अपने पड़ोसी से प्रेम करें: वैश्विक संघर्षों से जूझना
अपने पड़ोसी से प्रेम करें: वैश्विक संघर्षों से जूझना
Love Thy Neighbour: Fighting Global Conflicts का हिन्दी रूपांतर एवं सम्पादन
~ सोनू बिष्ट
संघर्षों को सुलझाने और लंबे समय तक अस्तित्व में बनी रहने वाली शांति को, बढ़ावा देने की कला के शाश्वत विषय ने इन दिनों प्रमुखता प्राप्त कर ली है।
7 अक्टूबर 2023 से एक महीने के अंदर में 10,000 से अधिक फिलिस्तीनियों और 1,400 इजरायलियों की जान चली गई है।
तब से, जब 1948 में इज़राइल को एक राष्ट्र घोषित किया गया था, विभिन्न अनुमान बताते है कि 1948 के बाद से शुरू हुए इस संघर्ष में अब तक हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई है जिनमें नागरिक और लड़ाकें दोनों शामिल है ।
जिस समय गाजा और इज़राइल में चल रहे संघर्ष ने दुनिया का ध्यान आकर्षित किया हुआ है, यह पहचानना आवश्यक है कि दुनिया मे चल रहे ये विवाद अलग-थलग मामले नहीं हैं।
वे भारत, पाकिस्तान, यमन, चीन, ताइवान, अफ्रीकी क्षेत्र और बहुत सारे अन्य क्षेत्रों में मिलने वाले संघर्ष के व्यापक पैटर्न की प्रतिध्वनि करते हैं।
1948, इज़राइल निर्माण के बाद से ही, इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष इतना सतत और भयावह रहा है कि इसे विश्व शांति का बैरोमीटर माना जाता है।
दूसरी ओर, यूरोप जैसे क्षेत्रों में लंबे समय तक बनी रहने वाली शांति के पीछे का क्या रहस्य है, जहां एक समय में युद्धरत राष्ट्र, राजनीतिक और आर्थिक संघ बनाने के लिए एक साथ आए हैं?
इसके उत्तर खोजने के लिए, हम “अपने पड़ोसी से प्रेम करें” * (Love Thy Neighbour) अवधारणा और लंबे समय तक बनी रहने वाली वैश्विक शांति प्राप्त करने में इसकी भूमिका का पता लगाते है।
* “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।”—मत्ती 22:39. ( बाइबिल)
यीशु ने जब फरीसी को बताया कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रखना, दूसरी सबसे बड़ी आज्ञा है, तो वह असल में इस्राएलियों को दिए एक खास नियम का ज़िक्र कर रहा था।
यह नियम लैव्यव्यवस्था 19:18 में दर्ज़ है।
इसी अध्याय में, यहूदियों से कहा गया था कि उन्हें न सिर्फ अपने संगी इस्राएलियों को बल्कि दूसरे लोगों को भी अपना पड़ोसी समझना चाहिए।
आयत 34 कहती है: “जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उस से अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे।”
यह आयत साफ दिखाती है कि इस्राएलियों को गैर-यहूदी, खासकर यहूदी धर्म अपनानेवाले परदेशियों के साथ प्यार से पेश आना था।
वैश्विक संघर्षों की जटिलता में, अनसुलझे ऐतिहासिक तनाव अक्सर चल रहे झगड़ों को बढ़ावा देते हैं, जिससे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में हिंसक असहमति का एक लंबे समय तक चलने वाला चक्र बन जाता है।
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इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष इतना सतत और भयावह रहा है कि इसे विश्व शांति का बैरोमीटर माना जाता है
इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए, आइए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मध्य पूर्व में संघर्षों और यूरोप में शांति के बीच समानांतर - रेखाएँ बनाएं।
यह जानना दिलचस्प होगा कि जर्मनी और जापान को अपने पूर्व प्रतिद्वंद्वियों के साथ शांति स्थापित किए हुए उतना ही समय बीत चुका है।
इनके प्रतिद्वंद्वी ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका जैसे देश थे। यह उस लंबे समय तक टिकी रहने वाली शांति से भी मेल खाती है जिसे हम अब देख रहे हैं।
लेकिन यहां पर यह सवाल उठता है कि: ये देश शांति बनाए रखने के लिए अलग तरह से और उचित तरीके से ऐसा क्या कर रहे हैं, जबकि अन्य देश लंबे समय से संघर्ष में फंसे हुए हैं?
