पवित्र युद्ध और राजनीतिक दाग: आपस में जुड़े हुए
पवित्र युद्ध और राजनीतिक दाग: आपस में जुड़े हुए
Holy Wars and Political Scars: Conjoined Twins का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
लोग धर्म और राजनीति को आपस में मिलाने का विरोध क्यों करते है?
हमारे समय के सबसे विवादास्पद विषय पर सीधे तौर पर बात करना बहुत जरूरी है: जो है राजनीति में धर्म।
आज, जब दुनिया, धार्मिक पहचान और राष्ट्रीय राजनीति के कारण कई संघर्षों से जूझ रही है, तो ऐसे में संघर्षों की कोई सीमा नहीं है। वे हिंसा और कूटनीतिक साधनों से लड़े जा रहे हैं।
जब से हम इतिहास को जानते हैं हम इस बात से अनजान नही है कि, धर्म और राजनीति हमेशा से एक साथ चले हैं। यह हमारे देश, समुदाय और साम्राज्य का हिस्सा रहे है, और इसी तरह मानवता ने भी अपना कार्य किया है।
इसलिए, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज वहां मध्य पूर्व में इजरायल अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है, और साथ ही साथ फिलिस्तीन के लोग भी।
दोनों ही युद्ध लड़ने के लिए अपनी धार्मिक पहचान को पकड़े हुए हैं। फिर दूसरी तरफ शुरू होती हैं, हिंदू राष्ट्रवाद *(Hindu nationalism) या हिंदुत्व पर आधारित भारतीय पहचान की बातें ।
इतिहास को संदर्भ के रूप में देखते हुए, हम पाते है कि धर्म और राजनीति हमेशा से एक दूसरे का हाथ थामें हुए हैं।
अतीत में, ईसाई राजनीतिक आंदोलन हुए हैं, और उनमें से कुछ ने बाइबिल की शिक्षाओं के आधार पर ईसाई धर्म को समाजवाद के साथ जोड़ने की कोशिश की है।
उदाहरण के लिए, 1500 के दशक की शुरुआत में *जर्मन किसान युद्ध (German Peasants War) ईसाई राजनीतिक आंदोलनों के भीतर ही लड़ा गया था।
आधुनिक समय में, ईसाई अधिकार समूह या रूढ़िवादी समूह, परंपरावादी नीतियों से बंधे हुए हैं, तथा अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित देशों पर अपना प्रभुत्व बना रहे है।
फिर आता है इस्लामवाद (Islamism) और राजनीतिक इस्लाम, जिसमें कई सारे इस्लामी (Islamiya) आंदोलन हैं, जो मुस्लिम पहचान, मुस्लिम समुदाय के पुनरुद्धार और *पुनरुत्थानवाद के समर्थन के लिए दुनिया भर में हैं।
इसलिए, जब धर्म, राष्ट्रीय राजनीति में शामिल हो जाता है, तो दुनिया एक धार्मिक यहूदी राज्य की मांग करते हुए धार्मिक ज़ायोनीवाद को उभरते देखती है, जैसा कि इज़राइल में हुआ या फिर भारत में सिखों के लिए खालिस्तान आंदोलन में हुआ।
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जर्मन किसान युद्ध (German Peasants War) ईसाई राजनीतिक आंदोलनों के भीतर ही लड़ा गया था
क्या राजनीति में हिंसा का प्रयोग किया गया है?
हाल ही में हमने हिंदू राष्ट्रवाद में एक बढ़ोतरी देखी है, जिसे हिंदुत्व (Hindutva) कहा जाता है।
कभी-कभी, जब हिंसा का इस्तेमाल अपने मकसद को आगे बढ़ाने के लिए किया जाता है, तो उसे विवादास्पद रूप से 'भगवा आतंकवाद' (saffron terror) कहा जाता है।
दूसरी ओर, हिंसा और आतंक की राजनीति का उपयोग करके धर्म को आगे बढ़ाने के लिए, दुनिया ने इराक क्षेत्र में इस्लामिक स्टेट (Islamic State),
अफ्रीका में बोको हराम (Boko haram), अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान (Taliban) और अल-कायदा (al-Qaeda) जैसे आतंकवादी संगठनों की कार्रवाइयों को देखा है।
ईसाई धर्म से संबंधित आतंकवाद भी अस्तित्व रखता है और इसे *‘गर्भपात विरोधी हिंसा’ (anti-abortion violence) और * श्वेत वर्चस्व (White supremacy)
जैसे ‘नव-नाजीवाद’ (neo-Nazism) या *‘कू क्लक्स क्लान’ (KKK) (Ku Klux Klan), आर्य राष्ट्रों से और काफी हद तक इन दिनों डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थकों से जोड़ा गया है।
80 के दशक का भारत, खालिस्तान आंदोलन (Khalistan movement ) के लिए जाना जाता है, जिसमें *1985 में एयर इंडिया (Air India) की उड़ान संख्या AI-182 का बम विस्फोट हमला भी शामिल है।
विभिन्न सरकारों में, धर्म की क्या भूमिका है?
