वे पुरुष जिन्होंने 21वीं सदी का इतिहास बदल दिया
वे पुरुष जिन्होंने 21वीं सदी का इतिहास बदल दिया
Men Who Changed History of 21st Century का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
कॉलिन पॉवेल (Colin Powell) और डोनाल्ड रम्सफेल्ड (Donald Rumsfeld) दोनों ने एक संघर्ष जो 2003 से 2011 तक चला, उसे उस स्थिति तक पहुँचाने में यानी इराक युद्ध के दौरान महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई।
इस युद्ध के दूरगामी परिणाम हुए और यह कई विवादों के साथ एक विवादास्पद विषय बना रहा।
यह लेख उनकी भूमिकाओं और इराक युद्ध से जुड़े विवादों का एक अवलोकन प्रदान करेगा।
जिसमें संघर्ष की ओर ले जाने वाली प्रमुख घटनाओं, उन्हें सही साबित करने के लिए इस्तेमाल की गई खुफिया जानकारी और युद्ध के परिणामों को शामिल किया जाएगा।
2021 में कॉलिन पॉवेल और डोनाल्ड रम्सफेल्ड की मृत्यु हो गई, और वे दुनिया को युद्ध, आतंकवाद और हिंसा के भंवर में छोड़ गए।
कॉलिन पॉवेल
आधुनिक इतिहास के वर्षक्रमिक इतिहास में, कुछ घटनाओं ने इराक युद्ध जितनी ही गहरी छाप छोड़ी है और इन प्रामाणिकताओं, विवादों और परिणामों के बवंडर के केंद्र में एक महत्वपूर्ण प्रभुत्व वाला व्यक्ति खड़ा था: कॉलिन पॉवेल, पूर्व अमेरिकी राज्य सचिव।
जैसे-जैसे इराक का मामला शांत हुआ और दुनिया ने इराक युद्ध के पहलुओं पर विचार किया, इस जटिल और विभाजनकारी अध्याय में पॉवेल की भूमिका की आलोचनात्मक जांच करना आवश्यक हो गया।
कॉलिन पॉवेल, एक अत्यधिक सम्मानित सैन्य नेता, ने इराक युद्ध गाथा में एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में बहुत अधिक विश्वसनीयता और ईमानदारी के साथ प्रवेश किया।
खाड़ी युद्ध के दौरान ' ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ ' (Joint Chiefs of Staff) के अध्यक्ष के रूप में अपनी विशिष्ट सेवा के साथ, पॉवेल को 9/11 के बाद की चिंता और भय से भरी दुनिया में एक स्थिर शक्ति के रूप में देखा गया था।
हालाँकि, 5 फरवरी, 2003 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) के समक्ष उनके भाषण ने उनका नाम इराक युद्ध के विवादास्पद इतिहास में दर्ज करा दिया।
उस अत्यंत महत्वपूर्ण संबोधन में, पॉवेल ने सद्दाम हुसैन के शासन के पास सामूहिक विनाश के हथियार (डब्ल्यूएमडी) (WMDs) रखने और उन्हें सक्रिय रूप से छुपाने के निश्चयात्मक सबूत होने का दावा करते हुए सैन्य हस्तक्षेप का मामला बनाया।
उन्होंने युद्ध के लिए एक दमदार मामला बनाने के लिए उपग्रह चित्रों, खुफिया रिपोर्ट, दलबदलुओं की गवाही और आतंकवाद से उनके संबंधों के आरोप प्रस्तुत किए।
उस समय, दुनिया उनकी सच्चाई और ईमानदारी पर भरोसा करते हुए, उनके हर शब्द पर विश्वास करती थी। लेकिन जैसे ही इस हमले के बाद इस दावे पर धूल जम गई और कोई डब्लूएमडी नहीं मिला, तब पॉवेल की विश्वसनीयता खंडित होने लगी।
बाद में पता चला कि, उन्होंने जो ख़ुफ़िया जानकारी प्रस्तुत की थी, वह अत्यधिक त्रुटिपूर्ण थी, अविश्वसनीय स्रोतों पर आधारित थी, और एक पूर्वकल्पित कहानी में डालने के लिए चुनी गई थी।
