महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की विरासत
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की विरासत
Legacy of Queen Elizabeth II का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
महारानी एलिजाबेथ द्वितीय 1952 से यूनाइटेड किंगडम और उसके विदेशी भूखंडों की संवैधानिक सम्राज्ञी रहीं, जिसने उन्हें ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबे समय तक काम करने वाली, राज्यप्रमुख बनाया। वह कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की महारानी और इंग्लैंड के चर्च की प्रमुख भी थीं।
अनिर्वाचित और अपार शक्ति रखने वाला, ब्रिटेन का राजतंत्र लंबे समय से एक विवादास्पद व्यवस्था रही है। कुछ का तर्क है कि, रानी एक एकीकृत शक्ति है और देश की धरोहर का एक अनिवार्य हिस्सा भी है।
जबकि अन्य इसका विरोध करते है और तर्क देते है कि, राजवंशी करदाताओं पर एक निकास नली (Drain) की तरह है और आधुनिक जीवन की वास्तविकता से बेख़बर है।
हालांकि राष्ट्रप्रमुख, महारानी के पास कोई राजनीतिक शक्ति नहीं थी; फिर भी, वह राजशाही का प्रतिष्ठित चेहरा बन गईं।
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महारानी के पास कोई राजनीतिक शक्ति नहीं थी; फिर भी, वह राजशाही का प्रतिष्ठित चेहरा बन गईं
ब्रिटिश सरकार ने कई गलतियां कीं और जिसमें राजशाही सकारात्मक भूमिका निभा सकती थी। उदाहरण के लिए, इराक युद्ध, जहां सरकार अपने पक्ष समर्थन में झूठ को आधार बनाकर अपने ही लोगों की इच्छा के विरुद्ध गई थी।
राजशाही, सरकार को शांति और आक्रमण के खिलाफ सलाह दे सकती थी। जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई एक और वैश्विक मुद्दा है जहां पर, राजशाही एक नेता की भूमिका निभा सकती थी।
महारानी एलिजाबेथ के आलोचकों का तर्क है कि, वह एक सामंती व्यवस्था का पुनरावर्तन है जिसका, आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं है। वे राजशाही की उच्च लागत और इस तथ्य की ओर भी इशारा करते हैं कि, रानी और उसका परिवार विलासिता (सुखसाधन) का जीवन जीता था।
उसी समय में, बहुत से ब्रिटिश नागरिक गरीबी और असमानता से जूझ रहे थे और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे थे।
कुछ का तर्क है कि, वह एक पुरानी और अलोकतांत्रिक व्यवस्था का प्रतीक है। जैसे, इस तथ्य की ओर इशारा करते हुए कि, वह अनिर्वाचित है और उसे अपना पद विरासत में मिला है। फिर भी, ब्रिटिश शाही परिवार ने अपने दिखावे की जिंदगी और परंपरागत प्रथा का आनंद लिया।
एक क्षेत्र जहां राजशाही विशेष जांच के दायरे में आई है वह है, उनकी विरासत। बहुत से लोग मानते हैं कि, राजवंशी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाए और खासकर तब जब राष्ट्रमंडल में लोग गरीबी से जूझ रहे हों।
ऐसे कई देश हैं जो राजनीतिक और आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे हैं और उन्हें मदद की आवश्यकता है।
महारानी एलिजाबेथ 70 से अधिक वर्षों से राजगद्दी पर थीं किन्तु, उनकी विरासत स्पष्टता से कोसों दूर है। फिर भी, एलिजाबेथ अपने शासनकाल के दौरान दुनिया के सबसे अधिक आसानी से पहचाने जाने योग्य सम्राटों में से एक बन गई थी।
राष्ट्रमंडल के प्रमुख के रूप में - 54 देशों का एक समूह जो पहले ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था - उन्होंने विभिन्न संस्कृतियों के बीच समझ और सहयोग को बढ़ावा देते हुए बड़े पैमाने पर वहाँ की यात्राएँ की।
एक बहुत ही असहज परिस्थिति में वह राजनीतिक उथल-पुथल के समय एक स्थिर शक्ति रही। उनकी राजनीतिक संबद्धता की परवाह किए बिना वह लगातार सरकारों को समर्थन देती रही ।
रानी की भूमिका विरोधाभासपूर्ण रही है। अनिर्वाचित रहते हुए, वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उनके उथल-पुथल से भरे समय में स्थिरता और निरंतरता दे रही थीं।
फिर भी, वह एक ऐसे देश में एकजुट करने वाली शक्ति रही है जो अभी भी आर्थिक अंतर और सामाजिक असमानता से ग्रस्त है।
