2022 से सबक़
2022 से सबक़
Learning from 2022 का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
यूक्रेन में युद्ध –
दीर्घकालिक भू-राजनीति, बहुध्रुवीय दुनिया में भी समान रूप से व्यवधान पैदा करेगी। नाटो (NATO) में शामिल होने और उसके विस्तार के यूक्रेन के इरादे ने इस भू-भाग के संतुलन को बदल दिया है।
इसके अलावा, इसने आने वाले लंबे समय के लिए भू-राजनीति में बदलाव कर दिया है। इस परिस्थिति से सीखना आसान है।
महाशक्तियों के प्रभाव में छोटे देश महाशक्तियों के लिए युद्ध के मैदान होंगे। चाहे वह 50 के दशक में कोरिया, 60 के दशक में वियतनाम , 80 के दशक के शीत युद्ध में पूर्वी यूरोप हो या अब यूक्रेन युद्ध के मैदान का स्थान, हमेशा कमजोर देश ही युद्ध के मैदान होते हैं।
2023 में, नेताओं और जनता को इस चीज़ से सावधान रहना चाहिए कि, कहीं वे बहक न जाएं और राष्ट्रवाद की बयानबाजी ( वक्र पटुता ) में न फंस जाएं। आत्महित सबसे अच्छी विदेश नीति है।
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2023 और उसके आगे, एक बहुध्रुवीय दुनिया में भी, चीन के पास अपनी अग्र स्थान वाली स्थिति बनी रहेगी
जलवायु परिवर्तन -
एक बार उच्च और शक्तिशाली द्वारा अस्वीकार किया गया सिद्धांत अब एक वास्तविकता है। तब सबूत कम थे, किंतु, 2022 ने निडरता से इसे प्रमाणित किया है। यह सभी को प्रभावित कर रहा है।
2022 में अभूतपूर्व तापमान देखा गया है, जंगल की आग, विनाशकारी बाढ़ और अप्रत्याशित मौसम एक आपातकालीन स्थिति के संकेत हैं। यदि दुनिया इस तथ्य को स्वीकार करना सीख लेती है तो, उसे तुरंत इसपर कार्य करना चाहिए।
जलवायु परिवर्तन को धीमा करने और इसके प्रभाव को उलटने की कार्रवाई की जिम्मेदारी हम सभी पर है।
राजशाही और लोकतंत्र –
ब्रिटेन ने दिखाया है कि, राजशाही अपने लोकतंत्र की तुलना में अधिक स्थिर है। 2022 ने 3 प्रधानमंत्रियों के चेहरे और लोकतांत्रिक सरकारों द्वारा बनाई गई विनाशकारी जनविरोधी नीतियाँ दिखाई। जिसका परिणाम 2023 और आने वाले वर्षों में महसूस किया जाएगा।
दूसरी ओर, एक सम्राट से सत्ता का हस्तांतरण एक उत्तराधिकारी को उतना ही सुगम था जैसे कि, स्वर्ण रथ की सवारी। यह बिना किसी रुकावट या बाधा के था। इस बार यह राजशाही थी जिसने, लोकतंत्र से अधिक सफलता पाई।
सामाजिक मीडिया -
यह अनियंत्रित और जहरीला बने रहने के लिए है। हमारे आधुनिक जीवन को प्रभावित करना जारी रखते हुए यह सर्वव्यापक है। यह हमारे मनोविज्ञान में प्रवेश कर गया है और होमो सेपियन्स (homo sapiens) की ध्यान अवधि को प्रभावित करना जारी रखता है।
सम्बद्ध डिजिटल उपकरणों के नए युग को समाज की चुनौतियों के अलावा, सोशल मीडिया घुसपैठ से भी निपटना है।
चुनौतियों के साथ- साथ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) एल्गोरिदम (Artificial Intelligence (AI) algorithm) और डेटा एनालिटिक्स (data analytics) द्वारा प्रोफाइलिंग (profiling), तकनीकी विशेषज्ञों के हाथों में एक खतरनाक उपकरण है।
किंतु, दुर्भाग्य से, यह एक आवश्यक बुराई बन गई है, जो अदृश्य है और हर पल हमारे जीवन में सांस ले रही है। 2023 एआई (AI) की स्वतंत्र सोच और उसपर हमारी ओर से निर्णय लेने का प्रमाण देखेगा।
चीन -