प्रस्तुत साक्ष्यों और जमीनी हकीकत के बीच इस विसंगति के कारण कई लोगों ने पॉवेल की भूमिका और मक़सद पर सवाल उठाया।
इसके अलावा, पॉवेल ने बाद के वर्षों में अपने भाषण पर खेद व्यक्त किया और स्वीकार किया कि, यह उनके कॅरियर पर एक " काला धब्बा" था और दोषपूर्ण ख़ुफ़िया जानकारी ने उन्हें गुमराह किया था।
इस स्वीकारोक्ति ने इस बहस को और हवा दे दी कि, क्या उन्हें सचमुच धोखा दिया गया था या उन्होंने अपनी स्वेच्छा से दुनिया के सामने एक भ्रामक मामला पेश करने के काम में भाग लिया था।
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उस समय, दुनिया उनकी सच्चाई और ईमानदारी पर भरोसा करते हुए, उनके हर शब्द पर विश्वास करती थी
आलोचकों का तर्क है कि, पॉवेल की सबसे गंभीर गलती उनके द्वारा प्रस्तुत की गई ख़ुफ़िया जानकारी की खुद स्वतंत्र रूप से पुष्टि किए बिना बुश (Bush) प्रशासन द्वारा युद्ध के लिए दबाव डालने को अपनी विश्वसनीयता प्रदान करना था।
व्यापक अनुभव वाले एक सैन्य नेता के रूप में, उनसे उम्मीद की गई थी कि, वे इस तरह के अति महत्वपूर्ण निर्णय पर संशयवाद के दृष्टिकोण के साथ कार्यवाही करेंगे और उसके साक्ष्यों की कठोर जांच करेंगे। किन्तु, ऐसा करने में उनकी विफलता आजतक विवाद का विषय बनी हुई है।
विशिष्ट भाषण के परे, इराक युद्ध के प्रति प्रशासन के दृष्टिकोण को आकार देने में पॉवेल के समग्र प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता। राज्य सचिव के रूप में, वह सत्ता के अंदरूनी व्यक्तियों के समूह में एक प्रमुख व्यक्ति थे, जो प्रशासन के तर्कों को वैधता और विश्वसनीयता प्रदान करते थे।
प्रमुख सहयोगियों के विरोध और स्पष्ट संयुक्त राष्ट्र प्राधिकरण की कमी के बावजूद, उनके समर्थन ने अंतरराष्ट्रीय सर्वसम्मति का आभास प्रदान दिया।
यह स्वीकार करना आवश्यक है कि, कॉलिन पॉवेल इराक युद्ध के एकमात्र निर्माता नहीं थे। सैन्य हस्तक्षेप के निर्णय में कारकों, निर्णयों और राजनीतिक गणनाओं का एक जटिल जाल शामिल था।
फिर भी, युद्ध के मामले में प्रशासन के सार्वजनिक चेहरे के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें इस युद्ध गाथा में एक केंद्रीय व्यक्ति बना दिया।
अपने विशाल मानवीय नुकसान, भू-राजनीतिक जटिल अनेपक्षित परिणामों और अस्थिर करने वाले परिणामों के साथ, इराक युद्ध एक विवादास्पद और ध्रुवीकृत मुद्दा बना हुआ है।
संघर्ष में, कॉलिन पॉवेल की भूमिका, नेतृत्व के प्रभाव (महत्व), खुफिया जानकारी को सत्यापित करने की जिम्मेदारी और इतिहास को आकार देने वाले निर्णयों की बारीकी और सावधानी से जांच होने की आवश्यकता को लेकर एक सतर्क करने वाली कहानी है।
जैसा कि, इतिहास की जूरी (निर्णायक समिति) लगातार इसपर विचार-विमर्श करती रही, अतः एक बात निश्चित है कि : इराक युद्ध और इसमें कॉलिन पॉवेल की भूमिका आने वाली पीढ़ियों के लिए गहन आत्मनिरीक्षण और आलोचनात्मक विश्लेषण को प्रेरित करती रहेगी।
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युद्ध के मामले में प्रशासन के सार्वजनिक चेहरे के रूप में उनकी भूमिका ने उन्हें युद्ध गाथा में एक केंद्रीय व्यक्ति बना दिया
