क्या आपकी नौकरी खतरे में है ?
एआई (AI) का नौकरियों पर तेज़ी से कब्ज़ा
क्या आपकी नौकरी खतरे में है ?
एआई (AI) का नौकरियों पर तेज़ी से कब्ज़ा
Are you Next? AI Taking Over Jobs Faster Than You Think का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के आने से कंप्यूटरीकरण का मतलब बदल गया है। पहले, कंप्यूटर सिर्फ काम को तेज़ करने के लिए इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब एआई खुद से फैसले ले सकता है।
यह बदलाव सिर्फ तकनीक में तरक्की नहीं है, बल्कि यह एक बड़ा बदलाव है जिससे नौकरियों और इंसानों की अहमियत पर सवाल उठ रहे हैं।
हम एआई (AI) और रोबोटिक्स के दौर में आ गए हैं। पहले, मशीनें और कंप्यूटर सिर्फ दोहराए जाने वाले काम करते थे, जिससे काम तेज़ हो जाता था। लेकिन अब एआई इंसानों की जगह ले रहा है।
मानव-केंद्रित से कार्य-केंद्रित स्वचालन की ओर
पहले, कंप्यूटरीकरण इंसानों की मदद के लिए बनाया गया था, जिससे काम आसान हो जाए। लेकिन एआई ने इस मॉडल को बदल दिया है।
अब मशीनें इंसानों से ज़्यादा अच्छे से काम कर सकती हैं। कई नौकरियों में एआई ने इंसानों की जगह ले ली है।
सबसे ज़्यादा असर क्रिएटिव इंडस्ट्री (रचनात्मक उद्योग ) पर पड़ा है।
जिन कामों में इंसानों की ज़रूरत होती थी, जैसे प्रूफरीडिंग, कहानी लिखना, स्क्रिप्ट लिखना, एनीमेशन, ग्राफिक डिज़ाइन, रिसर्च और वीडियोग्राफी, या तो पूरी तरह से एआई ने ले ली हैं या कम हो गई हैं।
एआई अच्छे कंटेंट बना सकता है, जिससे क्रिएटिव पेशेवरों का काम कम हो गया है और उनकी तनख्वाह कम हो गई है।
इसी तरह, वॉयस-ओवर आर्टिस्ट की माँग भी कम हो गई है, क्योंकि एआई की आवाज़ इंसानों की आवाज़ से अलग नहीं लगती।
हॉलीवुड में लेखक एआई टूल्स का विरोध कर रहे हैं, लेकिन यह लड़ाई वे हार रहे हैं। यह भी एक चुनौती है कि हॉलीवुड लेखकों का कितना काम बदला जा रहा है।
शिक्षण और ट्रेनिंग में भी बदलाव आया है।
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अब मशीनें इंसानों से ज़्यादा अच्छे से काम कर सकती हैं। कई नौकरियों में एआई ने इंसानों की जगह ले ली है
लेक्चर नोट्स और पाठ्यक्रम सामग्री अब डिजिटल हो गए हैं, जिससे कंटेंट क्रिएटर्स के लिए पैसे कमाने का नया तरीका बन गया है।
नौकरी के लिए ज़रूरी स्किल्स और सेल्फ-डेवलपमेंट की ट्रेनिंग के लिए अब आमने-सामने
मिलने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि एआई-संचालित वर्चुअल प्रशिक्षक (AI-powered virtual instructors) और अनुकूली शिक्षण प्लेटफ़ॉर्म ( adaptive learning platforms ) व्यक्तिगत शिक्षा देते हैं।
इसके अलावा, रिज्यूमे राइटिंग और प्रोफाइल डेवलपमेंट जैसे काम, जो पहले इंसानों की मदद से होते थे, अब एआई टूल्स से आसानी से हो जाते हैं।
एआई-पावर्ड चैटबॉट ने कस्टमर सर्विस में क्रांति ला दी है, जिससे 75% से 90% तक सवालों के जवाब वेबसाइट पर ही मिल जाते हैं और कॉल सेंटर और हेल्प डेस्क में इंसानों की ज़रूरत कम हो गई है।
कानूनी क्षेत्र में, एआई कानूनी प्रोटोकॉल के हिसाब से कॉन्ट्रैक्ट और एग्रीमेंट बना सकता है, जिससे कानूनी डॉक्यूमेंट ड्राफ्टिंग का काम कम हो गया है। यह संभव है कि जल्द ही एआई- संचालित डिजिटल कोर्ट सामान्य कानूनी मामलों का फैसला करेंगे।
हालाँकि अभी पूरी तरह से नहीं, चीन ने अपने कानूनी सिस्टम में एआई-संचालित फैसलों का प्रयोग करना शुरू कर दिया है।
एआई मेडिकल डेटा को प्रोसेस करके हेल्थकेयर में ज़रूरी हो रहा है।
उदाहरण के लिए, 17 डॉक्टरों के फेल होने के बाद, एक माँ ने अपने बेटे के लक्षणों को
चैटजीपीटी ( ChatGPT) में डाला। एआई ने टेथर्ड कॉर्ड सिंड्रोम (tethered cord syndrome) बताया, जिससे उसे एक सपोर्ट ग्रुप और न्यूरोसर्जन मिला, जिसने इसकी पुष्टि की। उसके बेटे की सर्जरी हुई और वह अब ठीक हो रहा है।
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जिज्ञासा, *आलोचनात्मक सोच (critical thinking) और रणनीतिक निगरानी (strategic oversight) वाली नौकरियाँ ज़रूरी रहेंगी