धर्म भी *राष्ट्रीय सरकारों का एक हिस्सा रहा है, और वेटिकन (Vatican) जैसे ईश्वरीय मार्गदर्शन से शासित धर्मतंत्रीय राज्य भी रहे हैं। वेटिकन, एक कैथोलिक बहुसंख्यक आबादी के साथ कई अन्य देशों को भी निर्देशित करता है।
अन्य धर्मशासित राज्य है इस्लामी गणराज्य ईरान (Islamic Republic of Iran) और इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान (Islamic Republic of pakistan) की
तरह ।
इसी समान श्रेणी के देशों में, एक धर्मशासित राज्य का एक कम कट्टर पक्ष वहीं सरकारें होंगी जो अपने आधिकारिक *राज्य धर्म (State religion) के अलावा, अन्य धर्मों को भी जगह देंगी।
दिलचस्प बात यह है कि दुनिया के 43 देशों में, एक राज्य धर्म है, लेकिन वे अन्य धर्मों की आबादी को भी जगह देते हैं।
इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि, राष्ट्र, धर्म को वरीयता देते हैं। जैसे कि, इन 43 देशों में से 27 मुस्लिम राष्ट्र हैं, उनमें से 13 ईसाई राष्ट्र हैं और उनमें से भी 9 यूरोप में हैं।
इसलिए, दुनिया के लगभग 20% देशों में, ‘एक राज्य धर्म’ है।
इस अपवाद के साथ कि इनमें से किसी भी देश में हिंदू धर्म, एक राज्य धर्म के रूप में नहीं है, तो भारत यदि इसका अनुकरण करता है तो यह दुनिया का पहला देश होगा जिसका ‘एक राज्य धर्म’ हिन्दू धर्म होगा।
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80 के दशक का भारत, खालिस्तान आंदोलन (Khalistan movement ) के लिए जाना जाता है
राष्ट्रीय इतिहास की इस कमी का फायदा उठाते हुए, वर्तमान सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा (BJP) , इसे मतदाताओं को लुभाने के लिए एक मुद्दे के रूप में इस्तेमाल कर रही है।
हमने यहाँ पर यह प्रमाणित किया है कि धर्म, बहुत लंबे समय से राजनीति का हिस्सा रहा है, और धर्म, सरकारों को भी चलाता रहा है।
यह राष्ट्रीय पहचान का हिस्सा रहा है; धर्म व्यक्तिगत पहचान के लिए भी आवश्यक है, इसलिए इन दोनों को अलग नही किया जा सकता हैं।
तो फिर लोग धर्म और राजनीति को मिलाने से क्यों कतराते हैं?
