकना पड़ता है। कुछ किसान इन्हें खाद में बदलने के लिए उपयोग करते हैं और कुछ इसे जलाकर राख करते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि फसल कौन सी है।
इन सुपरमार्केटों द्वारा एक और नैतिक रूप से गलत अभ्यास किया जाता है। ये एक स्थिर कीमत को चलाने और महत्वपूर्ण उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए, उत्पाद का केवल एक सीमित हिस्सा ही खरीदते हैं।
अधिक आपूर्ति से सुपरस्टोर में कीमत और मुनाफा कम होगा जिससे निवेशकों के लाभ में भी कमी होगी। इसलिए कई टन ताजा भोजन वापस जमीन में दफन हो जाता है क्योंकि सुपरमार्केट उन्हें नहीं खरीदते।
आबादी असहाय है और उनके पास बजाय सुपरमार्केट के उपयोग के कोई अन्य विकल्प नहीं , जो कि पूछताछ के लिए काफी बड़े हैं। उनके पास एक मजबूत प्रवेश कक्ष (लॉबी) है और वे नीतियों को भी प्रभावित कर सकते हैं।
दोबारा से कहें तो, लाखों टन भोजन बर्बाद हो जाता है क्योंकि सुपरमार्केट "बेस्ट बिफोर" (Best Before) की तारीख डालते हैं। सरकार या विक्रेता कहीं भी आबादी को शिक्षित नहीं करते कि "बेस्ट बिफोर" "एक्सपायरी डेट" की तारीख के समान नहीं है, जैसा कि दवाओं में होता है।
यह एक गलत सूचना है, जो उपभोक्ताओं और सुपरमार्केट दोनों को इसे कूड़े के डिब्बे में डालने को प्रेरित करती है - एक तरह से, "बेस्ट बिफोर" तारीख में हेरफेर करने का परिणाम उच्च खपत चक्र होता है जिससे मुनाफा ज्यादा।
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उपभोग का अर्थ है, भोजन खाना या फेंकना; इस मामले में दोनों का मतलब एक ही है
खाद्यान्न की बर्बादी और उनकी कीमतों में हेराफेरी को रोकने के लिए किसानों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति दी जानी चाहिए। यदि सुपरमार्केट भोजन की बर्बादी में अपना योगदान बंद कर दें तो पूरे ग्रह पर कोई भी भूखा नहीं रहेगा।
टॉयलेट रोल का इस्तेमाल बंद करें। आप लोग सिर्फ पोंछने की क्रिया के लिए पेड़ काट रहे हो।
कोविड महामारी की शुरुआत में दुनिया को दो हिस्सों में विभाजित देखना, शर्मनाक था। उपभोक्ता मूलभूत वस्तुओं की खरीदारी के लिए दौड़ पड़े। इस वजह से विकासशील देशों की आबादी ने लॉकडाउन की अवधि के लिए भोजन की खोज हेतु संघर्ष किया।
ये अधिकांश देश के अरबों की आबादी थी जिन्हें उन महीनों में जीवन की चुनौती मिली। लेकिन वो क्या मूलभूत वस्तु थी जिसके पीछे कुछ अमीर देशों की जनसंख्या ने संघर्ष किया?
यह वस्तु थी टॉयलेट रोल “Toilet Roll”। जिसके कारण सुपरमार्केट खाली हो गए और असंतुष्ट ग्राहकों की कतार लगी रही जिन्होंने हंगामा किया और रोष (disgust) व्यक्त किया।
इस "मूलभूत वस्तु" के आश्चर्यजनक टुकड़े का विभाजन आपात स्थिति में विकल्प खोजने की मनोवृति है। विवेक बुद्धि को पूरे आधुनिकीकरण के दौरान कड़ा बनाया गया है। अगर लोगों के पास नहाने के लिए फुहारा (शॉवर)हो सकता है, तो उनके पास टॉयलेट रोल की जगह कोई और वस्तु भी हो सकती है।
टॉयलेट पेपर के लिए लुगदी उपलब्ध कराने के लिए लाखों पेड़ों को काटा जाता है। हालांकि ये कंपनियां जंगलों को फिर से लगाने का दावा करती हैं और यह प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल है, लेकिन वास्तविकता में ऐसा नहीं है।
कागज बनाने में जो ऊर्जा और प्रदूषण होता है, वह केवल ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है। इसे शीर्ष पर रखकर विश्लेषण करें, तो पाएंगे की पेपर मिलों में जाने वाली वह लाखों टन लकड़ी परिवहन के माध्यम से वहां पहुंचती है।
यह भी प्रदूषण में वृद्धि है। टॉयलेट पेपर का मिलों में उत्पादन और दुकानों तक पहुँचाना, परिवहन पर दोहरा बोझ है। अंत में, बस इसे फ्लश से नीचे ही जाना है और स्वच्छता, फिर भी धोने के समान नहीं है।
नैतिक रूप से, अनावश्यक उपयोग के लिए धरती पर बोझ डालना किसी अपराध से कम नहीं, जबकि इसके सही विकल्प भी उपलब्ध हैं। पूरा पूर्व और सुदूर पूर्व देश उन विकल्पों का उपयोग कर रहा है जिन्हें 'जेट' और 'बिडेट' कहा जाता है।
हमें केवल इतना करने की आवश्यकता है कि सर्वोत्तम पद्धतियों का अनुसरण करके जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए उन्हें अपने अनुकूल बनाये।
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