जब स्थायी शांति स्थापित करने में कई कारक शामिल होते हैं। तब एक सीधा सा उत्तर जो ज्यादा बेहतर और महत्वपूर्ण है सामने आता है : "अपने पड़ोसी से प्रेम करें।"
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10,000 से अधिक फिलिस्तीनियों और 1,400 इजरायलियों की जान चली गई है
यह एक ऐसा वाक्यांश है जो भ्रामक रूप से सरल लगता है किन्तु, गहरा महत्व रखता है।
आधुनिक समय की चुनौतियाँ, हर विवाद का दस्तावेज़ीकरण करने वाली उन्नत तकनीक द्वारा बढ़ी हुई शत्रुता के कारण, यह कथन अव्यवहारिक प्रतीत होता है।
हालाँकि, असली सवाल यह नहीं है कि, क्या यह संभव है, बल्कि सवाल यह है कि यह सरल पहल किसे करनी चाहिए।
अतः, साहसी और सुंदर मन वालों का आह्वान।
हालाँकि अक्सर यह अपेक्षा की जाती है कि सरकारों को शांति को बढ़ावा देने के लिए इस धारणा का नेतृत्व करना चाहिए, किन्तु, वास्तविकता यह है कि इस प्रयास के लिए आवश्यक साहस और करुणा जैसे गुणों से युक्त राजनेता एक दुर्लभ प्रजाति के प्रतीत होते हैं।
यह सीधे तौर पर ये जिम्मेदारी आपके और मेरे जैसे सामान्य नागरिकों के कंधों पर डालता है।
हमें इस बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए कि हमारे पड़ोसी नागरिक हमारे जीवन में अपनी क्या उपयोगिता लेकर आ सकते हैं, वह कौशल जो वे हमारी भलाई के कार्य मे देकर योगदान दे सकते हैं और वे क्षमताएं जो वे हमारे व्यवसायों के लिए प्राप्त कर सकते हैं, ठीक उसी तरह जैसे अमेरिकियों और कनाडाई लोगों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध।
संप्रभु राष्ट्र बनने के बाद से ये दोनों मतभेदों को सुलझाने के लिए युद्ध में नहीं उलझे हैं। इनकी सीमाएँ मानव रहित हैं, और वहाँ व्यापारिक वस्तुओं और लोगों की बिना किसी रोक टोक के आवाजाही होती है।
यूरोपीय संघ का मॉडल भी एक प्रेरणा स्रोत है, जहां दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अतीत की गलतियों से सीखने की वास्तविक प्रतिबद्धता के साथ इतिहास के खातों में दर्ज किया जाता है।
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संघर्षों को सुलझाने के प्राचीन तरीकों को विदा करने का समय आ गया है
कठिन समय को भुलाया नहीं जा सकता। बजाय इसके, इतिहास को संरक्षित करने के लिए संग्रहालयों और प्राचीन कलाकृतियों में लाखों का निवेश किया गया है।
राष्ट्रों के बीच मौजूद मतभेदों को कम करना और शत्रुता पर काबू पाने के लिए हमें इन मित्र राष्ट्रों के तरीकों का अनुकरण करना चाहिए जिन्होंने कभी आपस में युद्ध लड़े थे।
यूरोप के इन देशों ने, न केवल शांति स्थापित की बल्कि, विचारों, संस्कृति और लोगों की आवाजाही की स्वतंत्रता का लगातार आदान-प्रदान करके इसका जश्न भी मनाया। यह कहना अतिशयोक्ति नही होगी कि , वे सभी भूमध्यसागरीय समुद्र तटों पर एक साथ छुट्टियां मनाते हैं।
इसी तरह, हम सभी को एक-दूसरे के खेलों, कला, संगीत और प्रतिभा दिखाने के कार्यक्रमों में शामिल होने की जरूरत है, क्योंकि ये शक्तिशाली एकजुट करने वाली ताकतें हैं और शांति को आकर्षित करती हैं।
भारत और पाकिस्तान के बीच शांति लाने के लिए ये एकमात्र साधन हैं।
गोलियों और बमों से संघर्ष करने के बजाय, हम अपनी प्रतिस्पर्धी भावनाओं को खेलों में क्यों नहीं लगाते? संयुक्त राष्ट्र में जुबानी जंग को दोस्ती की कविता में क्यों न बदला जाए?
सोशल मीडिया पर सीमा पार के किसी एक अपनी पसंद के प्रतिभाशाली व्यक्ति को चुनें। उनका अनुसरण करें, उनकी सराहना करें और उन्हें बताएं कि आप दूसरे देश से हैं।
यदि लोग शांतिपूर्ण तरीके से रहना चुनते हैं, तो सरकारों को आपस में शांति की बात करनी होगी। यह युद्धों को रोकने का मंत्र है।
यह सुनने में आसान लग सकता है, किन्तु, स्थायी वैश्विक शांति का यही एकमात्र रास्ता है।
निष्कर्ष में, यह कहना सही होगा कि एक ऐसी दुनिया में जहां हम जर्मन मशीनों, इतालवी फैशन और धुरी गठबंधन (Axis Alliance) से जापानी कारों को एक बार में स्वेच्छा से अपनाते हैं, यह दर्शाता है कि हम पहले ही अतीत में विश्व युद्धों की नफरतों से आगे निकल चुके हैं।
हमें अपने परस्पर विरोधी पड़ोसियों के साथ भी ऐसा ही करना होगा।
हम 21वीं सदी के 23 वें वर्ष में हैं और संघर्षों को सुलझाने के प्राचीन तरीकों को विदा करने का समय आ गया है।
इसकी जिम्मेदारी हममें से प्रत्येक के कंधों पर है; ऐसा करके, हम संबंधों को बेहतर बनाकर और दोस्ती का हाथ आगे बढ़ाकर एक अधिक शांतिपूर्ण विश्व की ओर अग्रसर हो सकते हैं ।
एक सामूहिक मानव जाति के रूप में, हमें विकसित होना चाहिए और "अपने पड़ोसी से प्रेम करें" इस अवधारणा से सीख लेनी चाहिए।
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