डोनाल्ड रम्सफेल्ड
इराक युद्ध के उथल-पुथल भरे वर्षों के बाद जैसे ही यह संघर्ष शांत और स्थिर हुआ, एक नाम जो इसे आकार देने में प्रमुख रूप से उभरा वह था : डोनाल्ड रम्सफेल्ड, पूर्व अमेरिकी रक्षा सचिव।
इराक पर आक्रमण और उसके बाद उसपर कब्जे के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में उनकी भूमिका गहन जांच और बहस का विषय बनी हुई है।
डोनाल्ड रम्सफेल्ड, एक अनुभवी और प्रभावशाली राजनीतिक व्यक्ति थे, जिन्होंने 2000 के दशक की शुरुआत के निर्णायक ( महत्वपूर्ण) वर्षों के दौरान राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू. बुश (George W. Bush) के अधीन रक्षा सचिव का पद संभाला था।
उनका कार्यकाल महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बदलावों के समय के साथ का ही था, जो 9/11 के आतंकवादी हमलों के परिणामों और दुष्ट राज्यों (ग़ैरकानूनी राज्य) (Rogue states) और गैर-राज्य अभिकर्ता (Non-state actors) द्वारा उत्पन्न कथित खतरों से चिह्नित था। इन्हीं सब परिस्थियों के चलते इराक युद्ध इतना अधिक फैला।
रक्षा सचिव के रूप में रम्सफेल्ड के प्रेरक व्यक्तित्व और प्रभाव ने उन्हें प्रशासन के आंतरिक मंडली में एक केंद्रीय व्यक्ति बना दिया। उनका दृष्टिकोण राष्ट्रपति बुश के अनुरूप था, जिन्होंने 9/11 के बाद की दुनिया में अमेरिकी सैन्य कौशल को प्रदर्शित करने की मांग की थी।
तकनीकी रूप से उन्नत और शिष्ट सेना के लिए रम्सफेल्ड की वकालत ने राष्ट्रपति से अनुरोध किया कि, वह वित्तीय लागत और मानव जनहानि को नियंत्रण में रखते हुए अमेरिकी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन करना चाहते हैं।
रम्सफेल्ड इराक में सैन्य हस्तक्षेप के प्रबल समर्थक थे, और आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से बेहतर ढंग से निपटने के लिए अमेरिकी सेना को बदलने की वकालत करते थे।
उन्होंने उन्नत तकनीक, सटीक हमलों और छोटी, अधिक मुस्तैद सेनाबल के महत्व पर जोर देते हुए "रम्सफेल्ड ट्रांसफॉर्मेशन" (Rumsfeld's Transformation) अवधारणा का समर्थन किया।
इस दृष्टिकोण का उद्देश्य बड़े पैमाने पर पारंपरिक सैन्य तैनाती पर कम निर्भरता के साथ सैन्य उद्देश्यों को जल्दी और निर्णायक ढंग से प्राप्त करना था।
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उन्होंने उन्नत तकनीक, सटीक हमलों और छोटी, अधिक मुस्तैद सेनाबल के महत्व पर जोर देते हुए "रम्सफेल्ड ट्रांसफॉर्मेशन" अवधारणा का समर्थन किया
रम्सफेल्ड की भूमिका के सबसे उल्लेखनीय पहलुओं में से एक "सदमा और विस्मय" (Shock and Awe) सैन्य रणनीति के लिए उनका समर्थन था।
इस रणनीति में बड़े पैमाने पर सैन्य बल और सटीक-निर्देशित हथियारों के साथ दुश्मन पर काबू पाना शामिल था, जिसका उद्देश्य गहरा मनोवैज्ञानिक प्रभाव पैदा करना और प्रतिद्वंद्वी की विरोध करने की इच्छा में बाधा डालना था।
हालांकि, युद्ध के प्रारंभिक चरण में इस रणनीति ने अमेरिकी सेना की क्षमताओं का प्रदर्शन किया, किन्तु, आक्रमण के बाद के चरण के लिए इसे निंदा का सामना करना पड़ा, अपर्याप्त योजना और लंबे विद्रोह के उदय के लिए।