ऐसे मामले दिखाते हैं कि एआई चिकित्सा निदान (medical diagnostics), में क्रांति ला सकता है, और अक्सर उन स्थितियों को पहचान सकता है जिन्हें इंसान पहचान नहीं पाते।
पहले, सरकारें और रेगुलेटरी बॉडीज़ (नियामक निकाय ) तकनीकी बदलावों पर धीरे-धीरे प्रतिक्रिया देती थीं। जब तक उन्हें एआई के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का पूरी तरह से पता चलता, तब तक बहुत देर हो जाती।
इसका एक उदाहरण डीपफेक (deepfake technology ) तकनीक है, जो बिना नियम के दुनिया भर में नैतिक और सुरक्षा खतरे पैदा कर रही है।
एआई से होने वाले नौकरी बाजार में बदलावों की समस्या
एआई के तेज़ी से बढ़ने से नौकरी का बाज़ार बहुत तेज़ी से बदल रहा है। स्किल्स की ज़रूरतें इतनी तेज़ी से बदल रही हैं कि छह महीने की देरी से भी आपकी स्किल्स पुरानी हो सकती हैं।
नए स्नातकों को और भी कठिन चुनौती का सामना करना पड़ता है, क्योंकि विश्वविद्यालय और प्रशिक्षण संस्थान उद्योग की मांगों के साथ तालमेल बिठाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
एआई दोहराए जाने वाले काम बहुत अच्छे से कर सकता है, इसलिए पारंपरिक नौकरियाँ कम हो रही हैं।
इसका सबसे ज़्यादा असर कम और मध्यम आय वाले लोगों पर पड़ रहा है, जहाँ एआई सीधे इंसानों की जगह ले रहा है।
वहीं, ज़्यादा आय वाले पेशेवर और उद्यमी एआई से फायदा उठा रहे हैं, क्योंकि इससे उनकी मार्केट में स्थिरता और प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है।
लेकिन, अगर ज़्यादा नौकरियाँ जाने से लोगों की खरीदने की क्षमता कम हो जाती है, तो पूरी अर्थव्यवस्था बिगड़ सकती है। एआई से जुड़े आर्थिक विश्लेषण में इस बात को नज़रअंदाज़ किया जाता है।
एआई इतनी तेज़ी से बढ़ रहा है कि पेशेवर अपनी स्किल्स को अपडेट नहीं कर पा रहे हैं। इसका मतलब है कि नौकरियाँ तेज़ी से जा रही हैं और लोग नई नौकरियाँ नहीं पा रहे हैं।
उसी पेशे में आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि एआई सिस्टम इंसानों से बेहतर काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, व्यवसायों को भी नहीं पता कि एआई के दौर में कौन सी स्किल्स ज़रूरी रहेंगी।
जो कंपनियाँ एआई को नहीं अपनाती हैं, वे पुरानी हो जाएँगी, लेकिन सिर्फ एआई अपनाने से भी फायदा नहीं होगा अगर उनके कर्मचारी इसके साथ नहीं चल पाते हैं।
कौन सी नौकरियां भविष्य में भी मौजूद रहेंगी?
सैद्धांतिक रूप से, एआई कितना भी ताकतवर हो जाए, इंसानों का उस पर नियंत्रण होना चाहिए।
जिज्ञासा, *आलोचनात्मक सोच (critical thinking) और रणनीतिक निगरानी (strategic oversight) वाली नौकरियाँ ज़रूरी रहेंगी, क्योंकि ये विशेषताएँ इंसानों को एआई से अलग बनाती हैं।
लेकिन, जैसे-जैसे एआई सिस्टम खुद से सीखते जाएँगे, वे इंसानों की समस्या-समाधान की क्षमताओं को चुनौती देते रहेंगे।
क्रिएटिविटी उन क्षेत्रों में से एक थी जहाँ कंप्यूटरीकरण ने सबसे पहले कदम रखा था, और एआई ने इस ट्रेंड को और तेज़ कर दिया है।
समस्या-समाधान एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ इंसानों को फायदा है, खासकर जब समाधान के लिए नए, आलोचनात्मक और* प्रासंगिक सोच (contextual thinking) की ज़रूरत होती है।
एआई ज्ञात समाधानों का तेजी से विश्लेषण और उनको अमल में ला सकता है, वहीं मनुष्य पूरी तरह से नए तरीकों की कल्पना करने में माहिर होते हैं।
अनिश्चितता के नियम
भविष्य परिवर्तनशील और अनिश्चित है। इंसान ने एक ऐसी तकनीक बनाई है जो इंसानी श्रम की जगह ले सकती है।
इसलिए ये ज़रूरी है कि इंसान ऐसी स्किल्स खोजें और विकसित करें जिन्हें एआई आसानी से कॉपी नहीं कर सकता है।
फिलहाल, यह स्पष्ट नहीं है कि वे स्किल्स कौन से होंगी—परन्तु एआई से आगे निकलने की होड़ पहले ही शुरू हो गई है।
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