धर्म और राजनीति के इन सभी संयोजनों में जो एक, समान कारक है, वह है, प्रभुत्व स्थापित करने के लिए हिंसा और आतंक का इस्तेमाल किया जाना।
इसलिए, लोग मानते हैं कि धर्म और राजनीति का परस्पर संबंध, सामाजिक ताने-बाने में विनाशकारी अनबन लाएगा। तो अगर इसे सर्व साधारण में प्रकाशित नहीं किया गया, तो खतरा हमेशा मंडराता रहेगा।
इसके अलावा, यदि राज्य की विचारधारा की सरंचना में धर्म प्राथमिक है, तो उदार समाज के रूप में शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व के उदाहरण बहुत कम हैं।
तो फिर सवाल यहां पर ये उठता है कि, धर्म, राजनीति और सरकार मिलकर कैसे एक शांतिपूर्ण देश बना सकते हैं।
* हिंदू राष्ट्रवाद एक राजनीतिक विचारधारा है जो 19वीं सदी से चली आ रही है। इसमें कई तरह के समूह शामिल थे, लेकिन इसके मूल में यह विश्वास है कि भारतीय राष्ट्रीय पहचान और संस्कृति हिंदू धर्म से अविभाज्य हैं।
20वीं सदी के आरंभ में भारत में स्वतंत्रता आंदोलन के एक भाग के रूप में इसे प्रमुखता मिलनी शुरू हुई, जिसका उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और इस्लामी मुगल वंश की पहचान से खुद को अलग करना था, जिसने 16वीं सदी से भारत पर शासन किया था।
हिंदुत्व - 1920 के दशक में विनायक दामोदर सावरकर के लेखन में गढ़ा गया एक शब्द जिसका अर्थ है "हिंदूपन" - भारत में हिंदू राष्ट्रवाद का प्रमुख रूप है।
हिंदुत्व भारत में हिंदू धर्म के आधिपत्य और देश को धर्मनिरपेक्ष के बजाय हिंदू राज्य के रूप में स्थापित करने में विश्वास है। हिंदुओं को धार्मिक समूह के बजाय जातीय समूह के रूप में अधिक देखा जाता है।
हिंदुत्व विचारधारा को दक्षिणपंथी उग्रवाद और फासीवाद के साथ जोड़ा गया है, क्योंकि इस आंदोलन में शुद्धतावादी नस्लीय तत्व हैं और यह अल्पसंख्यकों के प्रति असहिष्णुता, विशेष रूप से भारत में मुस्लिम विरोधी भावना और हिंसा से जुड़ा है, जहां 80% हिंदू और 14% मुस्लिम हैं।
*जर्मन किसानों का युद्ध (1524-1525) पवित्र रोमन साम्राज्य के जर्मनिक क्षेत्र के निचले वर्ग और कुलीन वर्ग के बीच सामंती व्यवस्था, धार्मिक स्वतंत्रता और आर्थिक असमानता को लेकर संघर्ष था।
कुलीन वर्ग की सेनाओं की तुलना में किसानों के पास कम हथियार थे, उनके पास अनुभवी नेतृत्व की कमी थी, और वे एकजुट मोर्चा बनाने में विफल रहे, जिसके कारण 1525 में कई मुठभेड़ों के बाद उनकी हार हुई, जो अक्सर लड़ाइयों से ज़्यादा नरसंहार थे।
यह अनुमान लगाया गया है कि संघर्ष में लगभग 100,000 जर्मन किसान मारे गए थे, और खेतों के नष्ट होने के बाद भूख से और भी ज़्यादा लोग मर गए।
*पुनरुत्थानवाद का तात्पर्य किसी भी रूप में धर्म के पुनरुद्धार से है, जिसमें चर्च में संस्थागत भागीदारी , धार्मिक संस्थाओं और घटनाओं का विस्तार शामिल है।
पुनरुत्थानवाद सामान्यतः एक ईसाई समूह, चर्च या समुदाय के भीतर नए सिरे से धार्मिक उत्साह की विशेषता होती है।
मुख्य रूप से, यह कुछ प्रोटेस्टेंट चर्चों के भीतर एक आंदोलन को संदर्भित करता है जिसका उद्देश्य अपने सदस्यों के आध्यात्मिक उत्साह को पुनर्जीवित करना और नए अनुयायियों को आकर्षित करना है।
*ज़ायोनिज़्म एक राजनीतिक विचारधारा और आंदोलन है जिसकी शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई थी।
यह इज़रायल के ऐतिहासिक क्षेत्र में एक यहूदी मातृभूमि की स्थापना और उसे बनाए रखने के विचार पर केंद्रित है।
इज़राइल की स्थापना के बाद, ज़ायोनिज़्म एक विचारधारा बन गई जो इज़राइल राज्य के विकास और संरक्षण का समर्थन करती रही है। ज़ायोनिज़्म को, अपने मूल में, यहूदी राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति के रूप में समझा जा सकता है।