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युद्ध के प्रारंभिक चरण में अमेरिकी सेना की क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ
शायद इराक युद्ध में रम्सफेल्ड की भूमिका का सबसे विवादास्पद पहलू उनका सैन्यदल के स्तर को संभालना का तरीका था। उन्होंने "हल्के पदचिह्न" (light footprint) रणनीति का समर्थन किया, शुरुआत में कुछ सैन्य नेताओं की सिफारिश करने के बजाय छोटी फ़ौज को तैनात किया।
इस निर्णय का उद्देश्य परिवर्तनकारी दृष्टिकोण की प्रभावशीलता का परीक्षण करना था। फिर भी, आलोचकों का तर्क है कि, यह निर्णय सद्दाम हुसैन के शासन के पतन के बाद इराक को स्थिर करने के उद्देश्य को अपर्याप्त कार्यबल की ओर लेकर गया।
इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) (WMD) का पता लगाने में हुई विफलता ने, जो कि, युद्ध के प्राथमिक स्पष्टीकरणों में से एक थी, रम्सफेल्ड की विरासत को और अधिक धूमिल कर दिया।
डब्ल्यूएमडी (WMDs) के अस्तित्व का समर्थन करने के लिए इस्तेमाल की गई खुफिया जानकारी बाद में त्रुटिपूर्ण और अविश्वसनीय निकली, जिससे जनता और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने प्रस्तुत की गई जानकारी की सटीकता पर सवाल खड़े हो गए।
इसके अलावा, रक्षा सचिव के रूप में रम्सफेल्ड का कार्यकाल, इराक की अबू ग़रीब (Abu Ghraib) जेल में बड़े पैमाने पर बंदी दुर्व्यवहार और क्रूरता के रहस्योद्घाटन के कारण बिगड़ गया था।
दुर्व्यवहार की छवियों और रिपोर्टों ने दुनिया को चौंका दिया और इसने अमेरिका की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, जिससे प्रशासन की युद्ध से निपटने के तरीके की आलोचना और अधिक बढ़ गई।
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इराक में सामूहिक विनाश के हथियारों (डब्ल्यूएमडी) का पता लगाने में हुई विफलता ने, जो कि, युद्ध के प्राथमिक स्पष्टीकरणों में से एक थी, रम्सफेल्ड की विरासत को और अधिक धूमिल कर दिया
आलोचकों का तर्क है कि, परिवर्तनकारी सैन्य अवधारणाओं के प्रति रम्सफेल्ड की अटूट प्रतिबद्धता और सैन्य प्रतिष्ठान के भीतर असहमति की आवाजों को खारिज करने के उनके निर्णयों ने, युद्ध के कब्जे और पुनर्निर्माण चरण के दौरान आने वाली कठिनाइयों में योगदान दिया।
आक्रमण के बाद विस्तृत योजना की कमी और विद्रोह की तीव्रता का अनुमान लगाने में विफलता ने रणनीति की कमजोरियों को उजागर कर दिया।
अंत में, इराक युद्ध में डोनाल्ड रम्सफेल्ड की भूमिका एक परिवर्तनकारी सैन्य दृष्टिकोण के लिए उनके समर्थन, " सदमा और विस्मय" रणनीति के समर्थन और सेना-स्तर को संभालने के उनके तरीकों द्वारा चिह्नित की गई थी।
यद्यपि, उन्होंने अमेरिकी सेना की तकनीकी शक्ति का प्रदर्शन करने और तुरंत जीत हासिल करने की कोशिश की किन्तु, युद्ध की जटिलताओं और परिणामों ने उनकी एक विवादास्पद विरासत छोड़ दी है।
इराक युद्ध, नेतृत्व के महत्व, दृढ़ योजना के महत्व और इतिहास की दिशा को आकार देने वाले निर्णय लेते समय जवाबदेही की आवश्यकता के बारे में एक सतर्क कहानी बनी हुई है।
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