वैश्विक परस्पर निर्भरता के निर्विवाद राजा! चीन को छींक भी आ जाए तो दुनिया कांप उठती है। निर्भरता बढ़ रही है और चीनी अपरिहार्य हैं। अपराजेयता पहले से ही खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है।
इसने नीति निर्माताओं और रणनीतिकारों के लिए सिरदर्द पैदा कर दिया है और साल 2023 आगे की चुनौतियों का सामना करेगा।
चीन पर निर्भरता कम करने के लिए विकसित अर्थव्यवस्थाओं या उससे कम देशों की ओर से कोई साहसिक और प्रत्यक्ष कदम नहीं उठाए गए हैं।
कोविड हो या रूसी-यूक्रेन युद्ध, दक्षिण चीन सागर में ताइवान को लेकर तनाव हो या हिमालय की ठंड में चीन-भारत सीमा पर, चीन की भूमिका भू-राजनीति में प्रभुत्व और निरंतर उपस्थिति की है। दुनिया का शेष भाग केवल प्रतिकार कर रहा है।
2023 में, विश्व के सभी देशों को चीन के कारण होने वाली थरथराहट को कम करने के लिए मुखरता का प्रदर्शन करना शुरू कर देना चाहिए।
यह एक मुश्किल प्रस्ताव है और नीति निर्माण में एक साहसी संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता है। इसमें व्यापार और कमी को जोखिम में डालना आवश्यक होगा, जिसे जनसंख्या करना पसंद नहीं कर सकती है।
इसके लिए अलोकप्रिय उपायों और चुनाव में हार के जोखिम की आवश्यकता होगी। आज विश्व के बहुत से नेताओं में ये कदम उठाने की हिम्मत नहीं है।
चुनौती है हमारी अर्थव्यवस्था में चीनी दृढ़ स्थिति ( खाईबंदी) पर काबू पाने की । चीन ने राष्ट्रों की अर्थव्यवस्था के मूल सिद्धांतों जैसे वित्तीय, निवेश, विनिर्माण, आपूर्ति श्रृंखला, प्रौद्योगिकी और पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं की ताकत पर मजबूती से अपनी पकड़ बना ली है।
2023 और उसके आगे, एक बहुध्रुवीय दुनिया में भी, चीन के पास अपनी अग्र स्थान वाली स्थिति बनी रहेगी। दुनिया ने 2022 में यह सीखा और उसे लंबे समय तक इस स्थिति के साथ जीना सीखना चाहिए।
क्या इसे मूक चीनी उपनिवेशवाद कहा जा सकता है अतः, इस तथ्य को स्वीकार करने का सही समय आ गया है।
सह- संबंध सर्वोच्च है!
यूक्रेन में युद्ध ने स्थापित किया है कि, "सह- संबंध" सर्वोच्च है। हालाँकि, एक मजबूत अर्थव्यवस्था कागज पर है; यदि सह- संबंध विफल हो जाता है तो, सबसे मजबूत राष्ट्रों को घुटनों के बल लाया जाता हैं।
खाद्य, तेल, गैस, ऊर्जा, कच्चा माल और सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक शांति यह सभी परस्पर - निर्भर हैं। यहां तक कि, रूस और यूक्रेन जैसे युद्धरत दलों के पास भी यूक्रेनी गेहूं को काला सागर में रूसी जल के माध्यम से निर्यात करने के लिए एक आर्थिक समझौता है।
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यूक्रेन में युद्ध ने स्थापित किया है कि, "सह- संबंध" सर्वोच्च है
ओडेसा का बंदरगाह, जो अब रूस के नियंत्रण में है, दुनिया भर में यूक्रेनी सामान भेजता है। यूरोप यूक्रेन को रक्षा सामग्री, प्रशिक्षण और वित्त की आपूर्ति करते हुए रूसी तेल और गैस का आयात करना जारी रखता है।
2023 और उसके बाद की राजनीति में भी परस्पर - निर्भरता और सह- संबंध का वर्चस्व बना रहेगा।
वे नीति-निर्माता और व्यावसायिक रणनीतिकार, जो सह- संबंध में महारत हासिल कर सकते हैं, और परस्पर - निर्भरता के जटिल मुद्दे का रास्ता खोज सकते है, वे ही सर्वोच्चता को वश में कर पाएंगे।
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