ज़ायोनिज़्म शब्द की उत्पत्ति सियोन शब्द से हुई है, जो यरुशलम में एक पहाड़ी है, जो व्यापक रूप से इज़राइल की भूमि का प्रतीक है।
*श्वेत वर्चस्व यह विश्वास है कि श्वेत लोग अन्य जातियों के लोगों से श्रेष्ठ हैं और इसलिए उन्हें उन पर हावी होना चाहिए। यह विश्वास श्वेत लोगों द्वारा धारण की गई किसी भी शक्ति और विशेषाधिकार के रखरखाव और बचाव का पक्षधर है ।
*कू क्लक्स क्लान, जिसे अक्सर संक्षिप्त रूप से KKK व अनौपचारिक रूप से द क्लान नाम से जाना जाता है, विभिन्न पूर्व तथा वर्तमान अति दक्षिणपंथी घृणा समूहों का नाम है जिसका घोषित उद्देश्य हिंसा और भय के द्वारा संयुक्त राज्य अमरीका में श्वेत अमरीकियों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है।
ऐसे शुरुआती संगठनों का उदय दक्षिणी राज्यों में हुआ और अंततः उनका दायरा राष्ट्रीय स्तर तक फैल गया।
उन्होंने आदर्श सफेद परिधान विकसित किया, जिसमें मुखौटे, पोशाक और शंक्वाकार टोप शामिल थे। KKK का रिकार्ड आतंकवाद का प्रयोग करने का रहा है।
*गर्भपात विरोधी हिंसा उन व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ की गई हिंसा है जो गर्भपात करते हैं या गर्भपात परामर्श प्रदान करते हैं ।
हिंसा की घटनाओं में संपत्ति का विनाश, जिसमें बर्बरता भी शामिल है ; लोगों के खिलाफ अपराध, जिसमें अपहरण, पीछा करना , हमला , हत्या का प्रयास और हत्या शामिल है ; और लोगों और संपत्ति दोनों को प्रभावित करने वाले अपराध, साथ ही आगजनी और आतंकवाद , जैसे बम विस्फोट शामिल हैं।
गर्भपात विरोधी चरमपंथियों को संयुक्त राज्य अमेरिका के न्याय विभाग द्वारा एक मौजूदा घरेलू आतंकवादी खतरा माना जाता है ।
अधिकांश प्रलेखित घटनाएँ संयुक्त राज्य अमेरिका में हुई हैं, हालाँकि वे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड में भी हुई हैं।
कनाडाई सुरक्षा खुफिया सेवा के जी डेविडसन स्मिथ ने गर्भपात विरोधी हिंसा को एकल-मुद्दे वाले आतंकवाद के रूप में परिभाषित किया । 1982-87 की हिंसा के एक अध्ययन ने घटनाओं को "सीमित राजनीतिक" या "उप-क्रांतिकारी" आतंकवाद माना।
23 जून 1985 को, कनाडा से लंदन होते हुए भारत जा रहे एयर इंडिया के विमान में आयरिश तट के पास विस्फोट हो गया, जिससे विमान में सवार सभी 329 लोग मारे गए।
इसका कारण एक सूटकेस में रखा बम था, जिसे विमान में तब भी रखा गया था, जबकि टिकट धारक विमान में चढ़ा ही नहीं था। पीड़ितों में 268 कनाडाई नागरिक शामिल थे, जिनमें से अधिकांश भारतीय मूल के थे, और 24 भारतीय थे। समुद्र से केवल 131 शव ही बरामद किए जा सके।
*राष्ट्रीय सरकार वह सरकार होती है जो देश को चलाती है। राष्ट्रीय सरकार के दो बुनियादी रूप हैं। एक एकात्मक सरकार है जो क्षेत्रीय सरकारों के अस्तित्व में रहने की क्षमता सहित सब कुछ नियंत्रित करती है।
दूसरा और अधिक लोकप्रिय रूप संघीय सरकार है, जहाँ राज्यों के पास अधिकांश शक्ति होती है लेकिन सुरक्षा के हित में राष्ट्रीय सरकार को उन पर अधिकार दिया जाता है।
*राज्य धर्म (जिसे स्थापित धर्म, राज्य चर्च, स्थापित चर्च, या आधिकारिक धर्म भी कहते हैं) राज्य द्वारा आधिकारिक रूप से अनुमोदित एक धार्मिक निकाय या पंथ हैं।
आधिकारिक धर्म वाला एक राज्य, भले धर्मनिरपेक्ष न हो, पर धर्मतन्त्र (एक देश जिसके शासकों के हाथों में दोनों, धर्मनिरपेक्ष और आध्यात्मिक प्राधिकार होता हैं) हो, यह आवश्यक नहीं।
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