राजशाही के समर्थक ध्यान दें कि, यह देश में स्थिरता लाता है और दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करता है। उनका यह भी तर्क है कि, महारानी एलिजाबेथ एक मेहनती लोक सेवक थीं, जिन्होंने अपना जीवन सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने ब्रिटेन और बाकी दुनिया के साथ उसके संबंधों पर गहरा प्रभाव डाला।
1952 में जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने गद्दी संभाली, तब भी ब्रिटेन एक शक्तिशाली राष्ट्र था। इसका एक बहुत बड़ा साम्राज्य था जिसमें, विश्व के विशाल क्षेत्र शामिल थे।
किन्तु अगले कुछ दशकों में, साम्राज्य असफल होने लगा और ब्रिटेन ने एक विश्व शक्ति के रूप में अपना दर्जा खोना शुरू कर दिया।
युद्ध के बाद ( द्वितीय विश्व युद्ध के बाद) के वर्षों को उपनिवेशवाद से चिह्नित किया गया था क्योंकि, ब्रिटेन अपने दूर-दराज के क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा था।
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उन्होंने विऔपनिवेशीकरण के दौर में देश का मार्गदर्शन किया
उन्होंने विऔपनिवेशीकरण के दौर में देश का मार्गदर्शन किया जैसे कि, ब्रिटेन ने अपने विशाल साम्राज्य पर अपनी पकड़ को छोड़ना शुरू कर दिया था। परिणामस्वरूप, ब्रिटेन ने अफ्रीका और एशिया में अपने उपनिवेश खो दिए।
यह प्रक्रिया अक्सर विवादास्पद और कई बार हिंसक भी होती थी। कुछ मामलों में, ब्रिटेन ने दया भाव से स्वतंत्रता दे दी ; दूसरों में, दृढ़ संकल्पित विरोध से उत्पन्न चुनौतीपूर्ण स्थिति से मजबूर होकर उन्हें वहां से वापस आना पड़ा।
लेकिन परिस्थितियाँ जो भी हों, परिणाम हमेशा एक जैसा ही रहा: ब्रिटेन का साम्राज्य तब तक सिकुड़ता रहा जब तक कि, वह खत्म नही हो गया। महारानी एलिजाबेथ उस समय के महान साम्राज्य की अंतिम जीवित कड़ी थी।
हालांकि उन्होंने तब उसपर राज नही किया जब वह अपनी ऊंचाई पर था किन्तु, उन्होंने उसका संपूर्ण अंत देखा । 2022 में जब एलिजाबेथ की मृत्यु हुई, तब तक ब्रिटेन बहुत अलग बन चुका था। साम्राज्य चला गया और ब्रिटेन अब वह अग्रणी राष्ट्र नहीं रहा जो कभी था।
महारानी एलिजाबेथ ने अपने शासनकाल में कई उतार-चढ़ाव देखे । अपने शुरुआती वर्षों में, उन्होंने ब्रिटेन की युद्धकाल से शांतिकाल तक की अर्थव्यवस्था के परिवर्तनकाल पर निगाह रखी।
हालाँकि, उसके बाद के वर्षों में आर्थिक कठिनाइयों में वृद्धि और सामाजिक सामंजस्य में गिरावट भी देखी गई।
उनके शासनकाल के अंत तक, कई लोगों ने सवाल किया कि, क्या राजशाही अपने वर्तमान स्वरूप में जीवित रह सकती है।
ब्रिटेन में राजशाही का भविष्य विवादास्पद है। अधिकांश ब्रिटिश नागरिक राजशाही का अंत नहीं देखना चाहते, किन्तु, कुछ महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक है जो, यह मानते हैं कि, अब समय आ गया है जब ब्रिटेन को गणतंत्र बन जाना चाहिए। कई कारण हैं, जिनकी वजह से राजशाही को अब अन्तर्भाव द्वारा उपयुक्त नहीं माना जाता ।
पहले तो, राजशाही को बनाए रखने की लागत को अनावश्यक माना जाता है। तब
जब ब्रिटेन आर्थिक कठिनाइयों का सामना कर रहा हो।
दूसरे, कई लोग मानते हैं कि, राजशाही अभिजात वर्ग के पक्ष में गलत तरीके से पक्षपाती है। किन्तु, इसके अलावा, ऐसा इसलिए है क्योंकि, यह सभी ब्रिटिश नागरिकों के हितों का प्रतिनिधित्व नहीं करता ।
तीसरा, कुछ लोगों को लगता है कि, राजशाही एक अप्रचलित संस्था है जिसका, आधुनिक लोकतान्त्रिक समाज के साथ में कोई स्थान नहीं है।
हालांकि, इन आलोचनाओं के बावजूद, राजशाही ने ब्रिटेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उसने बदलते दौर के वक़्त में राष्ट्रीय पहचान और अखंडता की भावना पैदा करने में मदद की।
इस बात से कोई इंकार नहीं है कि, महारानी एलिजाबेथ द्वितीय हमारे समय की सबसे प्रसिद्ध व्यक्तियों में से एक हैं।
परंतु , यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि, उन्हें एक एकीकृत शक्ति के तौर पर याद किया जाएगा या फिर ब्रिटेन के पतन के प्रतीक के तौर पर। अतः आनेवाले वर्षों में रानी की विरासत पर जोरदार बहस जारी रहेगी।
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